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लखनऊ. अयोध्या में अधिसूचित 13 गांव में निर्माण के लिए नक्शे पास करने से पहले सेना की एनओसी जरूरी होगी. इस संबंध में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जिला प्रशासन ने सेना की शिकायतों को अनसुना किया है. यहां सेना का अभ्‍यास सीमित हो गया है. सेना के अभ्यास के इलाके में वैध, अवैध बहुत सारा निर्माण हो चुका है. मामले की अगली सुनवाई दिसंबर के महीने में होगी. ‘प्रोटेक्शन ऑफ़ डिफेंस लैंड एट अयोध्या’ शीर्षक से दर्ज सुवो मोटो याचिका पर कोर्ट ने आदेश दिया है.

कोर्ट ने कहा कि 20 जनवरी 2021 को अयोध्या के 14 गांव को अधिसूचित किया गया ताकि सेना की फायरिंग प्रैक्टिस के कारण जानमाल का नुकसान न हो . बावजूद इसके उस इलाके में खुले तौर पर निर्माण कार्य हुए. हालांकि 30 मई 2024 को एक गांव माझा जमथरा को अधिसूचना से बाहर कर दिया गया था. अयोध्या विकास प्राधिकरण ने कोर्ट में कबूल किया कि उस अधिसूचित इलाके में होटल, हाईवे और पॉलिटेक्निक जैसे निर्माण कार्य हो चुके हैं.

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सेना की जमीन पर अवैध कब्‍जे हुए 
इस मामले में बताया गया है कि याची प्रवीण कुमार दूबे की ओर से दाखिल याचिका में लेफ्टिनेंट कर्नल, स्टेशन हेडक्वार्टर, अयोध्या कैंट की ओर से 11 फरवरी 2023 को अयोध्या कलेक्‍टर को भेजे गए एक पत्र का हवाला दिया गया था. इसके साथ ही कलेक्‍टर ने सेना के अफसरों को 19 फरवरी 2023 को जवाब दिया था. इस पत्र के आधार पर कोर्ट कहा गया था कि लगभग 13391 एकड़ जमीन सेना के रायफल रेंज के तौर पर संरक्षित है. यह जमीन कई गांवों में है. अब इस जमीन पर अवैध कब्‍जा किया जा रहा है. इसके बाद अयोध्या विकास प्राधिकरण ने याचिका पर विरोध जताया था. इसमें कहा गया था कि याची का आपराधिक इतिहास है. इस पर हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की जगह पर सुओ मोटो याचिका दर्ज कर ली थी और अब उस पर आदेश आया है. मामले में अगली सुनवाई दिसंबर में होगी.

Tags: Allahabad high court, Allahabad High Court Order, Ayodhya News, High court, Indian army, Lucknow latest news, Lucknow news, UP news

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