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सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : अमर उजाला

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दक्षिणी दिल्ली रिज में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) के बाद अब दिल्ली सरकार को निशाने पर लिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार को यह बताना होगा कि पेड़ों की कटाई में घोर अनियमितता कैसे बरती गई?

जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की अवकाश पीठ ने कहा कि डीडीए की ओर से किए गए घोर उल्लंघनों की जानकारी होने के बावजूद दिल्ली सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की? पीठ ने कहा, दिल्ली सरकार को यह जवाब देना होगा कि सरकार पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए वृक्ष अधिकारी की शक्ति का कैसे दुरुपयोग कर सकती है। कोर्ट ने पर्यावरण और वन विभाग के प्रधान सचिव के माध्यम से दिल्ली सरकार को अवमानना याचिका पर नोटिस जारी किया। पीठ ने कहा, हलफनामा दायर कर यह बताया जाना चाहिए कि सरकार ने पेड़ों की कटाई की अनुमति कैसे दी। दिल्ली सरकार ने डीडीए को करीब 443 पेड़ काटने की अनुमति देते हुए दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1994 के तहत वृक्ष अधिकारी की शक्तियों का ‘अतिक्रमण’ किया। रिकॉर्ड से पता चलता है कि डीडीए ने इसके अलावा 200 पेड़ और भी काटे।

24 जून के आदेश का पालन करने के लिए एक और हफ्ते का वक्त मिला : कोर्ट ने डीडीए उपाध्यक्ष को 24 जून को पारित आदेश में दिए गए निर्देशों का पालन करने के लिए एक और सप्ताह का समय दिया है। सिंह ने जब एलजी के दौरे के समय मौजूद एक अधिकारी(अशोक कुमार गुप्ता) का नाम बताया तो पीठ ने उक्त अधिकारी को नोटिस जारी किया।कोर्ट ने उस अधिकारी को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया कि वास्तव में क्या हुआ और क्या एलजी द्वारा कोई निर्देश जारी किए गए थे।

पीठ ने पूछा, लकड़ी कहां गई : पीठ ने काटे गए पेड़ों की लकड़ी के बारे में भी जानकारी मांगी। ऑथोरिटी को लकड़ियों के बारे में जानकारी न होने पर पीठ ने आश्चर्य व्यक्त किया। जस्टिस ओका ने कहा, उन्हें 100 फीसदी यकीन है कि लकड़ी ठेकेदार ने ली होगी। यह तो महज एक बानगी है। ऐसा कई मामलों में हुआ होगा और पेड़ों को काटा गया होगा। कोर्ट ने कहा, हम एक मजबूत दृष्टिकोण अपना रहे हैं ताकि संदेश जाए।

अवमानना के लिए जेल भेजने में रुचि नहीं लेकिन सच्चाई सामने आनी चाहिए: कोर्ट : पीठ ने डीडीए के उपाध्यक्ष से यह भी कहा कि वह न्यायालय की अवमानना के लिए जेल भेजने में रुचि नहीं रखता है लेकिन मामले की सच्चाई सामने आनी चाहिए। पीठ ने कहा,यह बताया जाना चाहिए कि निर्देश किसने जारी किए। अगर सर्वोच्च ऑथोरिटी ने कुछ गलत किया है तो अदालत को बताने में कुछ भी गलत नहीं है। सच्चाई सामने आनी चाहिए।

दिल्ली में हरित क्षेत्र बढ़ाना चाहती है अदालत : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए दिल्ली सरकार, वन विभाग, ट्री अथॉरिटी, दिल्ली नगर निगम और डीडीए को नोटिस जारी किया है। शीर्ष अदालत ने वन विभाग के सचिव को व्यापक उपायों पर चर्चा करने के लिए सभी ऑथोरिटी के साथ बैठक आयोजित करने के लिए कहा है।

