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कन्नौज: कन्नौज में बतौर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद पर तैनात डॉक्टर के पी त्रिपाठी कमाल हैं. एक वक्त ऐसा था जब के त्रिपाठी के बाबा पैदल कई किलोमीटर की यात्रा करके पढ़ने जाते थे. लेकिन पढ़ाई की लगन और कुछ करने का जुनून उनके अंदर लगातार था. अपने बाबा और अपने पिता की मेहनत को देखते हुए के पी त्रिपाठी ने भी ठाना कि वह बहुत लगन से पढ़ाई करेंगे.

कक्षा 8वीं तक की पढ़ाई इंग्लिश मीडियम में की और उसके बाद हिंदी मीडियम में सरकारी विद्यालय में पढ़ाई की. लेकिन पढ़ाई और कुछ कर जाने का जुनून उनके अंदर बिल्कुल अलग था. शुरुआत से ही मेडिकल के क्षेत्र में जाने की ठान रखी थी. पिता भी स्वास्थ्य विभाग में बड़े पद पर रहे तो वहीं पिता के पद चिन्हों पर चलकर आज वह भी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद पर कन्नौज में तैनात हैं.

डॉक्टर के पी त्रिपाठी इंस्पायरिंग स्टोरी
के पी त्रिपाठी कानपुर के रहने वाले हैं. उनका जन्म 27 अप्रैल 1971 में कानपुर में हुआ था. उनके पिता का नाम डॉक्टर रामदुलार त्रिपाठी था. उनके बाबा अंबेडकर नगर के रहने वाले थे, जिनका नाम वंश गोपाल त्रिपाठी था, एक वक्त ऐसा था जब वंश गोपाल त्रिपाठी पैदल कई किलोमीटर चल के पढ़ाई करने जाते थे. लेकिन अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने सफलता पाई. उनके पीछे उनके बेटे ने अच्छे से पढ़ाई की और स्वास्थ्य विभाग में तैनात हुए अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए केपी त्रिपाठी ने भी एमबीबीएस की तैयारी की और सफलता पाते हुए आगे बढ़े.

कहां से की एमबीबीएस की पढ़ाई?
केपी त्रिपाठी ने कानपुर के गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की. इसके बाद दिल्ली में कई जगह पर प्रैक्टिस की उसके बाद सरकारी सर्विस में आए और आज भी वह अपने काम को प्राथमिकता देते हैं और मरीजों को देखते हैं.

क्या बोले डॉक्टर
के पी त्रिपाठी बताते हैं कि शुरुआत से ही उनका जीवन बहुत ही साधारण था. पढ़ने में शुरुआत से अच्छे थे. शुरुआती पढ़ाई इंग्लिश मीडियम में कक्षा 8 तक हुई/ उसके बाद हिंदी मीडियम से पढ़ाई की पिता स्वास्थ्य विभाग में अच्छी जगह थे. वो कहते हैं, ‘उनको ही देखकर मैं भी बड़ा हो रहा था. मेरे अंदर भी कुछ ऐसा बनने और करने की इच्छा थी, जिससे देश की सेवा हो सके. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग को मैंने भी चुना और लोगों की सेवा में लग गया. पढ़ाई के समय साधारण और फ्रेश मन से पढ़ाई करता था. किसी तरह का कोई भी लोड दिमाग पर नहीं रखता था. आज के समय में युवा कई तरह से स्ट्रेट में होते हैं, जिस कारण कई बार सफल न होने पर हताश हो जाते हैं. लेकिन ऐसा उनको नहीं करना चाहिए. कोशिश लगातार करनी चाहिए और हर चीज का समय सारणी बनानी चाहिए.’

Tags: Kannauj news, Local18

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