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आधी आबादी का राजनीतिक आकलन अब धड़ल्ले से होने लगा है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, झारखंड और हरियाणा जैसे राज्यों में पोलिटिकल पार्टियां अब चुनाव जीतने के लिए महिलाओं पर दांव लगा रही हैं. बिहार इस मामले में पहले स्थान पर आता है, जहां 2005 में एनडीए की सरकार बनने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए पंचायतों और निकाय चुनावों में आरक्षण की व्यवस्था की. उसके बाद दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने भी महिलाओं पर फोकस किया. दोनों कामयाब रहे तो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने लक्खी भंडार योजना और कन्याश्री योजना चला कर तीसरी बार सत्ता तो हासिल की ही, 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इन योजनाओं का व्यापक असर दिखा. मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहना योजना से ही कांग्रेस को धूल चटाने में सफलता पाई थी. उसके बाद तो अब हर दल ने महिला हितों को सर्वोपरि बना दिया है.

झारखंड में शुरू हुई मईयां योजना

झारखंड में हेमंत सोरेन को महिलाओं की सुध आई है. उन्होंने वृद्धावस्था पेंशन के अलावा 18 साल से 50 साल की उम्र की महिलाओं के लिए हजार रुपए मासिक पेंशन की शुरुआत की है. इसके तहत करीब 50 लाख महिलाओं को लाभान्वित करने का राज्य सरकार ने लक्ष्य रखा है. सीएम हेमंत सोरेन इस योजना के बहाने जिलावार कैंप लगा रहे हैं. खुद वहां पहुंच कर महिलाओं को इसका लाभ दे रहे हैं. उन्होंने इस योजना का नाम मईयां योजना रखा है. वैसे इस योजना की घोषणा चंपई सोरेन ने सीएम रहते की थी, तब हेमंत सोरेन जेल में थे.

जेल से बाहर आते ही उन्होंने न सिर्फ सीएम की कुर्सी संभाल ली, बल्कि महिलाओं की इस महत्वाकांक्षी योजना का नामकरण किया और आनन फानन इस पर अमल भी शुरू कर दिया. इसका व्यापक रिस्पांस दिख रहा है. चुनावी लाभ में अगर यह कन्वर्ट हुआ तो हेमंत सोरेन को विरोधियों से निपटने में सहूलियत होनी तय मानी जा रही है. महिलाओं को गोलबंद करने के लिए हेमंत सोरेन ने इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा की परिवर्तन यात्रा के विरोध में मईयां सम्मान यात्रा निकालने की घोषणा की है. इसका नेतत्व हेमंत सोरेन की विधायक पत्नी कल्पना सोरेन संभालेंगी.

हरियाणा में महिलाओं के लिए होड़

हरियाणा में तो कांग्रेस और भाजपा के बीच महिला प्रोत्साहन योजना को लेकर होड़ दिखाई देती है. कांग्रेस ने अपनी गारंटी में हर महिला को दो हजार रुपए पेंशन की घोषणा की है तो भाजपा ने इसे 2100 रुपए कर दिया है. इसे मुफ्त की रेवड़ी (Free Bees) कहा जा रहा है. भाजपा इसकी विरोधी रही है, लेकिन मध्य प्रदेश की लाडली योजना की सफलता को भाजपा देख चुकी है. इसलिए अब चुनाव जीतने के लिए उसे भी ऐसी रेवड़ियों से परहेज नहीं रहा. हाल के विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों में महिला केंद्रित योजनाओं की खूब चर्चा रही है.

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, हिमाचल, कर्नाटक और तेलंगाना में महिलाओं के लिए योजनाएं शुरू की गईं. हरियाणा में भाजपा ने इसका नाम ‘लाडो लक्ष्मी योजना’ दिया है. अंत्योदय और बीपीएल परिवारों को 500 रुपए एलपीजी सिलेंडर देने की घोषणा भी महिलाओं को आकर्षित करने के लिए ही की गई है. चूंकि किचन का बजट महिलाओं के हाथ में होता है, इसलिए इसका असर उन पर पड़ना चाहिए. बालिका योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की कॉलेज जाने वाली छात्राओं को स्कूटी देने की घोषणा भी भाजपा ने की है. कांग्रेस कैसे पीछे रहती. उसने भी महिलाओं के लिए कई घोषणाएं की हैं. कांग्रेस ने सरकार बनने पर महिलाओं को 2,000 रुपए हर महीने देने की गारंटी दी है.

