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सुमित राजपूत/नोएडा: हर आदमी अपनी अपनी जिंदगी में स्ट्रगल करते हुए परिवार को आगे बढ़ाता है, जिससे वह परिवार या उस परिवार के बच्चे बुढ़ापे में उनका सहारा बन सकें, लेकिन नोएडा के कुलेसरा गांव में रहने वाले एक बुजुर्ग दंपति ने कभी सोचा भी नही था कि उनकी जिंदगी में कभी कोई ऐसी मोड़ पर आएगी.  बुजुर्ग को उन्हे अपने छोड़कर उनसे पहले चल बसेगें.

आज इस बुजुर्ग दंपति के 2 बेटे और 2 बहुओं की मौत हो चुकी है. इनके पास फिलहाल चार नाती-नातिन हैं. फिलहाल इस अधूरे परिवार की जिम्मेदारी छोटू फाउंडेशन चलाने वाले रिक्की जॉनसन ने उठाई है. जो बीते 2 साल से लगातार इनके लिए राशन और आर्थिक जिम्मा उठा रहे हैं. ऐसे कोई बुजुर्ग या परिवार आपको कहीं दिखे तो आप इस संस्था को ऑनलाइन के माध्यम सूचना दे सकते हैं.

परिवार में नही है कोई
छोटे- छोटे बच्चों के चेहरे पर ऊपर की हंसी के साथ अपना गम छुपाता ये परिवार बड़ा ही दर्द लिए बैठा है. ये बुजुर्ग दंपति नोएडा एनसीआर से सटे जनपद बुलंदशहर का रहने वाला है.  आज से करीब 20 साल पहले इन्होंने अपना गांव छोड़ दिया. जिससे उनके बच्चे पढ़ लिखकर अपना जीवन यापन कर सकें, लेकिन उस समय उनके दो लड़के थे, कुछ साल बाद दोनों की शादी हुई और फिर घर में नाती नातिन आए तो परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं था.

करीब 85 साल के पदम सिंह की जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया जो कभी नहीं बदला. धीरे-धीरे किसी बीमारी के कारण उनके दोनों बेटे और पुत्रबधु भी मर गई. कुछ ही सालों में घर में 4 मौत से गम और बोझ का पहाड़ टूट गया.  फिर एक नातिन भी चल बसी. फिलहाल बुजुर्ग के परिवार में 4 नाती-नातिन समेत कुल 6 लोग हैं.

ऐसा परिवार दिखने पर यहां करें सूचित
फिलहाल पदम सिंह और जावित्री देवी अपने चार नाती और नातिन के साथ झुग्गी में रहते हैं.  किसी तरह छोटू फाउंडेशन को पता चला तो इस परिवार का जिम्मा इन्होंने उठाया. बीते 2 सालों से परिवार का पूरी तरह खर्चा छोटू फाउंडेशन उठा रहा है. इन छोटे-छोटे बच्चों के लिए पढ़ाई से संबंधित हर समिग्री इस संस्था के संचालक रिक्की जॉन्सन उठा रहे हैं. अगर आपको भी ऐसा कोई परिवार कहीं दिखे या आपके आस पास है तो आप ऑनलाइन के माध्यम से chhotfoun.in पर बता सकते हैं.

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