राजसमंद. आज से नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. घर-घर घट स्थापना की जा रही है. माताजी के मंदिरों में भव्य आयोजन हो रहे हैं. इस मौके पर आज राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ जोगणिया माता मंदिर में 52 फीट ऊंचा त्रिशूल स्थापित किया जा रहा है. अष्टधातु से बने इस त्रिशूल का वजन 22 क्विंटल है. इस त्रिशूल को बुधवार को विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर राजसमंद से चितौड़गढ़ के लिए रवाना किया गया था.
इस त्रिशूल को राजसमंद जिले में बनाया गया है. यह त्रिशूल इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. राजसमंद के आमेट के शांतिनाथ चौराहा निवासी माता के भक्त श्रवण गवारिया की ओर से यह त्रिशूल मां जोगणिया दरबार में स्थापित कराया जा रहा है. श्रवण गवारिया ने बताया कि त्रिशूल को शोभायात्रा के रूप में विधायक सुरेन्द्र सिंह राठौड और पालिका चेयरमैन कैलाश मेवाड़ा ने बस स्टेंड पर पूजा अर्चना कर रवाना किया. उसके बाद त्रिशूल का जगह जगह ग्रामीणों की और स्वागत किया गया. पूजा अर्चना की गई.
यहां एक साथ कई देवियों के दर्शन होते हैं
जोगणिया माता मंदिर राजस्थान का प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है. यहां सामान्य दिनों में ही श्रद्धालुओं की जोरदार भीड़ उमड़ती है. वहीं नवरात्रि में तो वहां पैर रखने की जगह नहीं मिलती. इस मंदिर की काफी मान्यता है. जोगणिया माता मंदिर को लेकर कई तरह की किवदंतियां प्रचलित हैं. यह मंदिर चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा के बीच स्थित है. यहां एक साथ कई देवियों के दर्शन होते हैं.
मंदिर में हथकड़ियां भी चढ़ाई जाती है
यहां मंदिर की मुख्य पीठ के साथ ही परिसर के चारों और 64 जोगणिया देवियों के स्वरूप के रूप में अन्य देवियों की मूर्तियां स्थापित की गई हैं. यह मंदिर अपनी एक और विशेषता के कारण जाना जाता है. इस मंदिर में कई लोग हथकड़ी भी चढ़ाते हैं. मान्यता है कि यहां अपराधी अपराध छोड़ने का संकल्प लेकर हथकड़ी माता को समर्पित करता है.
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