नीतीश ने बिहार में दिखाई थी राह

देश में महिलाओं की फिक्र अब सभी को होने लगी है. विधायी सदनों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का कानून नरेंद्र मोदी की सरकार ने बनाया. यह काम दशकों से लटका हुआ था. इस पर सहमति ही नहीं बन पा रही थी. संसद के नए भवन में पहला बिल महिला आरक्षण का ही पास हुआ. चुनावी जमीन तैयार करने में महिलाएं कितनी कारगर होती हैं, यह कोई बिहार के सीएम नीतीश कुमार से पूछे. उन्होंने सुनियोजित तरीके से इस पर काम किया. वर्ष 2006 में नीतीश ने महिला उत्थान की दिशा में पहला काम यह किया कि पंचायतों और नगर निकाय चुनावों में उनके लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित कर दी गईं. दूसरा काम नीतीश ने किया सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण देकर.

शिक्षक नियुक्ति में तो महिलाओं को नीतीश सरकार ने आरक्षण 50 प्रतिशत कर दिया. पुलिस की नौकरियों में भी 35 प्रतिशत आरक्षण मिलने से महिलाओं का रुझान उस ओर बढ़ा है. इसके अलावा नीतीश ने स्कूल-कालेज में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए साइकिल-पोशाक की नि-शुल्क व्यवस्था की और ऊपर की बढ़ाई के लिए उन्हें वजीफा भी देना शुरू किया. नीतीश ने ये सारे काम बिना किसी शोर के किए. इसका लाभ नीतीश को पहले भी मिला और इस बार लोकसभा चुनाव में जेडीयू को अगर 12 सीटें मिलीं तो इसके पीछे नीतीश को महिलाओं का समर्थन ही था.

कारगर रही है लक्खी भंडार योजना

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने लक्खी (लक्ष्मी) भंडार योजना की शुरुआत महिलाओं को ध्यान में ही रख कर ही की थी. इस योजना के तहत 60 वर्ष से कम उम्र की प्रत्येक महिला को हर महीने पांच सौ रुपए दिए जाते हैं. यह योजना इतनी पापुलर हुई है कि इसके लाभुकों की संख्या 2.11 करोड़ से अधिक हो गई है. लक्खी भंडार योजना बंगाल की सबसे बड़ी नकद प्रोत्साहन योजना है. वर्ष 2024-25 के बजट में इसके लिए 14,400 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. ममता को इसका लाभ 2021 के विधानसभा चुनाव में तो मिला ही, इस बार लोकसभा चुनाव में भी उन्हें इसका जबरदस्त फायदा हुआ है.

महाराष्ट्र में महिलाओं को 1500 मासिक

महाराष्ट्र में एनडीए सरकार ने महिलाओं पर फोकस किया है. राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए ‘मुख्यमंत्री माझी-लाडकी बहन योजना’ की शुरुआत की है. इसके तहत 21 से 65 साल की महिलाओं को हर महीने 1500 रुपए दिए जा रहे हैं. अगर किसी महिला को केंद्र या राज्य सरकार की किसी योजना के तहत मिलने वाला आर्थिक लाभ 1500 से कम है तो राज्य सरकार अपनी ओर से उसमें रकम मिला कर 1500 की पूरी राशि लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर करती है.

माझी-लाडकी योजना की लाभार्थी वे महिलाएं हो सकती हैं, जो महाराष्ट्र राज्य की 21 से 65 वर्ष आयु वर्ग की विवाहित, विधवा, तलाकशुदा, परित्यक्ता और निराधार महिला हो. उसकी सालाना आय ढाई से कम होनी चाहिए. अगर महिला पीला या केशरी राशन कार्ड धारी है तो उसे आय प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं. महाराष्ट्र में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं. चुनाव को ध्यान में रख कर ही इसकी शुरुआत की गई है. इसके अलावा महिलाओं के लिए महाराष्ट्र में महिला स्टार्टअप योजना शुरू की गई है. महिलाओं के नेतृत्व वाले स्टार्टअप को शुरुआती चरण में 25 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता राज्य सरकार देगी.

ब्लॉगर के बारे में

ओमप्रकाश अश्क

प्रभात खबर, हिंदुस्तान और राष्ट्रीय सहारा में संपादक रहे. खांटी भोजपुरी अंचल सीवान के मूल निवासी अश्क जी को बिहार, बंगाल, असम और झारखंड के अखबारों में चार दशक तक हिंदी पत्रकारिता के बाद भी भोजपुरी के मिठास ने बांधे रखा. अब रांची में रह कर लेखन सृजन कर रहे हैं.

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