कोर्ट ने कहा कि 20 जनवरी 2021 को अयोध्या के 14 गांव को अधिसूचित किया गया ताकि सेना की फायरिंग प्रैक्टिस के कारण जानमाल का नुकसान न हो . बावजूद इसके उस इलाके में खुले तौर पर निर्माण कार्य हुए. हालांकि 30 मई 2024 को एक गांव माझा जमथरा को अधिसूचना से बाहर कर दिया गया था. अयोध्या विकास प्राधिकरण ने कोर्ट में कबूल किया कि उस अधिसूचित इलाके में होटल, हाईवे और पॉलिटेक्निक जैसे निर्माण कार्य हो चुके हैं.
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सेना की जमीन पर अवैध कब्जे हुए
इस मामले में बताया गया है कि याची प्रवीण कुमार दूबे की ओर से दाखिल याचिका में लेफ्टिनेंट कर्नल, स्टेशन हेडक्वार्टर, अयोध्या कैंट की ओर से 11 फरवरी 2023 को अयोध्या कलेक्टर को भेजे गए एक पत्र का हवाला दिया गया था. इसके साथ ही कलेक्टर ने सेना के अफसरों को 19 फरवरी 2023 को जवाब दिया था. इस पत्र के आधार पर कोर्ट कहा गया था कि लगभग 13391 एकड़ जमीन सेना के रायफल रेंज के तौर पर संरक्षित है. यह जमीन कई गांवों में है. अब इस जमीन पर अवैध कब्जा किया जा रहा है. इसके बाद अयोध्या विकास प्राधिकरण ने याचिका पर विरोध जताया था. इसमें कहा गया था कि याची का आपराधिक इतिहास है. इस पर हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की जगह पर सुओ मोटो याचिका दर्ज कर ली थी और अब उस पर आदेश आया है. मामले में अगली सुनवाई दिसंबर में होगी.
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