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तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का आज 90वां जन्मदिन है. इस मौके पर उन्होंने दुनिया भर के अपने अनुयायियों को एक भावुक संदेश दिया. उन्होंने खुद को एक ‘साधारण बौद्ध भिक्षु’ बताया और करुणा, सौहार्द और आंतरिक शांति के महत्व पर जोर दिया. हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में आयोजित समारोह में सैकड़ों अनुयायियों की मौजूदगी में दलाई लामा ने कहा कि भले ही वे व्यक्तिगत रूप से जन्मदिन नहीं मनाते, लेकिन यदि ऐसे अवसरों पर दूसरों की भलाई के लिए काम किया जाए तो वह उन्हें महत्व देते हैं.

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन की बधाई दी और उन्हें प्रेम, करुणा और धैर्य का प्रतीक बताया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘मैं 1.4 अरब भारतीयों के साथ परम पावन दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. वह प्रेम, करुणा, धैर्य और नैतिक अनुशासन के प्रतीक हैं. उनका संदेश सभी धर्मों में सम्मान और प्रेरणा का स्रोत रहा है. हम उनके अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की प्रार्थना करते हैं.’

‘दलाई लामा के निर्णय का पूरी तरह पालन करेंगे’

धर्मशाला में 14वें दलाई लामा के 90वें जन्मदिवस समारोह के दौरान केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘एक श्रद्धालु के रूप में और विश्वभर के लाखों श्रद्धालुओं की ओर से मैं यह कहना चाहता हूं कि जो भी निर्णय परम पावन (दलाई लामा) की ओर से लिए जाएंगे, जो भी परंपराएं और परिपाटियां स्थापित हैं, हम उन सभी का पूरी तरह पालन करेंगे. दलाई लामा संस्था की तरफ से जारी किए जाने वाले निर्देशों और मार्गदर्शन का हम पूर्ण रूप से अनुसरण करेंगे.’

अमेरिका ने भी भेजा बधाई संदेश

अमेरिका ने भी दलाई लामा को उनके 90वें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और तिब्बती समुदाय के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें अपने धार्मिक नेताओं को ‘बिना किसी हस्तक्षेप’ के चुनने का अधिकार होना चाहिए. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने एक बयान में कहा, ‘अमेरिका उनके 90वें जन्मदिन पर परम पूज्य दलाई लामा को शुभकामनाएं देता है. दलाई लामा एकता, शांति और करुणा का संदेश देकर लोगों को लगातार प्रेरित करते हैं.’

दलाई लामा का दुनिया को संदेश

दलाई लामा ने अपने संदेश में कहा, ‘मेरे 90वें जन्मदिन के अवसर पर मुझे यह जानकर खुशी हुई कि दुनिया भर में, विशेष रूप से तिब्बती समुदायों में, लोग इस अवसर को करुणा, सौहार्द और परोपकार के संदेश को आगे बढ़ाने के लिए उपयोग में ला रहे हैं. मैं खुद को सिर्फ एक साधारण बौद्ध भिक्षु मानता हूं. मैं सामान्यतः जन्मदिन नहीं मनाता, लेकिन चूंकि आप लोग इस दिन को लेकर आयोजन कर रहे हैं, इसलिए मैं कुछ विचार साझा करना चाहता हूं.’

उन्होंने कहा, ‘जहां भौतिक विकास आवश्यक है, वहीं मानसिक शांति प्राप्त करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है. यह तभी संभव है जब हम एक अच्छे दिल के साथ जीवन जिएं और केवल अपनों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी प्राणियों के लिए करुणा रखें. इसी के माध्यम से दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाया जा सकता है.’

130 साल तक जीवित रहने की आशा

दलाई लामा ने यह भी कहा कि वे मानव मूल्यों को बढ़ावा देने, धार्मिक सद्भाव, प्राचीन भारतीय ज्ञान की पुनर्स्थापना, और तिब्बती संस्कृति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने बौद्ध आचार्य शांतिदेव के एक श्लोक का जिक्र करते हुए कहा-

‘जब तक आकाश है, जब तक प्राणी हैं,
तब तक मैं भी रहूं,
दुनिया के दुखों को दूर करने के लिए.’

दलाई लामा ने जन्मदिन समारोह में यह भी आशा जताई कि वे 130 वर्ष तक जीवित रह सकें ताकि बुद्ध के सिद्धांतों और मानवता की सेवा को जारी रख सकें. उन्होंने 1959 में तिब्बत से निर्वासन के बाद भारत में अपने जीवन के अनुभव साझा करते हुए कहा कि धर्मशाला में रहते हुए वह लोगों की सेवा करते रहेंगे और मानसिक शांति तथा करुणा के माध्यम से दुनिया को सकारात्मक दिशा देने का प्रयास करते रहेंगे.

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