जब ईमेल में दौरे की जानकारी तो क्या इसकी जांच डीडीए का काम नहीं

जस्टिस ओका ने कहा, जब ईमेल में कहा गया है कि एलजी ने दौरा किया है तो क्या इसकी जांच करना डीडीए का काम नहीं था? आप केवल उच्च अधिकारियों को बचा रहे हैं और निचले अधिकारियों को दोषी ठहरा रहे हैं। सिंह ने दोहराया कि एलजी का दौरा किसी दूसरी जगह पर था न कि उस जगह पर जहां पेड़ काटे गए थे।

एलजी के दौरे की जानकारी न देने पर कोर्ट ने लगाई डीडीए की ‘क्लास’

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को लेकर डीडीए पर नाराजगी जताई की कि उसने दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) के उस स्थान पर दौरे के बारे में जानकारी क्यों नहीं दी है जहां न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करते हुए पेड़ों को काटा गया था। डीडीए उपाध्यक्ष पर शीर्ष अदालत के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए रिज क्षेत्र में पेड़ों को काटने के लिए अवमानना का मामला चल रहा है। डीडीए उपाध्यक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने पीठ को बताया कि डीडीए रिकॉर्ड का पता लगाने की कोशिश कर रहा है। इस जवाब से नाखुश जस्टिस ओका ने कहा, आपको नोटिस दिया गया है और आप इतनी साधारण बात भी नहीं ढूंढ़ पा रहे हैं? यह सही नहीं है, हम इसकी सराहना नहीं करते। हम इस बात से खुश नहीं हैं कि आपको उपलब्ध रिकॉर्ड पर साधारण जानकारी भी नहीं मिल पा रही है। जस्टिस ओका ने सिंह से पूछा कि क्या उपाध्यक्ष ने संबंधित विभाग से पूछताछ की है या रिपोर्ट मंगवाई है या बैठक में मौजूद अधिकारियों से पूछा है।

जस्टिस ओका ने किया शरलॉक होम्स की ‘सिल्वर ब्लेज’ का उल्लेख

जस्टिस ओका ने शर्लक होम्स की कहानी ‘सिल्वर ब्लेज’ का उल्लेख किया, जिसमें अपराधी के बारे में निगरानी कुत्ते का नहीं भौंकना जासूस के लिए सुराग था। जस्टिस ओका ने कहा, हम यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि कुत्ता क्यों नहीं भौंका। सब कुछ छिपा हुआ है। कोई भी कोई आपत्ति नहीं उठा रहा है। जब कोई अंदरूनी व्यक्ति ऐसा करता है तो कोई भी ‘भौंकता’ नहीं है। यही शरलॉक होम्स की कहानी का नैतिक मूल्य है।

वन मंत्री ने 1100 पेड़ काटने का रिकॉर्ड किया तलब

नई दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली के रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में सुप्रीम कोर्ट से बिना अनुमति लिए 1100 पेडों को काटने के मामले में दिल्ली सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। सरकार का कहना है कि इन पेड़ों की वजह से दिल्ली के पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया गया है। दिल्ली के पर्यावरण एवं वन मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की और उनसे इस संबंध में सारा रिकॉर्ड तलब किया है। उन्होंने अवैध रूप से पेड़ों को काटने के मामले में अब तक की गई कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है। वन विभाग के अधिकारियों को यह सभी जानकारी बृहस्पतिवार को सुबह 11 बजे तक देने का निर्देश दिया है।

उपराज्यपाल के आदेश पर ही काटे गए पेड़ :  भारद्वाज

सतबड़ी वन्य क्षेत्र में गैर कानूनी तरीके से काटे गए 1100 पेड़ों के मामले में दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि दो दिन का समय देने के पश्चात बुधवार को डीडीए के वकील सुप्रीम कोर्ट के समक्ष झूठ बोलते रहे। इसमें कहा कि उपराज्यपाल जिस जगह का निरीक्षण करने गए थे, वहां किसके निर्देश के अनुसार पेड़ काटे गए, इसकी जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी है। भारद्वाज ने दावा करते हुए कहा कि यह झूठ है। डीडीए के पास इसका ब्योरा है कि 3 फरवरी को उपराज्यपाल सतबड़ी वन्य  क्षेत्र में दौरा करने गए थे और मौखिक निर्देश पर पेड़ काटे गए।

 

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