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अस्पताल (सांकेतिक तस्वीर)
– फोटो : अमर उजाला

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वेंटिलेटर के लिए दो अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद भी एक दिन की नवजात को भर्ती नहीं किया गया। जिम्स ने बेड की कमी का हवाला देकर चाइल्ड पीजीआई को रेफर कर दिया। चाइल्ड पीजीआई ने इलाज में 20 हजार का खर्चा बताया। पिता के पास बच्ची को भर्ती करने तक के पैसे नहीं थे। हद तो तब हो गई जब पिता ने दूसरे अस्पताल लेकर जाने के लिए एंबुलेंस मांगी तो एंबुलेंस तक नहीं दी गई। मजबूरी में ऑटो से बच्ची को लेकर बादलपुर के स्वास्थ्य लेकर पहुंचे। इस दौरान रास्ते में ही लालकुआं के पास बच्ची की मौत हो गई।

छपरौला निवासी ऑटो चालक इरफान खान ने बताया कि गर्भवती पत्नी रुखसाना को लेबर पेन होने पर सुबह बादलपुर के स्वास्थ्य केंद्र लेकर गए। जहां सुबह 10 बजे लड़की का जन्म हुआ। बच्ची जन्म के दौरान रोई नहीं और सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। ऐसे में डॉक्टरों ने जिम्स रेफर कर दिया। लेकिन यहां पर बेड खाली नहीं थे, इसलिए भर्ती नहीं किया गया। मरीज का आरोप है कि डॉक्टर ने अभद्रता भी की। ऐसे में मरीज एंबुलेंस के जरिए बच्ची को चाइल्ड पीजीआई पहुंचा।

इरफान ने बताया कि चाइल्ड पीजीआई में 20 हजार रुपये का खर्चा बताया। भर्ती के दौरान तुरंत सात से आठ हजार का खर्चा बताया। हमारे पास भर्ती करने तक के पैसे नहीं थे। डॉक्टर बिना पैसों के बच्ची को भर्ती करने को तैयार नहीं हुए। ऐसे में हम लोग बच्ची को दोबारा से बादलपुर के स्वास्थ्य लेकर जाने लगे। अस्पताल की ओर से एंबुलेंस तक नहीं दी गई। मजबूरी में बच्ची को लेकर ऑटो से आए। इस दौरान बच्ची की मौत हो गई।

चाइल्ड पीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आकाश राज ने बताया कि यहां भर्ती की फीस लगती है। हालांकि उनको उक्त बच्ची के मामले की जानकारी नहीं है।

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