–पवन कल्याण ने जो कहा, वही आज की सच्चाई है: ‘हिंदी से जुड़ना भारत से जुड़ना है’
उदय भूमि संवाददाता
हैदराबाद/नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण द्वारा हिंदी भाषा के पक्ष में दिए गए बयान को लेकर अभिनेता प्रकाश राज के द्वारा सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी अब तूल पकड़ती जा रही है। इसी मुद्दे पर जनहित व राष्ट्रहित के प्रखर योद्धा जनसेवक तरुण मिश्रा ने प्रकाश राज को कड़ी चेतावनी देते हुए तीखा बयान जारी किया है। तरुण मिश्रा ने कहा कि हिंदी भाषा का अपमान सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने प्रकाश राज पर सीधे प्रहार करते हुए कहा कि प्रकाश राज भले ही अच्छे अभिनेता हैं, लेकिन उनका यह कथन बेहद शर्मनाक और निंदनीय है। जिस हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से उन्हें पहचान, शोहरत और दौलत मिली, उसी भाषा के खिलाफ जहर उगलना घोर दुर्भाग्यपूर्ण है।
तरुण मिश्रा ने कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने प्रकाश राज को जो पहचान, सम्मान और शोहरत दी, उसका वे आज तक लाभ ले रहे हैं। वह खुद हिंदी की दर्जनों फिल्मों में अभिनय कर करोड़ों कमा चुके हैं। आज वही व्यक्ति इस भाषा का अपमान कर रहा है, जो न केवल उनके व्यक्तित्व की नींव बनी, बल्कि जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दिलाई। उन्होंने तीखे स्वर में कहा कि अगर प्रकाश राज को हिंदी से इतनी ही आपत्ति है, तो उन्हें हिंदी फिल्मों में काम करना बंद कर देना चाहिए। वे हिंदी दर्शकों के पैसे से फिल्में करते हैं, उनके दम पर खड़े हैं, और उसी भाषा पर हमला बोल रहे हैं। यह खुद को बेचने की असल परिभाषा है।
तरुण मिश्रा ने यह भी कहा कि हम किसी क्षेत्रीय भाषा का अपमान नहीं करते, लेकिन हिंदी के खिलाफ लगातार खड़ा किया जा रहा दुष्प्रचार अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हिंदी हमारी मातृभाषा ही नहीं, हमारी संस्कृति और आत्मगौरव का प्रतीक है। इस देश में करोड़ों लोग हिंदी बोलते, सोचते और जीते हैं। और जिस भाषा से इतना कुछ मिला, उसके लिए इतनी घृणा क्यों? यह सवाल सिर्फ प्रकाश राज से नहीं, बल्कि उन सभी लोगों से है जो हिंदी के खिलाफ अनर्गल बोलने को स्वतंत्रता का नाम देने लगे हैं।
पवन कल्याण द्वारा हैदराबाद में आयोजित राजभाषा विभाग के ‘दक्षिण संवाद’ गोल्डन जुबली समारोह में दिए गए बयान में उन्होंने कहा था कि तेलुगू हमारे लिए मां के समान है, और हिंदी हमारी बड़ी मां है। यह पूरी भारतीयता को जोड़ती है। उन्होंने कहा था कि साउथ की फिल्में हिंदी में डब होकर देशभर में रिलीज होती हैं, जिससे उन्हें भारी कमाई होती है। फिर ऐसा रवैया क्यों है कि हिंदी से पैसा चाहिए, लेकिन भाषा सीखने में शर्म आती है?
प्रकाश राज ने इस बयान पर कटाक्ष करते हुए पवन कल्याण की नीयत पर ही सवाल उठा दिए, जो न केवल अशोभनीय था बल्कि इस बात का संकेत भी था कि कुछ लोगों की राजनीति अब भाषा के नाम पर विष घोलने का काम कर रही है। तरुण मिश्रा ने इस मानसिकता को खतरनाक बताया और स्पष्ट कहा कि राष्ट्रभाषा को अपमानित करने वाले स्वयं बिक चुके हैं। उन्होंने कहा कि ये वही लोग हैं जो हिंदी फिल्मों से खुद को चमकाते हैं, हिंदी मीडिया में अपने इंटरव्यू करवाते हैं, लेकिन जब भी मौका मिले, हिंदी का विरोध करते हैं।
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया है कि भाषा अब सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं रही, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता का सवाल बन चुकी है। तरुण मिश्रा ने दो टूक कहा कि हिंदी किसी की प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि देश को जोड़ने वाली वह डोर है, जिसे तोड़ने की कोशिश अब ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाली। देशवासी अब जाग चुके हैं। प्रकाश राज जैसे लोगों को यह समझना होगा कि भारत की आत्मा को बांटने की कोशिश अब काम नहीं आएगी। हिंदी भारत की धड़कन है, और इस पर हमला करना भारत की एकता पर हमला है। ऐसे बयान केवल सामाजिक कटुता फैलाते हैं और उन लोगों की असलियत उजागर करते हैं, जो मंच से कुछ और, मंच के पीछे कुछ और होते हैं।
तरुण मिश्रा ने अंत में कहा कि हिंदी विरोध अब एक नया फैशन बन गया है, जिससे खुद को प्रगतिशील और विद्रोही दिखाने की कोशिश की जाती है। लेकिन ये नकाब अब उतरने लगे हैं। जो भाषा भारत की सबसे बड़ी सांस्कृतिक विरासत है, उसके सम्मान में खड़ा होना आज हर भारतीय का कर्तव्य है। देश के करोड़ों हिंदीभाषियों की भावनाएं अब जाग चुकी हैं और हिंदी के खिलाफ बोले गए हर शब्द का जवाब अब पूरे देश की जनता देगी अपने सम्मान, स्वाभिमान और संस्कार से।
हिंदी राष्ट्रभाषा है, उसे अपमानित करने वाले खुद बिक चुके हैं”
तरुण मिश्रा ने कहा कि जिस भाषा ने आपको मंच, पैसा, प्रसिद्धि दी उस पर कीचड़ उछालना उसी थाली में छेद करने जैसा है। पवन कल्याण ने भारतीयता की बात कही, और प्रकाश राज ने अपनी संकीर्णता दिखाई। ये देश सब देख रहा है।
तेलुगू को ‘मां’, हिंदी को ‘बड़ी मां’ कहने वाले पवन कल्याण का समर्थन
उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने ‘दक्षिण संवाद’ में कहा, “तेलुगू हमारी मां है, पर हिंदी हमारी बड़ी मां है यह पूरे देश को एक सूत्र में बांधती है। तरुण मिश्रा ने यह उद्धरण जोर देकर दोहराया और कहा कि हिंदी विरोधी बयान दे कर प्रकाश राज ने राष्ट्रीय आत्मगौरव को ठेस पहुंचाई है। उनका कहना है कि जब तक हिंदी में दिल से सम्मान नहीं किया जाएगा, तब तक सांस्कृतिक एकता खतरे में रहेगी।
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