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UP News: शाहजहांपुर में होली पर लाट साहब का जुलूस निकाला जाता है, जिसमें 250 दरोगा और 1500 जवान तैनात किए गए हैं. 67 मस्जिदों को तिरपाल से ढका गया है. लाट साहब का जुलूस अंग्रेजों के क्रूर अफसरों के विरोध का प्र…और पढ़ें

लाट साहब की होली के लिए 250 दरोगा, 1500 जवान तैनात, मस्जिदें भी नजरबंद

Shahajahanpur News: शाहजहांपुर में लाट साहब के जुलूस को लेकर अलर्ट पर पुलिस

हाइलाइट्स

  • शाहजहांपुर में होली पर लाट साहब का जुलूस निकाला जाएगा.
  • जुलूस के लिए 250 दरोगा और 1500 जवान तैनात किए गए हैं.
  • जुलूस मार्ग की मस्जिदों को तिरपाल से ढका गया है.

शाहजहांपुर. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में होली के दिन लाट साहब का जुलूस निकाला जाता है. जिसको लेकर जिला प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली हैं. 10 किलोमीटर की जुलूस के रास्ते में पड़ने वाले 10 थानों के 250 दरोगा और 1500 जवानों की तैनाती की गई है. इतना ही नहीं रास्ते में पड़ने वाले 67 मस्जिदों और मजारों को भी तिरपाल से धक् दिया गया है. शाहजहांपुर के पुलिस अधीक्षक राजेश एस ने बताया कि बड़े लाट साहब के जुलूस के लिए शहर को तीन जोन और आठ सेक्टर में बांटा गया है.

गुरुवार को डीएम की अध्यक्षता में होली पर्व और छोटे-बड़े लाट साहब जुलूस कार्यक्रमों को शांति और सुरक्षा के साथ संपन्न करने के लिए एक बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में पुलिस अधीक्षक और अन्य संबंधित अधिकारी भी मौजूद थे. बैठक में जिलाधिकारी ने तहसील और थानों की व्यवस्थाओं की जानकारी ली. उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि होली के दौरान पेयजल आपूर्ति, सफाई और अन्य व्यवस्थाएं पूरी तरह से चाक-चौबंद रहें. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए गए कि प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सकों की आकस्मिक सेवाओं के लिए ड्यूटी लगाई जाए.

जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि सभी संबंधित अधिकारी जुलूस मार्गों और होली दहन स्थलों का स्वयं निरीक्षण करें और सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित करें. जुलूस में लगे सभी अधिकारी अपनी ड्यूटी पर समय से पहुंचें और जुलूस समाप्ति तक अपने ड्यूटी पॉइंट पर तैनात रहें.

अंग्रेजों के शासन के क्रूर अफसर का विरोध
शाहजहांपुर में लाट साहब का मतलब अंग्रेजों के शासन के क्रूर अफसर का विरोध है. यहां लाट साहब का जुलूस निकाला जाता है. पहले एक युवक को लाट साहब के रूप में चुना जाता है. उसका चेहरा ढक कर उसे जूते की माला पहनाकर बैलगाड़ी पर बैठाकर तय मार्ग पर घुमाया जाता है.  इस दौरान लाट साहब पर अबीर-गुलाल के साथ जूते-चप्पल भी फेंके जाते हैं.  शाहजहांपुर में लाट साहब के दो जुलूस निकाले जाते हैं, जिसको छोटे और बड़े लाट साहब के नाम से जाना जाता है.

मस्जिद और मजारों को ढका गया
67 होली के दिन रास्ते में पड़ने वाली मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया गया है. लाट साहब को कोतवाल सलामी देते हैं. चौक से शुरू होने वाले इस जुलूस का रुट करीब 8 किलोमीटर का है, जहां कोतवाल उनको सलामी देकर नेग देते हैं. उसके बाद रोशनगंज, बेरी चौकी, अंटा चौराहा होते हुए थाना सदर बाजार क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद बाबा विश्वनाथ मंदिर तक ले जाकर उसका समापन किया जाता है. इस दौरान दोनों जुलूसों के रूट के 67 मस्जिद और मजारों को तिरपाल से ढक दिया गया है, ताकि इस दौरान धार्मिक स्थल पर रंग फेंक कर कोई माहौल को न बिगाड़ सके.

लगा था प्रतिबन्ध
अंग्रेजों के शासन के बाद होली पर जुलूस निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया, लेकिन लोगों ने इस परम्परा को बंद नहीं किया. पहले जो जुलूस उत्सव के रूप में निकाला जाता था. अब उसे अंग्रेजों के विरोध में निकाला जाने लगा. इसका नाम नवाब साहब के जुलूस की जगह लाट साहब का जुलूस कर दिया गया. अंग्रेजों का भारत के लोगों पर बहुत जुल्म था, यही वजह है कि 1947 के बाद से इस जूलूस में हुड़दंगई शामिल हो गई.

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लाट साहब की होली के लिए 250 दरोगा, 1500 जवान तैनात, मस्जिदें भी नजरबंद

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