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महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री के नाम पर अब भी सस्पेंस बरकरार है, लेकिन इस बीच अब सबकी निगाहें राज्य में कैबिनेट के अहम पदों के बंटवारे पर टिक गई हैं. महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 43 मंत्री हो सकते हैं. ऐसे में खबर है कि सत्ताधारी महायुती गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी 21 मंत्रालय अपने पास रख सकती है. वहीं एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद पर दावेदारी छोड़ने का भी मंत्रालय बंटवारे में इनाम मिलने की उम्मीद है. बताया जा रहा है कि शिंदे की शिवसेना को 3 बड़े मंत्रालयों सहित कुल 12 मंत्री पद मिल सकते हैं. वहीं महायुति गठबंधन की तीसरी पार्टी अजित पवार की एनसीपी को 9 मंत्री पदों से संतोष करना पड़ सकता है.

हालांकि, सबसे बड़ा सवाल ये बना हुआ है कि वित्त, गृह और सामान्य प्रशासन जैसे सबसे प्रभावशाली मंत्रालयों का कंट्रोल किसके पास होगा? इन विभागों को प्रशासनिक प्रभुत्व और राजनीतिक दबदबा बनाए रखने के लिए बेहद अहम माना जाता है. खबरों की मानें तो बीजेपी ने तीनों ही विभागों पर अपना दावा ठोंक दिया है.

शिंदे को मिलेगा बड़ा इनाम
वहीं काफी जोर लगाने के बाद भारी मन सीएम पद पर दावेदारी छोड़ने वाले शिंदे इसके बदले बड़े पदों पर नजर गड़ाए हैं. खबर है कि शिवसेना को शहरी विकास, शहरी विकास, लोक निर्माण विभाग और जल संसाधन जैसे मंत्रालय मिल सकते हैं.

महायुती सरकार के पिछले कार्यकाल के दौरान, अजित पवार को वित्त मंत्रालय का जिम्मा मिला था. बताया जाता है कि उन्होंने एनसीपी विधायकों को मोटी आर्थिक मदद मुहैया कराने के लिए इस पद का इस्तेमाल किया था. इस वजह से बीजेपी और शिंदे गुट के विधायकों में नाराजगी थी.

वित्त मंत्रालय अपने पास चाहती है बीजेपी
खबर है कि नई सरकार में बीजेपी अपने पास ही वित्त मंत्रालय रखना चाहती है, जिससे वह राज्य के खजाने को मैनेज कर पाएगी. साथ ही लाडकी बहिन योजना जैसी प्रमुख योजनाओं को लागू करने में भी उसे आसानी होगी. यह कल्याणकारी योजना महायुती की चुनावी सफलता में काफी अहम साबित हुई थी. चुनाव से पहले किए गए वादों के तहत, सरकार को अब इस योजना के तहत पात्र महिलाओं को 2,100 रुपये प्रति माह देने होंगे. इस प्रतिबद्धता से राज्य के खजाने पर काफी दबाव पड़ने की उम्मीद है. यही वजह है कि सरकारी खजाने को अच्छी तरह मैनेज करने के लिए एक मजबूत वित्त मंत्री होना जरूरी है. जहां एक ओर बीजेपी वित्त मंत्रालय अपने पास रखना चाहती है, वहीं अजित पवार के खेमे को राजस्व या लोक निर्माण विभाग में से कोई एक विभाग दिया जा सकता है.

गृह मंत्रालय पर शिंदे की शिवसेना का जोर
एक और महत्वपूर्ण विभाग गृह मंत्रालय को पिछले कार्यकाल में देवेंद्र फडणवीस ने संभाला था. हालांकि इस दौरान महिलाओं के खिलाफ हिंसा सहित कई अपराधिक मामलों को लेकर विपक्ष उन्हें कई बार निशाना बनाता रहा था. हालांकि तमाम चुनौतियों के बावजूद, कानून-व्यवस्था बनाए रखने और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर प्रभाव बनाए रखने के लिए गृह मंत्रालय रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि शिंदे खेमा भी इस मंत्रालय की मांग कर रही है. ऐसे में इस बात को लेकर अटकलें तेज हैं कि फडणवीस गृह मंत्रालय अपने पास ही रखेंगे या नहीं.

दिल्ली से महाराष्ट्र की तस्वीर होगी साफ
वैसे आज दिल्ली में एक हाई-लेवल बैठक होने वाली है, जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और कैबिनेट के अहम पदों पर फैसला होने की उम्मीद है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, फडणवीस, शिंदे, पवार और एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल इस बैठक में शामिल होंगे. इस बैठक पर पूरे राज्य की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि यहां लिए गए फैसले अगले कार्यकाल के लिए महायुती सरकार के सत्ता समीकरण को तय करेंगे.

मंत्री पदों का आवंटन न केवल महायुती के भीतर शक्ति संतुलन को निर्धारित करेगा, बल्कि सरकार की आर्थिक चुनौतियों और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को दूर करने की क्षमता को भी तय करेगा. महाराष्ट्र की वित्तीय सेहत सवालों के घेरे में है, ऐसे में गठबंधन के भीतर राजनीतिक समीकरण जटिल बने हुए हैं. अब सबकी निगाहें दिल्ली पर टिकी हैं. सब देखना चाहते हैं कि बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार का खेमा इस अहम मोड़ पर कैसे आगे बढ़ता है.

Tags: Ajit Pawar, Devendra Fadnavis, Eknath Shinde, Maharashtra News

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