बुलंदशहर के दुर्गा शक्ति मंदिर की कहानी
श्री नवदुर्गा शक्ति मंदिर के सचिव रोहित अग्रवाल बताते हैं कि साल 1990 में उनके पिता डॉ मोहनलाल को मैया ने सपने में दर्शन दिए थे. साथ ही कहा था कि खुर्जा में एक मंदिर का निर्माण कराओ. जिसमें एक ही मूर्ति में नौ देवियों के दर्शन किए जा सकें. मैया की आज्ञानुसार वर्ष 1991 में मंदिर का निर्माण शुरू कराया गया. करीब चार वर्ष तक मंदिर निर्माण चला. साल 1995 में मैया की मूर्ति की स्थापना की गई.
9 देवियों वाला अनोखा मंदिर
एक रथ पर विराजित मूर्ति मैया के नौ स्वरूप के वाहनों के साथ है. आठ वाहन के नीचे रथ को खींचते हुए दिखती हैं. वहीं, नौवां वाहन कमल का पुष्प है, जिसपर मैया विराजमान हैं. जोकि रथ पर है. भगवान भोले शंकर रथ के ऊपर दिखाई देते हैं. गणेश जी रथ चलाते दिखाई देते हैं. वहीं, रथ के साथ हनुमान और भैरव हैं. यह मूर्ति अधिकांश अष्टधातु की बनी हुई है
देश के विभिन्न स्थानों से दर्शन करने आते भक्त
श्री नव दुर्गा शक्ति मंदिर में मैया के नौ स्वरूप को एक मूर्ति में देखने के लिए देश के विभिन्न स्थानों से आते हैं. उत्तर प्रदेश के अलावा, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड, आदि राज्यों से आकर भक्त भैया के नौ स्वरूप दर्शन करते हैं.
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मंदिर में बना है मैया का शयन कक्ष
मंदिर में बेसमेंट बना हुआ है, जहां पर हनुमान, राधा कृष्ण की मूर्ति लगी हुई है. यहां पर शिवलिंग भी स्थापित है. मैया का शयन कक्ष भी यहीं बना हुआ है. मान्यता है कि मैया यहां पर एक निर्धारित समय के लिए विश्राम करतीं हैं. नवरात्रियों में शयन कक्ष के बाहर लोगों की पूजा के लिए कतार लगी रही हैं.
मनोकामना स्तंभ करता है मुरादें पूरी
मंदिर परिसर में मुख्य द्वार के निकट मनोकामना स्तंभ बना हुआ है, जहां पर भक्त चुन्नी बांधकर मनोकामना मांगते हैं. मनोकामना पूरी होने के बाद चुन्नी को खोला जाता है. लोग यहां पर उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा सहित विभिन्न स्थानों से आकर मनोकामना मांगते हैं.
Tags: Hindu Temple, Local18, UP news
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