Delhi High Court
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
उच्च न्यायालय ने दिल्ली के मुख्य सचिव से कहा कि वह अदालत के सामने सुंदर तस्वीर पेश करने के बजाय शहर में नालों की सफाई न करने के लिए जिम्मेदार दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई करें। अदालत ने यमुना नदी में सीवेज और औद्योगिक कचरे के उत्सर्जन को विनियमित करने में विफल रहने के लिए दिल्ली सरकार की खिंचाई की।
अदालत ने कहा कि यमुना दिल्ली तक साफ है और फिर यह अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है। कुछ बहुत गड़बड़ है। एसटीपी काम नहीं कर रहे हैं। उनकी निगरानी कौन कर रहा है? यमुना दिल्ली तक साफ हो रही है, फिर आईटीओ और कश्मीरी गेट, आईएसबीटी पर यह अत्यधिक प्रदूषित हो जाती है। यह औद्योगिक कचरे के कारण है। दिल्ली में अनधिकृत औद्योगिक इकाइयों की निगरानी कौन कर रहा है?
मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा पानी में इतनी विषाक्तता नहीं हो सकती। पीठ दिल्ली में जलभराव की समस्या और राष्ट्रीय राजधानी में मानसून और अन्य अवधियों के दौरान वर्षा जल संचयन और यातायात जाम को कम करने के मुद्दे पर स्वयं द्वारा शुरू की गई दो स्वप्रेरणा याचिकाओं पर विचार कर रही है।
इसके अलावा पीठ वकीलों सहित कई दिल्ली निवासियों की याचिकाओं पर भी सुनवाई कर रही है जो बारिश के बाद सड़कों, घरों और कार्यालयों में जलभराव के कारण जलभराव और सीवेज नालों के बंद हो जाने के बारे में बता रहे थे।
सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव धर्मेंद्र के कार्यालय द्वारा नालों की सफाई और आवासीय क्षेत्रों में अनधिकृत प्रदूषणकारी उद्योगों पर कार्रवाई सहित विभिन्न मुद्दों पर उठाए जा रहे कदमों पर पीठ के समक्ष एक वर्चुअल प्रस्तुति दी गई। रिपोर्ट पेश करने वाले अधिकारी ने दावा किया कि पानी की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है और अगले तीन महीनों में यह और बेहतर हो जाएगा क्योंकि कई परियोजनाएं पूरी होने जा रही हैं।
- व्हाट्स एप के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- टेलीग्राम के माध्यम से हमारी खबरें प्राप्त करने के लिए यहाँ क्लिक करें।
- हमें फ़ेसबुक पर फॉलो करें।
- हमें ट्विटर पर फॉलो करें।
———-
🔸 स्थानीय सूचनाओं के लिए यहाँ क्लिक कर हमारा यह व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें।
Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||