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शाश्वत सिंह/झांसी: भारतीय लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व चल रहा है. लोकसभा चुनाव के 2 चरणों के लिए मतदान संपन्न हो चुके हैं. अन्य चरणों के लिए प्रचार और नामांकन की प्रक्रिया जारी है. 1980 के दशक के बाद चुनावों में लंबे समय तक बाहुबलियों का भी हस्तक्षेप रहा है. कई अपराधियों ने तो जेल से चुनाव भी लड़ा है. मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, अमरमणि त्रिपाठी जैसे कई लोगों ने जेल के अंदर से चुनाव लड़ा भी और जीता भी है.

चुनाव की प्रक्रिया में जहां एक तरफ जेल के अंदर बंद कैदियों को वोट देने का अधिकार नहीं होता है तो वहीं दूसरी तरफ जेल में बंद कैदी आसानी से चुनाव लड़ लेते हैं. चुनाव लड़ने के लिए हर व्यक्ति को पीठासीन अधिकारी के सामने नामांकन पत्र जमा करना होता है. इसके साथ ही चुनाव लड़ने के इच्छुक व्यक्ति को एक शपथ भी लेनी होती है. लेकिन, जेल में बंद व्यक्ति नामांकन कैसे करता है? क्या नामांकन करने के लिए कैदी को जेल से बाहर जाने की अनुमति मिलती है?

कौन हो सकता है प्रतिनिधि
झांसी के एडीएम वित्त एवं राजस्व वरुण पांडेय ने बताया कि कैदी जेल से चुनाव लड़ते हैं वह अपने प्रतिनिधि के माध्यम से नामांकन कर सकते हैं. प्रतिनिधि कौन हो सकता है. इसके लिए भी नियम तय हैं. अधिकतर मामलों में परिवार का कोई सदस्य ही प्रतिनिधि हो सकता है. नए नियमों के अनुसार जेल में बंद सिर्फ विचाराधीन कैदी ही चुनाव लड़ सकते हैं. सजायफ्ता कैदी के चुनाव लड़ने पर पूरी तरह रोक है.

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