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Delhi police
– फोटो : X: @DelhiPolice

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कई राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों समेत दिल्ली में नए कानूनों को एक जुलाई से लागू करने की घोषणा कर दी गई है। दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा के निर्देशों पर दिल्ली में नए कानूनों का ट्रायल व डमी एफआईआर की कार्रवाई शुरू कर दी गई है। मगर नए कानूनों के ट्रायल के दौरान दिल्ली पुलिसकर्मियों को काफी परेशानियां को सामना करना पड़ा रहा है। सबसे बड़ी समस्या नेट की स्पीड व वीडियोग्राफी करने को लेकर है। नई व्यवस्था में हर घटना की वीडियो व ऑडियो रिकार्डिंग अनिवार्य है।

दिल्ली पुलिस की एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आईपीसी की जगह लाई गई भारतीय आचार संहिता में सभी धाराएं बदल दी गई है। जांच अधिकारियों को इन धाराओं को याद करने व समझने में समय लगेगा। नए कानूनों में कहा गया है कि हर घटना की ऑडियो व वीडियोग्राफी होना अनिवार्य है। इसमें आरोपी की गिरफ्तारी व मौके से जब्त सामान(सीजर) की वीडियोग्राफी होना जरूरी है। कानून के जानकारी सवाल उठा रहे हैं कि क्या दिल्ली में हर घटना की वीडियोग्राफी संभव है। ये वीडियो व ऑडियोग्राफी ई-प्रमाण पत्र से बनाई जाएंगी। ई-प्रमाणपत्र दिल्ली पुलिस के हर जवान को अपने मोबाइल में अपलोड करना पड़ेगा। सवाल ये खड़ा होता है कि काफी पुलिसकर्मियों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं हैं। ऐसे में एंड्रॉयड फोन रखने वाले पुलिसकर्मी उनसे कैसे कम्युनिकेट करेंगे।

उदाहरण के तौर पर संगम विहार थाने में हर रोज 150 से 180 पीसीआर कॉल आती हैं। क्या इन घटनाओं की वीडियोग्राफी होना व सुरक्षित रखना संभव है। क्या पुलिसकर्मियों को वीडियो को अपने पास 48 घंटे से ज्यादा समय तक रखने के लिए पेन ड्राइव दी जाएगी। इसके अलावा पुलिसकर्मियों को ई-प्रमाण पत्र से वीडियो को मुख्य सर्वर पर अपलोडिंग भी नहीं आती। अगर पुलिसकर्मी कहीं दूर से आ रहा है और 48 घंटे में दिल्ली नहीं पहुंचा तो वह कैसे वीडियो को मुख्य सर्वर पर पर कैसे लोड करेगा। वीडियो लोड नहीं की तो उसकी नौकरी खतरे में पड़ जाएगी। बताते चलें कि नए नियमों में 48 घंटे में वीडियो अपलोड न करने पर वीडियो स्वत: ही डिलीट हो जाएगी और संबंधित कर्मी या अफसर के खिलाफ चार्जशीट खुद ही कोर्ट व पीपी के पास चली जाएगी।

नेटवर्क की स्पीड भी है मुश्किलों का सबब

नए कानून पूरी तरह तकनीक पर आधारित हैं। इसके लिए हाईस्पीड नेट की जरूरत है। मगर दिल्ली पुलिस के हर थाने में स्थानीय नेट और सीसीटीएनएस के लिए हर थाने में साइबर हाइवे नेट लगा हुआ है। ट्रायल के दौरान हर थाने का नेटवर्क बहुत ही स्लो हो जाती है और सर्वर अटक-अटक कर चलता है। ऐसे में प्रशासन को हाईस्पीड वाले नेट लगवाने होंगे। थानों में अन्य आवश्यक संसाधनों की भी कमी है।

पीड़ित महिला की पहचान उजागर होने की संभावना-

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, नए कानूनों में पीडि़त महिला की पहचान उजागर होने की संभावना है। जब कोर्ट में चार्जशीट खोली जाएगी तो महिला का फोटो भी होगा। हालांकि ये कोर्ट पर निर्भर करेगा कि वह चार्जशीट व वीडियो को बंद कमरे में खोलता है या और कहीं। ये अभी तय नहीं किया गया है।

पुलिस कर्मियों को दिया जाएगा लिंक

जब ई-प्रमाण पत्र से वीडियो, ऑडियो व सीज आदि मुख्य सर्वर में लोड़ किए जाएंगे तो एक बेवसाइड लिंक और की मिलेगी। जिसके पास लिंक व की होगी वहीं मुख्य सर्वर पर केस से संबंधित जानकारी देख सकता है। इस मामले में भी कई जानकारियां अस्पष्ट हैं।

कानून में यह प्रावधान होंगे नए

  • आईपीसी की जगह भारतीय आचार संहिता लाई गई है। इसमें कर अपराध की धाराओं को अलग क्रमांक दिया गया है। साथ ही कुछ नए अपराधों को भी संहिता में जोड़ा गया है।
  • कानून में घटना की वीडियोग्राफी व ऑडियो रिकार्डिंग को अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए पुलिसकर्मी को अपने मोबाइल में ई-प्रमाणपत्र लोड करना पड़ेगा।
  • सीसीटीएनएस भी नया लाया जा रहा है। नए सीसीटीएनएस में नए कानून की नवीन धाराएं होंगी। इन्हें समझना व लागू करना पुलिस के लिए चुनौती साबित होगा।

40 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को दी जा चुकी है ट्रेनिंग

दिल्ली पुलिस अकादमी के अधिकारी आसिफ मोहम्मद ने बताया कि अब तक 40 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को नए कानूनों की ट्रेनिंग दी जा चुकी है। इसके अलावा अकादमी के मास्टर ट्रेनर भी जिलों में जाकर पुलिसकर्मियों को नए कानूनों का प्रशिक्षण दे रहे हैं। जिला पुलिस उपायुक्त भी अपने जिलों में प्रत्येक दिन ट्रेनिंग दिलवा रहे हैं।

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