Image Slider

नई दिल्‍ली. ये व्‍यक्ति ट्रेनों में यात्री बनकर सफर करता था, लेकिन मौका मिलते ही हाथ साफ करता था, चोरी करने में पूरी ‘ईमानदारी’ बरतता था. यात्रियों के सामान को छूटा तक नहीं था, पर ‘इस’ सामान को छोड़ता नहीं था, इसी वजह से जल्‍दी पकड़ में नहीं आता था. लेकिन इस बार एक गलती कर दी, जिससे वह जीआरपी के हत्‍थे चढ़ गए. पूछताछ में उसने इसकी जो वजह बताई, वो हैरान करने वाली है, आइए जानें-

पूर्वोत्‍तर रेलवे के अनुसार सिद्धार्थ नगर स्‍टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा को ध्‍यान में रखते हुए जीआरपी और आरपीएफ जांच कर रही थी. ट्रेन नंबर 12571 आनंद विहार हमसफर एक्‍सप्रेस स्‍टेशन पर रुकी. ट्रेन के लगभग खाली होने के बाद एक व्‍यक्ति दो बड़े झोले लेकर नीचे उतरा. वो इन्‍हें उठा भी नहीं पा रहा था और न ही कुली को बुला रहा था. इतने भारी भारी झोलों को खींचते हुए ले जा रहा था. यह देखकर जीआरपी और आरपीएफ को शक हुआ. उन्‍होंने उसे रोका, पहले तो वो अनसुना करके आगे बढ़ता गया, जब तेज से आवाज देकर रोका गया तो सकपका गया.

पैसे बचाने के लिए ट्रेन में ले गए थे घर से बना खाना, वहां पर ऐसा कुछ कर डाला, खाली हो गयी जेब

 चादर और तकिए करता था चोरी

जीआरपी ने पूछताछ शुरू की, तो उसने बताया कि दिल्ली से आ रहा है, टिकट मांगा गया तो बताया कि अभी उतरने समय गिर गया. इस पर शक और गहरा गया. उससे झोला खोलने को कहा, पहले तो आनाकानी करता रहा लेकिन सख्‍ती बरतने पर उसने झोले खोले. अंदर सामान देखकर जवान दंग रह गए. झोलों में रेलवे के चादर और तकिए भरे हुए थे. गिनती करने पर 50 चादर और 25 तकिए निकले.

चादर चोरी में पकड़े जाने की आशंका कम रहती है

पूछताछ में उसने बताया कि यात्रियों का सामान चोरी नहीं करता है. क्‍योंकि यात्री चोरी होने पर  एफआईआर दर्ज कराते हैं. दूसरा चोरी का सामान बेचने में कई बार परेशानी होती है. लेकिन चादर चोरी करने पर पकड़े जाने की आशंका कम रहती है. उसने बताया कि पहले कम कम संख्‍या में चादर तकिए चुरा कर ले जाता था, लेकिन इस बार लालच ज्‍यादा आ गया और काफी संख्‍या में चादर और तकिए चुरा लिए. इस वजह से पकड़ में गया गया.

Tags: Indian railway, Indian Railway news, Siddharthnagar News

Social Media Links

Follow Us on Social Media

Disclaimer: This story is auto-aggregated by a computer program and has not been created or edited by Ghaziabad365 || मूल प्रकाशक ||