Image Slider

Wheat Farming: गेहूं की फसल में अगर अच्छा उत्पादन लेना है तो सिंचित क्षेत्र से जुड़ी कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत होती है. बुवाई के ठीक 22 से 25 दिन के बीच पौधे की अगर उम्र हो गई है तो उसमें एक क्राउन रूट इनीशिएशन क्रांति जो जड़ होती है. उस जड़ का विकास होता है. इस जड़ के साथ-साथ कलियां फटना शुरू होती हैं.

यहीं से पता चलता है कि गेहूं में कितनी बालियां बनेगी, कितनी बढ़िया बनेगी, बालियों की लंबाई कितनी होगी और उसके दाने कैसे बनेंगे. जो 23, 24 और 25 या 3 दिन का समय है वो गेहूं के लिए बड़ा जरूरी होता है. किसान भाई ध्यान रखें कि इस अवस्था पर सिंचाई अवश्य करें और सिंचाई के पश्चात जो उर्वरक निर्धारित किया गया है उसका प्रयोग करें.

गेहूं के लिए रामबाण पांच सिंचाई
मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि अभी तक किसान उर्वरक में बुवाई के समय उसका आधा नाइट्रोजन वाले उर्वरक इस्तेमाल कर चुके होंगे. जो आधा बचा है उसका आधा मतलब एक चौथाई वाला जो हिस्सा है उनका इस्तेमाल जरूर करें. दूसरा बचे 25% उर्वरक को 45 से 50 दिन के आसपास इस्तेमाल करना चाहिए. दूसरी सिंचाई ठीक इसके 20 से 25 दिन बाद सिंचाई करें. ऐसे ही अगर गेहूं में पांच सिंचाई पूरी हो जाती है तो फिर बहुत अच्छा उत्पादन होगा.

खतरनाक गेहूं से पाएं निजात
दूसरी बात गेहूं की खेती में खरपतवार भी बहुत बड़ी समस्या होती है. इसके लिए 25 दिन पहले गेहूं में अच्छी खासी बढ़ोतरी होने लगती है. बढ़वार आने से पहले चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के लिए किसान भाई बाजार से 240 लेकर इस्तेमाल करें. इस विधि से चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार समाप्त हो जाते हैं. इसके बाद फसल ऊपर बढ़ने लगती है. ऐसे ही एक और खरपतवार है जिसे गेहूं का मामा कहते हैं. गेहूं की तरह ही ये होता है जो फसल को बर्बाद कर देता है. इसके नियंत्रण के लिए बाजार से आइसोप्रोट्यूरॉन लेकर इस्तेमाल कर सकते हैं. समय से उर्वरक का प्रयोग करें तो उत्पादन भी अच्छा मिलेगा दाने चमकदार होंगे और बड़े दाने होंगे. जो भी व्यक्ति इस गेहूं को खाएगा उसको भरपूर पोषक तत्व प्राप्त होंगे.

इसे भी पढ़ें – कम दूध दे रहे हैं पशु, तो खिलाएं ये चीज, झट से बढ़ जाएगी क्षमता…आप घर बैठे बन जाएंगे लखपति!

छिड़काव विधि से करे उर्वरकों की बचत
कोशिश करें कि पत्तियों पर छिड़काव करें. इसके लिए डीएपी बहुत अच्छा एक साधन है. डेढ़ किलो डीएपी 100 लीटर पानी में घोल बना लें यह घोल लगभग एक बीघे खेत के लिए पर्याप्त होगा. 15 दिन के बाद फिर दूसरा छिड़काव कर सकते हैं. जहां आप एक बीघे में 15 किलो अगर यूरिया इस्तेमाल कर रहे हैं तो ऐसी स्थिति में डेढ़ किलो डीएपी से फास्फोरस और नाइट्रोजन दोनों की पूर्ति हो जाती है. इससे एक तो उर्वरक की बचत होती है और दूसरा प्रदूषण नहीं फैलता है.

Tags: Agriculture, Local18

———-

🔸 स्थानीय सूचनाओं के लिए यहाँ क्लिक कर हमारा यह व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें।

 

Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||