एमसीडी मुख्यालय
– फोटो : अमर उजाला
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मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव में जीत के बावजूद आप की राह आसान नहीं है। मेयर चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले 10 पार्षदों में से आठ के भाजपा में शामिल होने पर उसके पास से नेता सदन का पद चला जाएगा।
भाजपा को नेता सदन का पद मिलते ही कार्यसूची में शामिल सभी प्रस्तावों को पास करने का अधिकार मिल जाएगा, जिससे एमसीडी में आप के फैसलों को नियंत्रित करने की शक्ति सीमित हो जाएगी। भाजपा इस स्थिति का फायदा उठाकर सदन में अपनी नीतियों और योजनाओं को प्राथमिकता दे सकती है।
एमसीडी में भाजपा के 114 व आप के 128 पार्षद हैं। इस तरह आप के नाराज चल रहे 10 में से आठ पार्षदों के भाजपा में आने पर उसके पास 120 पार्षद रह जाएंगे और भाजपा के पार्षदों की संख्या 122 हो जाएगी। इस तरह एमसीडी में दलीय स्थिति के मामले में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी हो जाएगी और नेता सदन का पद मिल जाएगा।
वहीं भाजपा को संतुलित करने के लिए आप को तीन राज्यसभा सांसदों और 13 मनोनीत विधायकों का समर्थन सदन में सुनिश्चित करना होगा। यदि ये सभी विधायक और सांसद सदन की बैठकों में नियमित रूप से शामिल होते हैं, तो आप को सदन में बहुमत प्राप्त हो सकता है। इससे वह भाजपा की नीतियों पर अंकुश लगा सकेगी।
अतिरिक्त सदस्यों की उपस्थिति से आप के पास एमसीडी में संख्या बल मजबूत होगा, जिससे भाजपा के प्रस्तावों को चुनौती दी जा सकेगी। हालांकि, यह रणनीति भी आप के लिए सरल नहीं होगी। आप के राज्यसभा सांसदों और विधायकों की जिम्मेदारियां एमसीडी से इतर दिल्ली व केंद्र सरकार और अन्य कार्यों में भी हैं। उन्हें सदन की हर बैठक में बुलाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य हो सकता है।
आप को भविष्य में एमसीडी में पकड़ मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। पार्टी को अपने सदस्यों में असंतोष की भावना को पहचान कर उसे दूर करने की दिशा में प्रयास करना होगा।
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