नई दिल्ली. चीन की हिन्द महासागर में हिमाकत तेजी से बढ़ती जा रही है. जिसे देखते हुए भारत सरकार भी एक्शन में आ गई है. पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस महीने दो न्यूक्लियर पावर्ड अटैक सबमरीन बनाने की मंजूरी दे दी है. भारत तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की जगह सतह के नीचे से सबमरीन की मदद से सुरक्षा मजबूत करने पर जोर दे रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर चीनी लंबी दूरी की मिसाइलों के लिए अधिक असुरक्षित है. चीन का हिन्द महासागर में इंट्रस्ट लगातार बढ़ता जा रहा है. साल 2023 से हर महीने हिंद महासागर क्षेत्र में कम से कम 10 चीनी युद्धपोत, बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर, निगरानी जहाज मौजूद हैं.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने नेवी को यह दो न्यूक्लियर सबमरीन बनाने की इजाजत दी है. इन दोनों सबमरीन का निर्माण भारत में ही स्वदेशी तकनीक से होगा. सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि अभी भी चीनी निगरानी जहाज जियांग यांग होंग 3 मॉरीशस के तट पर बैलिस्टिक मिसाइल ट्रैकर युआन वांग 7 के साथ बंगाल की खाड़ी के दक्षिण में चेन्नई के तट पर है. दावा किया गया कि हिंद महासागर में औसतन सात से आठ पीपल लिबरेशन आर्मी नौसेना के युद्धपोत और लगभग तीन से चार अर्धसैनिक जहाज मौजूद देखे जाते हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि पीएलए अपने टास्क फोर्स के लिए लंबी दूरी की गश्त की योजना के साथ संख्या में बढ़ोतरी कर सकती है.
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