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इस बीमारी को डॉक्टरी भाषा में सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस कहते है. फिलहाल गायिका का इलाज चल रहा है. इसी बीच गाजियाबाद के वरिष्ठ ईएनटी सर्जन ने बताया है कि उन्होंने इस बीमारी पर सालों पहले ही शोध किया था और अब उनके पास इसका एकमात्र पीआरपी ट्रीटमेंट भी उपलब्ध है.
जानें किन लोगों को होती है यह बीमारी
डॉ. बृजपाल त्यागी ने बताया कि गायिका को एक कान में नर्व डेफनेस हुआ है. जिसको सडन सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस कहते है. ये बीमारी (ओ) ग्रुप वाले मरीजों को ज्यादा होती है. यह बीमापी ज्यादातर इन्फेक्शन के कारण फैलती है. अगर इसके इलाज की बात की जाए तो एक इंजेक्शन पीआरपी का होता है. जिसे लॉस नर्व के पास एक विशेष पॉइंट पर लगाया जाता है. उससे ये डीफनेस ठीक हो जाती है.
तेज म्यूजिक सुनना है खतरा
डॉ. त्यागी बताते हैं कि वायरल इंफेक्शन के साथ ही तेज म्यूजिक सुनने के कारण भी ये समस्या हो जाती है. जब ये बीमारी हो जाती है तो 24 घंटे के अंतराल पर इसका ट्रीटमेंट लेना चाहिए. जो स्टेरॉयड द्वारा दिया जाता है या हाइपरबेरिक ऑक्सीजन के फॉर्म में दिया जाता है, लेकिन अगर यह 24 घंटे के अंदर ठीक नहीं होता है तो फिर मरीज के लिए उपयोगी पीआरपी थेरेपी है. फिर यही मरीज को बचा सकती है और कोई थेरेपी काम नहीं आ सकती है. इस इलाज से जो उनकी बाधिरता की समस्या है वो 95% ठीक हो जाएगी, बाकी बची रहेगी.
हाई फ्रीक्वेंसी से कान पर पड़ता है प्रभाव
उन्होंने कहा कि युवाओं के लिए यही संदेश है कि जो तेज म्यूजिक सुनते हैं. वह 3 मिनट से ज्यादा तेज म्यूजिक के बीच ना रहें, क्योंकि अगर वो इस तरीके का काम करते हैं तो उनको हाई फ्रीक्वेंसी लॉस हो सकता है. जिस कारण से उनके नर्व में भी समस्या हो सकती है और बधिरता की समस्या के कारण वह परेशान हो सकते हैं.
इस ट्रीटमेंट पर 2020 में किया शोध
डॉ. बृजपाल त्यागी ने सडन सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस और अपनी पीआरपी ट्रीटमेंट पर 2020 में ही शोध किया था, जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कई रिसर्च पेपर में शामिल हुए थे. दुबई में इंटरनेशनल ईएनटी कॉन्फ्रेंस में भी डॉक्टर बीपी त्यागी ने अपनी इस प्रेजेंटेशन को रखा था.
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