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गाजियाबाद जिला जज की अदालत में हुए वकीलों पर लाठीचार्ज के विरोध में अधिवक्ताओं की महापंचायत ने महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। इनमें 29 नवंबर को इलाहाबाद हाईकोर्ट के घेराव का निर्णय प्रमुख है। इसके साथ ही, अधिवक्ताओं ने सोमवार से काम पर लौटने और हर बुधवार को हड़ताल रखने का फैसला किया है। वकीलों ने यह भी निर्णय लिया है कि वे पैरवी के लिए जिला जज की अदालत का बहिष्कार करेंगे। इस महापंचायत में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा दिल्ली, हरियाणा, और पंजाब से भी अधिवक्ता पहुंचे थे। गाजियाबाद बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शर्मा ने बताया कि महापंचायत में सर्वसम्मति से 29 नवंबर को हाईकोर्ट के घेराव का निर्णय लिया गया है। उनका कहना है कि कोर्ट रूम में लाठीचार्ज की घटना अत्यंत गंभीर और न्याय व्यवस्था को शर्मसार करने वाली है।
29 अक्तूबर से शुरू हुई हड़ताल
पूरा मामला 29 अक्टूबर का है जब गाजियाबाद जिला जज अनिल कुमार की कोर्ट में वकीलों के साथ तीखी नोंकझोंक के बाद पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया था। इस घटना के बाद गाजियाबाद समेत पूरे प्रदेश और दिल्ली के अधिवक्ता भी आक्रोशित हो गए थे। विरोध में वकील 4 नवंबर से हड़ताल पर हैं और गाजियाबाद के वकील उसी दिन से धरने पर बैठे हुए हैं। गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, मेरठ, हापुड़, अमरोहा, और मुरादाबाद समेत 22 जिलों के अधिवक्ता अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
प्रमुख मांगें
वकीलों की मांगें हैं कि जिला जज का तबादला या निलंबन किया जाए, दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जाए, दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो, वकीलों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं और घायल वकीलों को उचित सहायता राशि दी जाए। महापंचायत में लिए गए निर्णयों के अनुसार, वकील सोमवार से कचहरी में कामकाज शुरू करेंगे और केवल प्रत्येक बुधवार को हड़ताल रखेंगे। वे जिला जज की कोर्ट का बहिष्कार करेंगे, 29 नवंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का घेराव करेंगे, गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव का बहिष्कार करेंगे और हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से मिलेंगे।
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