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सिमरनजीत सिंह/शाहजहांपुर : धान और गेहूं के मुकाबले गन्ने की फसल किसानों को अच्छी आमदनी देती है. गन्ने की फसल में मौसम की मार को झेलने की ज्यादा क्षमता होती है. भारत में गन्ने का औसत उत्पादन 62 टन प्रति हेक्टेयर माना गया है. लेकिन गन्ने की नई-नई विधियों के बाद वैज्ञानिकों का दावा है कि गन्ने की पैदावार को 3 से 4 गुना तक बढ़ाया जा सकता है. उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर किसान परंपरागत विधि को छोड़कर रिंग पिट विधि का इस्तेमाल करें तो गन्ने का उत्पादन ज्यादा लिया जा सकता है.

उत्तर प्रदेश गन्ना शोध संस्थान के प्रसार अधिकारी डॉ. संजीव पाठक ने बताया कि गन्ने की फसल किसानों की पसंदीदा फसलों में से एक है. ऐसे में अगर किसान गन्ने की परंपरागत विधि को छोड़कर रिंग पिट विधि से गन्ने की फसल लगाएं तो किसानों को अच्छा उत्पादन मिलेगा.

परंपरागत विधि से गन्ने की बुवाई में नुकसान
डॉ. संजीव पाठक ने बताया कि परंपरागत तरीके से गन्ने की खेती करने के लिए 90 सेंटीमीटर पर कूड़ खोदे जाते हैं. तीन आंख के टुकड़े से गन्ने की बुवाई की जाती है. जिससे जमाव बेहद कम रहता है. 30% से 40% जमाव ही हो पाता है. परंपरागत विधि से गन्ने की खेती करने में फुटाव भी कम होता है. करीब 40% कल्ले गन्ने में तब्दील होते हैं. जिसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ता है. इस विधि से गन्ने की खेती करने में पूरे खेत में सिंचाई करनी होती है तो पानी की खपत भी ज्यादा होती है. परंपरागत विधि से गन्ने की बुवाई करने के लिए 60 से 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बीज की आवश्यकता होती है. परंपरागत तरीके से गन्ने की खेती करने से 600 से 700 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से गन्ने का उत्पादन मिलता है.

कितना फायदेमंद है रिंग पिट विधि?
डॉ. संजीव पाठक ने बताया कि रिंग पिट विधि किसानों को सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली विधि है. लेकिन इस विधि से गन्ने की खेती करना थोड़ा सा महंगा है. क्योंकि अगर किसान के पास रिंग डिगर नहीं है तो किसानों पर बुवाई के दौरान लेबर खर्च ज्यादा आता है. वही इस विधि से खेती करने के लिए परंपरागत विधि के मुकाबले ज्यादा बीज की जरूरत होती है. क्योंकि बीज तैयार करते समय मातृ पौधे ही लिए जाते हैं. इस विधि से गन्ना उगाकर सहफसली नहीं कर सकते हैं. लेकिन इस विधि से बोई हुई गन्ने की फसल में मौसम की मार को झेलने की क्षमता ज्यादा हो जाती है. इस विधि से गन्ने की बंधाई अच्छे से हो जाती है और बारिश के दौरान तेज हवा चलने से गन्ना गिरता नहीं है.

कैसे करें गन्ने की बुवाई ?
डॉ. संजीव पाठक ने बताया कि रिंग पिट से बुवाई करने के लिए किसानों को 90 सेंटीमीटर व्यास का गड्ढा खोदना होता है. गड्ढे की गहराई 30 से 45 सेंटीमीटर रहती है जबकि गड्ढे से गड्ढे की दूरी केंद्र से करीब 120 सेंटीमीटर रखी जाती है. एक हेक्टेयर में करीब 6750 गड्ढे बनाए जाते हैं. हर गड्ढे में दो या तीन आंख वाले गन्ने रखे जाते हैं. एक गड्ढे में 35 से 40 आंखों की बुवाई की जाती है. इस विधि से गन्ने की बुवाई करने से निकलने वाले ज्यादातर कल्ले गन्ने में तब्दील हो जाते हैं. रिंग पिट विधि से उगाए हुए गन्ने से चीनी ज्यादा मिलता है. इस विधि से 900 से 1100 क्विंटल प्रति एकड़ के हिसाब से किसान उपज ले सकते हैं.

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