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नई दिल्‍ली. रिश्‍वतखोरी पर लगाम कसने के लिए सरकार लगातार निगरानी कर रही है और डिजिटलीकरण भी इसी लूपहोल को खत्‍म करने के लिए किया जा रहा है. बावजूद इसके सरकारी विभागों में घूस लेने और देने की प्रक्रिया पर लगाम नहीं कसा जा सका है. हाल में हुए एक सर्वे में पता चला है कि पिछले साल करीब 66 फीसदी कंपनियों को अपना काम निकलवाने के लिए सरकारी विभागों में पैसे खिलाने पड़े हैं. हैरत की बात ये है कि इनमें से 54 फीसदी कंपनियों को घूस देने के लिए मजबूर कर दिया गया.

ऑनलाइन मंच लोकलक्रिकल्स ने हाल में जारी एक रिपोर्ट में बताया कि देशभर के 159 जिलों में लगभग 66 प्रतिशत व्यापारिक कंपनियों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने पिछले 12 महीनों में रिश्वत दी है. सर्वेक्षण में 18,000 प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं, जिसमें पाया गया कि 54 प्रतिशत को रिश्वत देने के लिए मजबूर किया गया, जबकि 46 प्रतिशत ने प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अपनी मर्जी से भुगतान किया.

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रिश्‍वत देना आम बात
रिपोर्ट में कहा गया कि कई कंपनियों ने बताया है कि सरकारी विभागों से परमिट या अनुपालन प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए रिश्वत देना आम बात है. प्राधिकरण लाइसेंस की डुप्लिकेट प्रति या संपत्ति से जुड़े किसी भी मामले में रिश्वत देना भी आम बात है. सर्वेक्षण में शामिल 66 प्रतिशत व्यवसायों ने पिछले 12 महीनों में रिश्वत दी है.

बिना रिश्‍वत भी हो रहा काम
सर्वेक्षण में शामिल केवल 16 प्रतिशत व्यवसायों ने दावा किया कि वे हमेशा रिश्वत दिए बिना काम करवाने में कामयाब रहे हैं और 19 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें ऐसा करने की जरूरत ही नहीं पड़ी. पिछले 12 महीनों में जिन व्यवसायों ने रिश्वत दी, उनमें से 54 प्रतिशत को ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया, जबकि 46 प्रतिशत ने समय पर काम कराने के लिए भुगतान किया. इस तरह की रिश्वत जबरन वसूली के समान है, जहां सरकारी एजेंसियों के साथ काम करते समय परमिट, आपूर्तिकर्ता योग्यता, फाइलें, ऑर्डर, भुगतान नियमित रूप से रोके जाते हैं.

किस काम के लिए चली रिश्‍वत
रिपोर्ट के अनुसार, कई स्थानों पर कम्प्यूटरीकरण के बावजूद तथा सीसीटीवी से दूर बंद दरवाजों के पीछे व्यवसायों द्वारा रिश्वत देना जारी है. व्यवसायों ने पिछले 12 महीनों में आपूर्तिकर्ता के रूप में अर्हता प्राप्त करने, कोटेशन और ऑर्डर सुरक्षित करने तथा भुगतान एकत्र करने के लिए विभिन्न प्रकार की संस्थाओं को रिश्वत देने की बात स्वीकार की है. यह सर्वेक्षण 22 मई से 30 नवंबर 2024 के बीच किया गया था. सर्वेक्षण में भाग लेने वाली व्यावसायिक फर्मों ने कहा कि 75 प्रतिशत रिश्वत कानूनी, माप विज्ञान, खाद्य, औषधि, स्वास्थ्य आदि विभागों के अधिकारियों को दी गई.

Tags: Business news, Ease of doing business, Moving companies

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