श्रीनगर1 घंटे पहलेलेखक: हारून रशीद
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जम्मू-कश्मीर के स्कूल-कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में हिंदी और संस्कृत के लेक्चरर्स की वैकेंसी न निकालने से विपक्षी पार्टियां मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का विरोध कर रही हैं।
जम्मू-कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार ने हाल ही में विभिन्न विषयों के लिए लेक्चरर के 575 पद निकाले हैं, लेकिन इस बार हिंदी और संस्कृत को शामिल नहीं किया। जबकि राज्य में हिंदी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है।
स्कूल-कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में हिंदी में पढ़ाई होती है, फिर भी लेक्चरर्स के लिए हिंदी और संस्कृत में एक भी पद नहीं निकाले जाने से राज्य में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
भाजपा विधायक विक्रम रंधावा के नेतृत्व में भाजपा उमर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने राज्य सरकार को चेतावनी भी दी है कि अगर हिंदूी और संस्कृत को अहमियत नहीं दी गई तो जम्मू से श्रीनगर जाने वाले जरूरी सामान के सभी ट्रक रोक दिए जाएंगे।
बड़ी बात है कि भाजपा के विरोध में इस बार पीडीपी भी साथ दे रही है। पीडीपी का कहना है कि 575 में से सिर्फ 238 पद ही ओपन मेरिट के लिए छोड़े गए, जबकि 337 पदों को रिजर्व कर देने से बिना रिजर्वेशन वाला बड़ा वर्ग इस भर्ती से दूर हो जाएगा।
भाजपा विधायक विक्रम रंधावा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि अगर जम्मू के लोगों के साथ भेदभाव किया गया, तो कश्मीर जाने वाले ट्रकों को रोक लिया जाएगा।
हिंदी और संस्कृत में कई पद खाली सरकार ने 24 विषयों के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। लेकिन, हिंदी और संस्कृत के लेक्चरर के पद खाली होने के बावजूद इन्हें शामिल नहीं किया गया। विभागीय सूत्रों ने बताया कि हिंदी में 100 से ज्यादा पद खाली हैं, लेकिन इस विज्ञापन में हिंदी के लिए 36 और संस्कृत के 20 पद जोड़े जा सकते थे। यह उर्दू (36) और अरबी (20) के समान होता।
हिंदी लेक्चरर की कमी, भर्ती नहीं जम्मू-कश्मीर सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने 575 लेक्चरर पदों के लिए सीधे भर्तियां निकाली हैं। इसकी परीक्षा जम्मू-कश्मीर लोक सेवा आयोग को करनी है। इसमें उर्दू, कश्मीरी, अरबी, फारसी, पंजाबी और डोगरी भाषा के लिए भर्ती की जानी है।
एक आवेदक अमित विश्नोई ने बताया कि 2016 में उच्च शिक्षा विभाग ने हिंदी लेक्चरर के लिए पद निकाले थे, तब उसे 4 हजार आवेदन मिले थे, लेकिन इस बार एक भी पद नहीं निकाला।
नौकरी की कतार में 32% शहरी युवा हाल ही में जारी हुए पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे के मुताबिक जम्मू और कश्मीर उच्च शिक्षा प्राप्त बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है। जुलाई से सितंबर तिमाही के दौरान 15 से 29 वर्ष की आयु के नौकरी चाहने वालों में 32% शहरी उच्च शिक्षित बेरोजगार हैं। रोजगार जम्मू-कश्मीर में एक संवेदनशील मुद्दा है और आने वाले दिनों में मुद्दा बढ़ सकता है।
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जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार बनने के बाद विवादों की खबर पढ़ें…
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