Image Slider

दिल्ली में बढ़ा वायु प्रदूषण
– फोटो : PTI

विस्तार


प्रदूषण को कम करने की जिम्मेदारी जिस एजेंसियों व विभाग को है वह लापरवाही बरत रहे। प्रदूषण से संबंधित शिकायतों का निपटारा कागजों और फाइलों में ही है। हकीकत में स्थिति अलग है। आलम यह है कि विभिन्न एजेंसियों को प्राप्त 40 फीसदी शिकायतें अपने सुधार के इंतजार में है। 

प्रदूषण से जुड़ी शिकायतों के निपटारे में सबसे फिसड्डी दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) है। उसके बाद दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) है। जोकि शिकायतों पर ध्यान ही नहीं दे रही है। यही नहीं, जहां सरकार डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दे रही है, वहां भी एजेंसियां प्राप्त शिकायतों के सुधार के मामले में सुस्ती दिखा रही है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक सबसे अधिक शिकायत एमसीडी को प्राप्त हुई हैं। इसमें 4300 शिकायत में से केवल 2155 शिकायतों को ठीक किया गया है। यानी 50 फीसदी शिकायतों को सुलझाया ही नहीं गया है। 

वहीं, दिल्ली जल बोर्ड को 183 शिकायतें मिलीं, लेकिन वह 57 शिकायतों के निपटारे तक ही सीमित रहा, जोकि 31 फीसदी ही है। बाकि, 69 प्रतिशत शिकायतों पर अभी तक एजेंसी ने ध्यान ही नहीं दिया है। यह सभी शिकायतें 15 अक्तूबर, 2022 से लेकर 11 नवंबर, 2024 तक समीर एप में प्राप्त हुईं हैं। 

ऐसे में जिम्मेदार वायु प्रदूषण से संबंधित शिकायतों के मामले में बेखबर हैं। इससे बाहरी के साथ स्थानीय प्रदूषक दिल्ली को गैस चैंबर बना रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर समय से शिकायतों को सुलझाया नहीं जाता तो स्थिति और खराब होती है। प्रदूषण के विरुद्ध अगर ठीक से काम किया जाए तो यह तस्वीर बदल सकती है। यह आंकड़े विभागों व एजेंसियों के दावों की पोल खोल रहे हैं।

 

———-

🔸 स्थानीय सूचनाओं के लिए यहाँ क्लिक कर हमारा यह व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें।

 

Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||