अयोध्या में हिंदू-मुस्लिम अपनी कड़वाहट को भूलकर प्रतिदिन आगे बढ़ रहे हैं. एक तरफ प्रभु राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो गया है तो दूसरी तरफ मुस्लिम समाज के लोग भी धनीपुर में मस्जिद बनाने का प्लान कर रहे हैं. गंगा-जमुनी तहजीब की नगरी में मंदिर के पक्ष में फैसला आने के बाद न तो अब हिंदू पक्ष शौर्य दिवस मना रहा है न ही मुस्लिम पक्ष काला दिवस हालांकि ने 6 दिसंबर को मद्देनजर रखते हुए शहर में हाई अलर्ट जारी किया है. 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस तरह के आयोजन पर ब्रेक लगा दिया था.
खुशी और गम जैसी कोई बात नहीं
मंदिर -मस्जिद विवाद के पूर्व पैरोकार इकबाल अंसारी कहते हैं, “सरयू में बहुत पानी बह गया है, मंदिर-मस्जिद विवाद पर विराम लग चुका है. खुशी और गम जैसी कोई बात नहीं है. हिंदू-मुस्लिम सौहार्द के साथ रहे हैं. मंदिर बनकर तैयार हो चुका है, लोग दर्शन-पूजन कर रहे हैं. अब हम चाहते हैं कि अयोध्या में हिंदू और मुस्लिम का भाईचारा होना चाहिए सभी धर्म का सम्मान होना चाहिए.
नहीं है किसी शौर्य दिवस की जरूरत
विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि 6 दिसंबर कलंकित ढांचे के विध्वंस का दिन था. जिसके बाद हिंदू समाज शौर्य दिवस मनाता था. क्योंकि रामलला के पक्ष में फैसला आ चुका है. रामलला भव्य मंदिर में विराजमान हो चुके हैं. अब किसी भी तरीके शौर्य दिवस मनाने की आवश्यकता 6 दिसंबर को नहीं है. अब हम राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का वार्षिक उत्सव मनाएंगे.
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