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नई दिल्ली6 मिनट पहले

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सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे को गार्ड ऑफ ऑनर देती जवानों की टुकड़ी।

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे आज रिटायर हो रहे हैं। आखिरी वर्किंग डे पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। वे 26 महीने तक आर्मी चीफ रहे। उनकी जगह लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी आज ही पदभार संभालेंगे।

लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी 30वें सेना प्रमुख हैं। उन्होंने 19 फरवरी को वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के रूप में पदभार ग्रहण किया था। 11 जून की रात सरकार ने उन्हें सेना प्रमुख बनाने का ऐलान किया था।

इससे पहले वे सेना के वाइस चीफ, नॉर्दर्न आर्मी कमांडर, DG इन्फेंट्री और सेना में कई अन्य कमांड के प्रमुख के रूप में देश की सेवा कर चुके हैं।

जनरल मनोज पांडे नेशनल वॉर मेमोरियल पर भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

जनरल मनोज पांडे नेशनल वॉर मेमोरियल पर भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

मनोज पांडे को एक महीने का एक्सटेंशन दिया था
सरकार ने पिछले महीने जनरल पांडे का कार्यकाल एक महीने के लिए बढ़ा दिया था। आम तौर पर सेना में इस तरह के फैसले नहीं लिए जाते। जनरल मनोज पांडे 31 मई को रिटायर होने वाले थे। इससे ठीक छह दिन पहले 25 मई को उन्हें एक्सटेंशन दिया गया था। इस कदम से अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी को सेना की टॉप पोस्ट के लिए नजरअंदाज किया जा सकता है, लेकिन सरकार के ऐलान के साथ ही इन सभी अटकलों पर विराम लग गया।

जानिए नए आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के बारे में…

अपॉइंटमेंट में फॉलो किया गया सीनियरिटी कॉन्सेप्ट
सेना प्रमुख बनाए जाने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी वाइस चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के पद पर कार्यरत रहे। उनकी नियुक्ति में सरकार ने सीनियॉरिटी के सिद्धांत का पालन किया है। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के बाद सबसे सीनियर अफसर दक्षिणी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह हैं। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी और लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार सिंह दोनों को 30 जून को रिटायर होना था।

तीनों सेनाओं के प्रमुख 62 साल की उम्र तक या तीन साल, इनमें से जो भी पहले हो, तब तक सेवा दे सकते हैं। हालांकि, लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों की रिटायरमेंट एज 60 साल है, जब तक कि अधिकारी को फोर स्टार रैंक के लिए अप्रूव नहीं किया जाता है।

सेना में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर काम करते रहे हैं लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी
टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लेकर उत्साही होने के नाते, लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने नॉर्दर्न कमांड में सभी रैंकों की टेक्निकल बाउंड्रीज को बढ़ाने की दिशा में काम किया। उन्होंने बिग डेटा एनालिटिक्स, AI, क्वांटम और ब्लॉकचेन-बेस्ड समाधानों जैसी महत्वपूर्ण और उभरती हुई टेक्नोलॉजी को बढ़ावा दिया।

लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के विदेशों में भी तैनात रहे
लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी के दो विदेशी कार्यकाल के दौरान सोमालिया हेडक्वॉर्टर UNOSOM II का हिस्सा रहे। साथ ही सेशेल्स सरकार के सैन्य सलाहकार के रूप में काम किया। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी ने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और AWC, महू में हाईकमांड सिलेबस में भी भाग लिया।

उन्हें USAWC, कार्लिस्ले, USA में विशिष्ट फेलो से सम्मानित किया गया था। उनके पास डिफेंस एंड मैनेजमेंट स्टडीज में MPhil की डिग्री है। इसके अलावा मिलिट्री साइंस में दो मास्टर डिग्री हैं, जिनमें से एक USAWC USA से है।

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सैन्य इतिहास में पहली बार दो क्लासमेट बने प्रमुख; 5वीं कक्षा में साथ पढ़े

भारतीय सेना के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब दो क्लासमेट, लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी और एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, भारतीय सेना और नौसेना के प्रमुख होंगे। मध्य प्रदेश के सैनिक स्कूल रीवा से आने वाले, नेवी चीफ एडमिरल दिनेश त्रिपाठी और आर्मी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी 1970 के दशक की शुरुआत में 5वीं क्लास में एक साथ पढ़ते थे।

उनका रोल नंबर भी आसपास था। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी का रोल नंबर 931 और एडमिरल त्रिपाठी का 938 था। स्कूल के दिनों से ही दोनों काफी अच्छे दोस्त रहे हैं। अलग फोर्स में होने के बावजूद वे हमेशा संपर्क में रहते हैं। पढ़ें पूरी खबर…

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