3 साल से नहीं मिले थे मरीज
पिछले 3 सालों से मिर्जापुर में डिप्थीरिया के मरीज नहीं मिल रहे थे, हालांकि अचानक से 2 मरीज मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है. जिन स्थानों पर मरीज मिले हैं, वहां पर बच्चों का टीकाकरण कराया जा रहा है और एंटीबायोटिक दवाएं वितरित की जा रही है.
जानें कितने मिले मरीज
मिर्जापुर जिले में 7 सितंबर को डिप्थीरिया के 2 नए मरीज मिले. लालगंज के बरौधा गांव में 2 साल की बच्ची में इस बीमारी के लक्षण मिले हैं. इलाज के बाद भी सुधार नहीं होने पर डॉक्टरों ने तत्काल प्रयागराज के लिए रेफर कर दिया. वहीं, सिटी ब्लॉक के अर्जुनपुर में दूसरा मरीज मिला है. दूसरी बच्ची का इलाज मंडलीय अस्पताल में चल रहा है.
जानलेवा है यह बीमारी
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. अनिल ओझा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि डिप्थीरिया एक जीवाणु जनित रोग है. यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. बच्चे इस रोग से जल्दी संक्रमित होते हैं. डिप्थीरिया से श्वसन तंत्र को पूरी तरीके से प्रभावित करता है. इसके प्रमुख लक्षण गले में खरास, तेज बुखार व जुखाम है. कई लोगों के गले में एक झिल्लीनुमा बन जाता है, जिससे सांस लेने और खाने-पीने में दिक्कत होती है.
टीकाकरण से ही बचाव संभव
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी ने बताया कि डिप्थीरिया से बचाव के लिए बच्चों को टीकाकरण किया जाता है. बच्चों को जन्म लेने के पहले, दूसरे, तीसरे और चौथे माह में पेंटावेलेंट का टीका लगता है. इसके बाद 12 से 18 महीने के बीच डिप्थीरिया पर्टसिसऔर टिटनेस का टीका लगाया जाता है. इससे संक्रमण नहीं फैलता है और बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. मिर्जापुर में 10 हजार बच्चों को इससे बचाव के लिए टीकाकरण किया गया है.
Tags: Health, Health benefit, Health tips, Local18, Mirzapur news
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