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डिजिटल अरेस्ट एक नई प्रकार की साइबर धोखाधड़ी है, जिसमें अपराधी कानून प्रवर्तन अधिकारियों के रूप में प्रस्तुत होकर लोगों को डराते और धोखा देते हैं। इस प्रकार की धोखाधड़ी में, अपराधी पीड़ितों को फोन कॉल, एसएमएस, या ईमेल के माध्यम से संपर्क करते हैं और उन्हें बताते हैं कि वे किसी गंभीर अपराध में शामिल हैं, जैसे कि मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी, या साइबर अपराध। इसके बाद, वे पीड़ितों को वीडियो कॉल के माध्यम से धमकाते हैं और उनसे बड़ी रकम की मांग करते हैं।   डिजिटल अरेस्ट कैसे काम करता है? डिजिटल अरेस्ट धोखाधड़ी में, अपराधी कानून प्रवर्तन अधिकारियों, जैसे कि सीबीआई एजेंट, इनकम टैक्स अधिकारी, या कस्टम एजेंट के रूप में प्रस्तुत होते हैं। वे पीड़ितों को फोन कॉल के माध्यम से संपर्क करते हैं और उन्हें वीडियो कॉल पर स्विच करने के लिए कहते हैं। वीडियो कॉल के दौरान, वे पीड़ितों को एक डिजिटल अरेस्ट वारंट के साथ धमकाते हैं और विभिन्न कारणों का हवाला देते हैं, जैसे कि वित्तीय कदाचार, टैक्स चोरी, या अन्य कानूनी उल्लंघन।   कुछ मामलों में, ये धोखेबाज पुलिस स्टेशन जैसी सेटअप भी बनाते हैं ताकि पीड़ितों को यह विश्वास हो सके कि कॉल वैध है। वे पीड़ितों को “उनका नाम साफ़ करने”, “जांच में सहायता करने” या “रिफंडेबल सुरक्षा जमा/एस्क्रो खाता” के तहत बड़ी रकम ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते हैं। एक बार जब पीड़ित पैसे ट्रांसफर कर देते हैं, तो धोखेबाज गायब हो जाते हैं, जिससे पीड़ितों को वित्तीय नुकसान और संभावित पहचान की चोरी का सामना करना पड़ता है।   डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें?   सतर्क रहें: किसी भी कॉल से सावधान रहें जिसमें आपको बताया जाता है कि आप किसी परेशानी में हैं। असली कानून प्रवर्तन एजेंसी के अधिकारी कभी भी भुगतान या बैंकिंग विवरण नहीं मांगेंगे।   दबाव में न आएं: साइबर अपराधी अक्सर “तत्कालता की भावना” पैदा करके त्वरित कार्रवाई की मांग करते हैं। ऐसे दबाव में न आएं।   पहचान सत्यापित करें: यदि आपको कॉल संदिग्ध लगती है, तो संबंधित एजेंसी से सीधे संपर्क करके उनकी पहचान सत्यापित करें।   व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: फोन या वीडियो कॉल पर कभी भी संवेदनशील व्यक्तिगत या वित्तीय विवरण साझा न करें, विशेष रूप से अज्ञात नंबरों के साथ।   शांत रहें: घबराएं नहीं और सोच-समझकर निर्णय लें।   सरकार की पहल   प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इस धोखाधड़ी के बारे में जनता को सतर्क किया है और उन्हें साइबर हेल्पलाइन पर किसी भी ऐसे मामले की रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके अलावा, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने एक सार्वजनिक सलाह जारी की है, जिसमें लोगों को डिजिटल अरेस्ट से बचने के उपाय बताए गए हैं।   निष्कर्ष   डिजिटल अरेस्ट एक गंभीर साइबर धोखाधड़ी है, जो लोगों को डराकर और धोखा देकर उनकी मेहनत की कमाई छीन लेती है। इससे बचने के लिए सतर्क रहना और सही जानकारी प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। यदि आप किसी संदिग्ध कॉल या संदेश का सामना करते हैं, तो तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करें और अपनी व्यक्तिगत जानकारी सुरक्षित रखें।     ———- 🔸 स्थानीय सूचनाओं के लिए यहाँ क्लिक कर हमारा यह व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें