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उन्हें आज भी शोले (1975), अर्जुन पंडित (1976), त्रिशूल (1978), खिलोना (1970), नया दिन नई रात (1974), यही है जिंदगी (1977), देवता ( 1978) और राम तेरे कितने नाम (1985), शिकार (1968), उलझन (1975), तृष्णा (1978), कत्ल (1986), मनचली (1973), पति पत्नी और वो ( 1978), बीवी-ओ-बीवी (1981) अंगूर (1982) और हीरो (1983) जैसी फिल्मों के लिए जाना जाता है. बता दें, संजीव के मौत बाद भी 10 फिल्में रिलीज हुई थीं, जिनमें ‘प्रोफेसर की पड़ोसन’, ‘कातिल’, ‘हाथों की लकीरें’, ‘कांच की दीवार’, ‘लव एंड गॉड’, ‘राही’, ‘दो वक्त की रोटी’, ‘बात बन जाए’, ‘नामुमकिन’ और ‘ऊंच नीच बीच’ मुख्य रूप से शामिल थीं.
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