- Hindi News
- Career
- Big Scam Exposed In UP Secretariat Officers Recruitment Leaders Secretary Kins Appointed | RO ARO
11 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
उत्तर प्रदेश की विधानसभा और विधान परिषद में 186 ऊंचे सरकारी पदों पर भर्ती में बड़ा घोटाला सामने आया है। RO/ARO जैसे 38 पदों पर नेताओं और एग्जाम करवाने वाली बाहरी एजेंसी के मालिकों ने अपने रिश्तेदारों को बैठा दिया। इन सभी को 3 साल पहले यूपी विधानमंडल के सेक्रेटेरियट में नौकरी दी गई। हैरत की बात ये है कि एग्जाम करवाने वाली दोनों एजेंसियों के मालिक एक अन्य भर्ती में गड़बड़ी के आरोप में जेल जा चुके हैं। इन मालिकों के भी 5 रिश्तेदार अधिकारी बने बैठे हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे भर्ती घोटाला कहा था और मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर में इन नेताओं और अधिकारियों के नामों का खुलासा हुआ है।
इस लिस्ट में तब के उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष के PRO, कई सचिव, पूर्व मंत्री और अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के पूर्व स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर के नाम हैं। इसके अलावा TSR डेटा प्रोसेसिंग और राभव नाम की दो फर्मों के मालिकों के 5 रिश्तेदार हैं। इन्हीं दो फर्मों ने कोविड की पहली वेव के दौरान ये एग्जाम करवाया था।
हाईकोर्ट ने इसे भर्ती घोटाला बताया, सीबीआई जांच का आदेश दिया
एग्जाम में फेल होने वाले तीन कैंडिडेट- सुशील कुमार, अजय त्रिपाठी और अमरीश कुमार ने 2021 में इसके खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। एक और कैंडिडेट विपिन कुमार सिंह ने याचिका देकर मार्क्स में हेराफेरी का आरोप लगाया था।
विपिन ने कोर्ट में ये भी कहा था कि एग्जाम का रिजल्ट कभी सार्वजानिक नहीं किया गया और न ही रिजल्ट की तारीख बताई गई। हालांकि विधानसभा सचिवालय की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि फाइनल रिजल्ट आधिकारिक वेबसाइट uplegiassemblyrecruitment।in पर अपलोड किया गया था। वहीं ARO की फाइनल मेरिट लिस्ट सचिवालय के नोटिस बोर्ड पर चिपका दी गई थी।
मामले पर सुनवाई करते हुए 18 सितंबर, 2023 को हाई कोर्ट ने मामले में सीबीआई जांच का आदेश देते हुए अपने फैसले में कहा,
यह चौंकाने वाला मामला है और किसी भर्ती घोटाले से कम नहीं, जहां सैकड़ों भर्तियां अवैध और गैरकानूनी तरीके से एक गैरभरोसेमंद बाहरी एजेंसी द्वारा की गईं।
इन सभी दिग्गज अधिकारियों और नेताओं से अखबार ने जवाब मांगा। किसने क्या कहा, जान लीजिए-
हृदयनारायण दीक्षित: मेरे PRO की नियुक्ति बाद में हुई। मेरी इसमें कोई भूमिका नहीं है।
जय प्रकाश सिंह: मेरे बेटे और बेटी की नियुक्ति योग्यता की आधार पर हुई है। मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता।
प्रदीप दुबे: यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है। मेरे लिए इस पर चर्चा करना सही नहीं होगा।
राजेश सिंह: मैं कुछ नहीं कहना चाहता।
पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह: उनके परिवार के एक और सदस्य ने कहा कि महेंद्र सिंह का इससे कोई लेना देना नहीं है।
दिनेश कुमार सिंह: दिनेश कुमार सिंह के बेटे अब फिजिकली डिसेबल्ड कैटेगरी से निचली अदालत के जज बन गए हैं। दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि मेरी उनकी RO के पद पर नियुक्ति में कोई भूमिका नहीं है।
अजय कुमार सिंह, जैनेंद्र सिंह यादव और बाकी लोगों से भी संपर्क करने की कोशिश की गई। इन लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया।
भर्ती में धांधली के आरोपियों को एग्जाम करवाने का जिम्मा मिला
इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक, TRS और राभव नाम की दोनों फर्मों के मालिक एक और भर्ती में धोखाधड़ी के आरोप में जेल जा चुके हैं और फिलहाल जमानत पर हैं।
2016 तक यूपी विधानसभा के सचिवालयों के लिए यूपी लोक सेवा आयोग के जरिए भर्ती होती थी। बाद में विधानसभा के जरिए नियमों में बदलाव किए गए। 2019 से विधानसभा परिषद् खुद ही यह भर्ती आयोजित करने लगा।
हाई कोर्ट ने इस पर कहा,
नियमों में संशोधन करके एग्जाम करवाने वाले आयोग) को हटाया गया और उसकी जगह एग्जाम करवाने की जिम्मेदारी बाहरी एजेंसी को दी गई। यह बात चौंकाने वाली है।
इस मामले में यूपी विधान परिषद् ने कोर्ट में एक रिव्यू एप्लिकेशन दी थी। 3 अक्टूबर, 2023 को कोर्ट ने एप्लिकेशन रिजेक्ट करते हुए कहा, कोर्ट रिकॉर्ड का रिव्यू पहले ही कर चुकी है और आरोपों पर संतुष्ट है। इस बीच सीबीआई ने भर्ती से जुड़े कुछ दस्तावेज अपने कब्जे में लेकर जांच शुरू की, लेकिन 13 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया।
कोर्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक, विधानसभा में भर्ती का ठेका ब्रॉडकास्टिंग इंजीनियरिंग एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज (BECIL) को दिया गया था। यह केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के तहत आने वाली एक सरकारी कंपनी है। BECIL ने ही TSR डेटा प्रोसेसिंग को काम पर रखा था। हालांकि BECIL के सीनियर मैनेजर अविनाश खन्ना का कहना है कि मामला कोर्ट में है, इसलिए हम इस पर कुछ नहीं कह सकते। वहीं सूत्रों के मुताबिक, विधान परिषद् की भर्तियों का काम राभव को सौंपा गया था। हालांकि यूपी के सचिवालय ने परीक्षा की गोपनीयता का हवाला देते हुए कोर्ट में फर्म का नाम नहीं बताया। अब यूपी विधान परिषद की अपील पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर रोक लगा दी है और मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी, 2025 को तय की है।
RO/ARO एग्जाम से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए…
आयोग अब UPPCS एग्जाम एक ही दिन में कराएगा:RO/ARO पर छात्र बोले, ‘आयोग का जवाब छलावा, पूरी जीत मिलने तक डटे रहेंगे’
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग कार्यालय (UPPSC) ने UPPCS का एग्जाम दो शिफ्ट में करवाने का फैसला वापस ले लिया है। पूरी खबर पढ़िए…
- व्हाट्स एप के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- टेलीग्राम के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- हमें फ़ेसबुक पर फॉलो करें।
- हमें ट्विटर पर फॉलो करें।
———-
🔸 स्थानीय सूचनाओं के लिए यहाँ क्लिक कर हमारा यह व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें।
Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||