उत्तराखण्ड पवेलियन में पहाड़ी नामक और दाल खरीदते लोग।
– फोटो : फोटो – जी पाल
विस्तार
सिलबट्टे पर पिसा पिस्यूं लूण (पहाड़ी नमक) की खटास और बाल मिठाई की मिठास लोगों के मुंह में पहाड़ी स्वाद का जादू घोल रही है। भारत मंडपम में चल रहे अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में देसी ही नहीं, विदेशी दर्शक भी पहाड़ी खानपान के दीवाने हैं।
मेले में पिस्यूं लूण उत्तराखंडवासियों के जेहन में सिलबट्टे पर नमक पीसती दादी-नानी और मां की यादें ताजा कर रहा है। समय बीतने के साथ घर के साथ सिलबट्टा भी छूट गया हो, पिस्यूं लूण का स्वाद मौजूदा समय में भी लोगों के दिलों में बरकरार है। उधर, बाल मिठाई की खुशबू लोगों को अपनी ओर खींच रही है। इसे देखते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है। खासकर युवा व बच्चे इसे पसंद कर रहे हैं। यही नहीं, सिंगोड़ी मिठाई का स्वाद भी लोगों को रिझा रहा है।
पिस्यूं लूण को भुनी मिर्च, काला जीरा, अदरक, लहसुन, धनिया, मिर्च व अन्य मसालों के साथ नमक को सिलबट्टे पर पिस कर तैयार किया जाता है। मेले में गढ़वाल के पौड़ी जिले से आईं श्वेता रावत बताती हैं कि वह यह नमक बीते चार सालों से घर पर बना रही हैं। इसने उन्हें एक नई पहचान दी है। उन्होंने बताया कि अभी लाइसेंस नहीं होने की वजह से वह इस नमक को विदेश नहीं भेज पा रहीं हैं। लाइसेंस मिलने के बाद पहाड़ी स्वाद का जादू विदेशों में भी बिखेरेंगी। मेले में घूमने आए अरविंद नेगी बताते हैं कि सिलबट्टे में पिसे नमक में अलग ही स्वाद आता है। यहां आकर बचपन की याद आ गई।
नमक को बनाया रोजगार
उत्तराखंड पवेलियन में तीन से चार स्टॉल पहाड़ी उत्पादों के हैं। इनमें पहाड़ी नमक की सबसे अधिक मांग है। यहां 100 ग्राम नमक की कीमत 30 रुपये है। मेले में स्टॉल लगाने वाली शशि बताती हैं कि उनके साथ गांव की करीब 20 महिलाएं भी इस काम में शामिल हैं। यह पहाड़ों में रोजगार का एक बड़ा जरिया भी बन रहा है। वह इसे तैयार करके पैकेट में पैक कर अलग-अलग शहरों में बेच रही हैं। आय का अच्छा जरिया भी बना है।
बुरांश व माल्टे ने रोका पलायन
पहाड़ों में पलायन की समस्या बीते वर्षों की तुलना में बढ़ी है। लेकिन, बुरांश के फूल व माल्टा पहाड़ पलायन रोकने में मदद कर रहा है। रुद्रप्रयाग से आए अंकित और हेमंत गुसाईं बताते हैं कि पढ़ाई खत्म होने के बाद जब वह रोजगार की तलाश में शहर की ओर जाने पर विचार कर रहे थे, तब जंगल जाते समय बुरांश व माल्टे से बने उत्पाद बेचने का निर्णय लिया। उनके छोटे से विचार ने उनके सहपाठियों को भी पहाड़ में रुकने पर मजबूर कर दिया। अब उनकी कंपनी में कुल 10 लोग कार्य करते हैं।
बाल मिठाई की भी खासी मांग
मेले में बाल मिठाई की भी खासी मांग है। स्टॉल संचालकों का कहना है कि जितनी मिठाई वह यहां लाए हैं, उससे अधिक मांग है। मिठाई के शौकीन यहां पहुंच रहे हैं। अलग-अलग हॉल का चक्कर काटकर पवेलियन में पहुंचे रोहित गुप्ता कहते हैं कि उन्हें बाल मिठाई खाने का काफी शौक है। वह मेले से तीन किलो मिठाई लेकर जा रहे हैं।
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