बीते दो महीने से महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के तारीखों को लेकर सुगबुगाहट हो रही थी, लेकिन चुनाव आयोग किसी न किसी कारण तारीखों का ऐलान नहीं कर पा रही थी. इन दोनों राज्यों के कुछ इलाके नक्सल प्रभावित हैं. इस वजह से शायद चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर और हरियाणा से अलग चुनाव कराने का फैसला किया है.
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आपको बता दें कि जहां महाराष्ट्र में बहुमत के लिए जहां 145 सीटें चाहिए तो वहीं झारखंड में 41 सीट लाने वाली पार्टी या गठबंधन सरकार बना सकती है. पिछले चुनाव की बात करें ते महाराष्ट्र में एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिली थी, लेकिन मुख्यमंत्री चेहरे पर विवाद होने के बाद शिवसेना ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था. इसके बाद काफी नाटकीय घटनाक्रम के बाद महा विकास अघाड़ी का गठन हुआ और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनी. लेकिन, कुछ महीने के बाद शिवसेना टूट गई और एकनाथ शिंदे को राज्यपाल ने शपथ दिला दी.
बहुमत के लिए लानें होंगे इतने नंबर
वहीं, झारखंड में साल 2019 में रघुवर दास के नेतृत्व में चुनाव लड़ी थी, लेकिन बीजेपी यह चुनाव हार गई थी. खुद रघुवर दास भी जमशेदपुर सीट से निर्दलीय और बीजेपी के बागी सरयु राय से हार गए थे. इसके बाद राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनी. साल 2019 के चुनाव में जेएमएम को 30, बीजेपी को 25, कांग्रेस को 6 और अन्य को 10 सीटें आई थीं. झारखंड के राजनीतिक इतिहास देखने पर आपको पता चल जाएगा कि निर्दलीय और अन्य झारखंड में सरकार बनाने में अहम रोल अदा करते हैं. मधु कोड़ा का नाम सबसे बड़ा उदाहरण है.
झारखंड का समीकरण
झारखंड चुनाव में इस बार भी डोमिसाइल बड़ा मुद्दा बन सकता है. आदिवासियों की घटती आबादी, बांग्लादेशी घुसपैठ और भूमि स्वामित्व इस चुनाव में भी मुद्दा बन सकते हैं.संथाल परगना एक्ट को लेकर भी मामला गर्मा सकता है. बता दें कि झाऱखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में पूरे पांच साल तक सरकार चली है. बीच में कुछ समय हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद चंपई सोरेन सीएम बने थे. लेकिन, हेमंत सोरेन के जेल से निकलने के बाद चंपई सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा और हेमंत सोरेन एक बार फिर से सीएम बन गए. झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को खत्म हो रहा है.
महाराष्ट्र का मुकाबला
वहीं महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है. महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का मुद्दा इस चुनाव में गर्मा सकता है. महाराष्ट्र की 288 सीटों के चुनाव के लिए सालों बाद नया समीकरण बनेगा. राज्य में 29 अनुसूचित जाति और 25 अनुसूचित जनजाति के लिए सीट आरक्षित हैं. पहले यहां मुकाबल तकरीबन त्रिकोणीय ही होता रहा है. शरद पावर के कांग्रेस से छोड़ने और एनसीपी गठन के बाद से. लेकिन, इस बार स्थिति बदल गई है.
महायुति वर्सेज महा अघाड़ी
इस बार महा विकास अघाड़ी और महायुति के बीच इस बार संग्राम हो सकता है. महा विकास अघाड़ी में जहां कांग्रेस, एनसीपी शरद पवार गुट, शिवसेना यूबीटी शामिल हैं. वहीं, महायुति में बीजेपी के अलावा शिवसेना का शिंदे गुट शामिल है. राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना भी शायद तारीखों के ऐलान के बाद महायुति में शामिल हो जाए. अगर ऐसा नहीं होता है तो कुछ सीटों पर महाराष्ट्र में मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है.
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में जहां महायुति का सीधा मुकाबला महाविकास अघाड़ी से होने जा रहा है तो वहीं झारखंड में यूपीए गठबंधन का सीधा मुकाबला बीजेपी-आजसू गठबंधन से होना तय माना जा रहा है. माना जा रहा है कि झारखंड में बाबू लाल मरांडी के नेतृत्व में इस बार चुनाव होंगे. वहीं, हेमंत सोरेन ही यूपीए का चेहरा भी होंगे. इन दोनों राज्यों में चुनाव तारीखों का ऐलान दिवाली-छठ के आस-पास ही होने जा रहा है.
Tags: Election Commission of India, Jharkhand news, Maharashtra Politics
FIRST PUBLISHED : October 15, 2024, 14:17 IST
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