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Delhi AIIMS
– फोटो : ANI

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बढ़ती उम्र बुजुर्गों का दर्द बढ़ा रही है। समय पर इसका इलाज न होने से हार्ट फेलियर, उच्च रक्तचाप, कब्ज, स्मरण शक्ति की क्षति सहित दूसरी शारीरिक मुश्किलें बढ़ जाती है। इसके अलावा देखा गया है कि ऐसे बुजुर्गों में भूख कम होना, मनोरोग की समस्या बढ़ना भी आम हो जाता है। दर्द शरीर को कमजोर करने के साथ रोग से लड़ने की क्षमता को भी प्रभावित करता है।

इसका खुलासा एम्स के एक अध्ययन में हुआ है। एम्स के डॉ. बीआरए इंस्टीट्यूट-रोटरी कैंसर अस्पताल के ओन्को-एनेस्थीसिया और प्रशासक चिकित्सा विभाग के डॉक्टरों ने इसे लेकर एक शोध किया। एम्स में शनिवार को आयोजित हुए आईएपीसी के दिल्ली स्टेट चेप्टर में इस शोध को प्रस्तुत किया गया।

 

विशेषज्ञों का कहना है कि दर्द वृद्ध लोगों द्वारा बताए गए सबसे आम लक्षणों में से एक है। यह इनके दैनिक जीवन की गतिविधियों को प्रभावित करता है। मौजूदा समय देश में तेजी से वृद्ध आबादी बढ़ रही हैं। ऐसे में तीव्र और दीर्घकालिक दर्द प्रबंधन की जरूरत है। अभी तक ऐसा देखा गया है कि कई चिकित्सक व पेशेवर यह मानते हैं कि दर्द उम्र बढ़ने का एक स्वाभाविक परिणाम है, लेकिन शोध से पता चला है कि बुजुर्गों द्वारा खुद के बारे में जानकारी न देने के कारण दर्द का आकलन करना मुश्किल हो जाता है। यदि चिकित्सक दर्द की पहचान व उसका कारण जान लें तो समय पर बुजुर्गाें में दर्द का प्रबंधन किया जा सकता है। इससे उन्हें भविष्य में होने वाली समस्याओं से बचाया जा सकता है। 

इन विशेषज्ञों ने किया अध्ययन 

अध्ययन करने वालों में डॉक्टर सुषमा भटनागर, डॉ. रेवती विजयकुमार, डॉ. संजीव कुमार, डॉ. हिमांशु वार्ष्णेय, डॉ. भावेश पंगरिया, डॉ. नीथू सुसान सचिदानंद भारती, डॉ. राकेश गर्ग और डॉ. सीमा मिश्रा का नाम शामिल है।

दर्द होने के कारण 

  • कैंसर के बाद का दर्द
  • आर्थराइटिस  
  • पोस्ट हेरपटिक नूरलगिया
  • मायोफेशियल पेन सिंड्रोम
  • पीठ के निचले हिस्से में पुराना दर्द 
  • रीढ़ की नाल का पतला होना
  • वाइडस्प्रेड पेन 
  • कोविड के बाद दर्द

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