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मेरठ.  हार्ट फेल के शुरुआती लक्षणों को पहचानना काफी जरूरी है. इसके सामान्य संकेतकों में सांस लेने में कठिनाई, वजन बढ़ना, तलवों और पैरों में सूजन, दिल की अनियमित धड़कन, पेट में गड़बड़ी, रात में सांस फूलना, चेतना की हानि, चक्कर आना और ज्यादा थकान शामिल है. यह जानकारी देते हुए इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी एंड इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के डायरेक्टर व कॉर्डिनेटर डॉक्टर अमित मलिक और कार्डियक सर्जरी (सीटीवीएस) के हेड व सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर संदीप सिंह ने कई अहम जानकारियां साझा की हैं. वे मेरठ में मैक्स मेड सेंटर मेरठ में एरिथमिया व हार्ट फेल क्लिनिक के शुभारंभ के मौके पर मीडिया से बात कर रहे थे.

उन्‍होंने कहा कि हार्ट फेल तब होता है जब हार्ट पर्याप्त ब्लड पंप करने में असमर्थ होता है, जिससे थकान और सांस की तकलीफ जैसी समस्याएं होती हैं. इसके विपरीत, एरिथमिया या दिल की अनियमित धड़कन, हार्ट रेट या हार्ट रिदम से जुड़ी समस्या होती है, जिसमें दिल या तो बहुत तेजी से धड़कता है या बहुत धीरे-धीरे या अनियमित रूप से धड़कता है. इसलिए मरीजों को सावधान रखना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि इस स्पेशलाइज्ड क्लीनिक का मकसद दिल से जुड़े मरीजों को एडवांस केयर मुहैया कराना और  इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी जैसी हाईटेक तकनीक की मदद से कार्डियक एरिथमिया के जरिए समय पर रोग डिटेक्ट करना है.

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हार्ट अटैक, हार्ट फेल और अचानक कार्डियक अरेस्ट का खतरा
लॉन्च के दौरान मैक्स हॉस्पिटल वैशाली में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी एंड इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के डायरेक्टर व कॉर्डिनेटर डॉक्टर अमित मलिक ने कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी के अहम रोल के बारे में कहा, ”इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी में यह एडवांस तकनीक दिल की असामान्य धड़कन के बारे में बताने के लिए लिए हार्ट की विद्युत गतिविधि का मूल्यांकन करने के लिए जरूरी है. अनियमित लय दिल के सामान्य काम को बिगाड़ सकती है, और इससे हार्ट अटैक, हार्ट फेल और अचानक कार्डियक अरेस्ट जैसी गंभीर बीमारी होने का रिस्क रहता है.

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हार्ट के वाल्व को ठीक कर लेते हैं, उसे बदलने की जरूरत नहीं
मैक्स हॉस्पिटल वैशाली में कार्डियक सर्जरी (सीटीवीएस) के हेड व सीनियर डायरेक्टर डॉक्टर संदीप सिंह ने बताया, ”कार्डियक सर्जरी में काफी बदलाव आ गए हैं, अब मिनिमली इनवेसिव सर्जरी की जा रही हैं जिसमें सर्जरी के बाद बहुत ही छोटा और दर्द रहित पीरियड फेस करना पड़ता है. कैथेटर आधारित प्रक्रियाओं के जरिए हार्ट के वाल्व को ठीक कर लिया जाता है और वाल्व बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ती है.

मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा चिंताजनक
इससे जुड़े लक्षणों को इग्नोर करने से हार्ट का साइज बड़ा हो सकता है, सांस की समस्या हो सकती है और आखिरकार हार्ट फेल होने का खतरा रहता है. इस तरह के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है और मरीज लंबे समय से इलाज पर चल रहे हैं और ज्यादा से ज्यादा मरीज आखिरकार हार्ट फेल का शिकार हो रहे हैं. हार्ट फेल से जुड़े ऐसे मामलों में ईसीएमओ और एलवीएडी जैसे इलाज मरीजों के लिए उम्मीद बनकर आए हैं.”

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