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नई दिल्ली25 मिनट पहले

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यमुना नदी के 33 में से 23 साइट्स वाटर क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गए हैं। यहां पानी में ऑक्सीजन की मात्रा लगभग जीरो पाई गई है। वाटर रिसोर्स पर बनाई गई पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी ने यह जानकारी दी है।

स्टैंडिंग कमेटी ने मंगलवार (11 मार्च) को यह रिपोर्ट संसद में पेश की है। 33 साइट्स की मॉनिटरिंग के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें दिल्ली के भी 6 साइट्स शामिल हैं।

पैनल के मुताबिक 23 साइट्स की रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात सामने आई है। इन जगहों पर पानी में घुलित ऑक्सीजन (Dissolved Oxygen) का स्तर जीरो पाया गया है। घुलित ऑक्सीजन नदी के जीवन को बनाए रखने की क्षमता को दर्शाता है।

दिल्ली में ऊपरी यमुना नदी सफाई परियोजना और नदी तल प्रबंधन पर अपनी रिपोर्ट में पैनल ने चेतावनी दी कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STP) के निर्माण और अपग्रेडेशन के बावजूद प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से ऊंचा बना हुआ है।

जनवरी 2021 से मई 2023 के बीच हुई जांच

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ जनवरी 2021 से मई 2023 के बीच 33 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता का आकलन किया। इसे घुलित ऑक्सीजन (DO), पीएच, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) और फेकल कोलीफॉर्म (FC) के चार प्रमुख पैरामीटर पर जांचा गया।

उत्तराखंड-हिमाचल में स्थिति बेहतर

रिपोर्ट के मुताबिक 33 मॉनिटरिंग साइट्स में से उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के 4 – 4 साइट्स जल गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करते हैं। हरियाणा में सभी छह साइटें विफल रहीं। दिल्ली में 7 साइटों में से कोई भी 2021 में मानकों का अनुपालन नहीं करती है, हालांकि पल्ला साइट में 2022 और 2023 में सुधार दिखा था।

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यमुना के तल में जमा मलबा बड़ी चिंता

यमुना नदी के तल में जमा हुआ मलबा एक बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। दिल्ली सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग द्वारा सीएसआईआर-नीरी के सहयोग से एक स्टडी की गई। इसमें मानसून-पूर्व अवधि के दौरान पुराने लोहे के पुल, गीता कॉलोनी और डीएनडी पुल के ऊपर की ओर जैसे प्रमुख स्थलों से कीचड़ के सैंपल कलेक्ट किए गए। नमूनों में क्रोमियम, तांबा, सीसा, निकल और जस्ता जैसी भारी धातुओं के उच्च स्तर पाए गए।

पैनल ने नियंत्रित ड्रेजिंग की सिफारिश की

पैनल ने इस जहरीले कीचड़ को हटाने के लिए नियंत्रित ड्रेजिंग की सिफारिश की। साथ ही यह चेतावनी दी कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य खतरा पैदा करता है और नदी की गुणवत्ता को खराब करने का सबसे बड़ा कारण बन सकता है। ड्रेजिंग से नदी का तल अस्थिर होने का खतरा है।

हालांकि, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) ने चिंता जताई कि बड़े पैमाने पर ड्रेजिंग से नदी का तल अस्थिर हो सकता है और पर्यावरणीय गिरावट का कारण बन सकता है। पैनल ने यमुना में पर्यावरणीय प्रवाह (ई-फ्लो) को बनाए रखने में विफलता को भी चिह्नित किया।

यमुना बेसिन राज्यों के बीच 1994 के समझौता ज्ञापन के अनुसार, हरियाणा को पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए हथिनी कुंड बैराज से 10 क्यूमेक्स पानी छोड़ना आवश्यक है। हालांकि, समिति ने पाया कि यह प्रवाह अपर्याप्त है, क्योंकि इसका अधिकांश हिस्सा दिल्ली पहुंचने से पहले ही वाष्पित हो जाता है या रिसकर बह जाता है।

दिल्ली में अनधिकृत उद्योगों के आंकड़े स्पष्ट नहीं

रिपोर्ट में दिल्ली में चल रहे अनधिकृत उद्योगों के आंकड़ों की कमी की भी आलोचना की गई है। दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम (DSIIDC) ने पैनल को सूचित किया कि वह केवल 28 स्वीकृत औद्योगिक क्षेत्रों की निगरानी करता है।

इनमें से 17 क्षेत्र 13 सामान्य अपशिष्ट उपचार संयंत्रों (CETP) से जुड़े हैं। शेष 11 को जल प्रदूषणकारी औद्योगिक क्षेत्रों के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है।

हालांकि, पैनल ने कहा कि अनधिकृत औद्योगिक इकाइयों पर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है जो यमुना में अनुपचारित अपशिष्टों को छोड़ रहे हैं। पैनल ने सिफारिश की कि दिल्ली सरकार ऐसी इकाइयों की पहचान करने और प्रदूषण नियंत्रण उपायों को मजबूत करने के लिए स्टडी करे।

पैनल ने घरेलू सीवेज के उपचार में विफलता की ओर भी इशारा किया। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 22 प्रमुख नाले अनुपचारित सीवेज को सीधे यमुना में छोड़ते हैं। यमुना दिल्ली में 40 किलोमीटर के क्षेत्र से होकर बहती है। यह हरियाणा से पल्ला में प्रवेश करती है और असगरपुर में उत्तर प्रदेश में निकलती है।

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