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हाल में लोकसभा में भारत चीन लद्दाख सीमा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आया.  समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने लोकसभा में अपने भाषण में इस विवाद के हालात चिंता जताते हुए कहा कि चीन अब भी हमारी काफी जमीन दबा कर बैठा है और हमारी सेना अपनी सीमा के अंदर पीछे हटी है और चीनी सेना हमारे पीछे हटने के बाद भी हमारी सीमा के अंदर हैं. अखिलेश ने उस मुद्दे को उठाया है जो दशकों से भारत चीन के बीच सुलझ नहीं पाया है और जो भारत और चीन के बीच के विवाद की प्रमुख जड़ भी है. भाषण के दौरान उन्होंने रेजांग ला का जिक्र किया था. आइए जानते हैं कि यह रेजांग ला क्या है.

क्या कहा अखिलेश यादव ने
अखिलेश ने लोकसभा में संविधान पर बहस के दौरान इसका जिक्र किया था. शुक्रवार को हुए लोकसभा सत्र पर अखिलेश यादव ने चीन के साथ देश की सीमा कि स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा, “चीन ने हमारी सीमाओं पर गांव की कितने तरह के घर बसा दिए हैं. हम अपनी सीमा में ही पीछे हटे हैं और चीन की सेना जो हमारी सीमा के अंदर आ गई थी. वहीं से चीनी  सेनाआंशिक रूप से  पीछे हटी है.”

रेजांग ला का जिक्र
यादव ने कहा, “वहां पर रेजांग ला मेंमोरियम तोड़ दिया गया है. उस पर कहा गया था कि हमारी वह फौज है… वहीं तो फर्क है, कहां पर था और कहां बना है? केवल 12 किलोमीटर सड़क बनी तब पड़ोसी देश से ना जाने क्या क्या कहा गया था. वो समय आएगा जब हमें मानसरोवर और कैलाश पर जाने के लिए भी वह देश हमें रोकने लगेगा. हमारी आज 75 साल बाद कितनी सुरक्षित हैं, क्या हमारी फौज वहीं खड़ी है जहां पहले खड़ी थी. अगर आप रेजांग ला जानते होंगे तो क्या हमारे देश की सीमाएं आज वहां हैं जहां थी.”

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यह रेजांग ला मेमोरियल नया बना है जो मूल मेमोरियल से काफी दूर है. (तस्वीर: Instagram)

तो क्या है रेजांग ला
रेजांग ला भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक पहाड़ी दर्रा है जो भारत के वर्तमान लद्दाख और चीन के कब्जे वाले लद्दाख के स्पैंगगुर झील बेसिन के बीच में है. यह दर्रा चुशूल घाटी के वाटरशेड शीर्ष रेखा पर है. इसके पर चीन का दावा है कि यह दोनों देशों के बीच की सीमा है जबकि भारत का दावा है कि सीमा रेखा और अधिक पूर्व की और है. इसी रेजांग ला को चीन रेचिन ला नाम से पुकारता है. साफ है  रेजांग ला और इसके आसपास का इलाका पूरी तरह से पहले भारत का हिस्सा था जिसमें 1962 के बाद बदलाव दिख रहा है.

रेजांग ला की लड़ाई
1962 में भारत चीन युद्ध में रेजांग ला एक अहम युद्ध स्थल था. यहां  पर हुए लड़ाई का भारतीय नेतृत्व शैतान सिंह ने किया था जो युद्ध में शहीद हो गए थे और उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. इस युद्ध में भारतीय दल की 13 वीं कुमाऊं रेजिमेंट की टुकड़ी में केवल 124 सैनिक थे. जबकि चीनी सेना ने 8 बार सैनिकों के दल यहां लड़ाई के लिए भेजे थे. बताया जाता है कि भारत के 122 सैनिक मारे गए और चीन के भी करीब  1300 से अधिक सैनिक मारे गए थे. युद्ध में भारतीय सैनिकों को पीछे हटना पड़ा था.

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यही मूल रेजांग ला मेमोरियल है जिसे चीनी सेना ने बफर जोन में होने के कारण तोड़ा था. (तस्वीर: X.com)

क्या है रेजांग ला मेमोरियल?
रेजांग ला मेमोरियल चुशुल से करीब 12 किलोमीटर दूर चुशुल के मैदानों में, 15,000 फीट की ऊंचाई पर चुशुल-त्सागा ला रोड पर स्थित है. इसे भारतीय सैनिकों ने 1963 में कुमाऊं रेजिमेंट के उन बहादुर सैनिकों के सम्मान में बनाया था, जिन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में लड़ाई लड़ी थी. वर्तमान में जो  रेजांग ला मोरियल  है, वह वास्तविक नियंत्रण रेखा से 40 मिनट की दूरी पर है, जबकि मूल मेमोरियल को  चीनियों ने बफर जोन में होने के कारण तोड़ दिया था.

Tags: Akhilesh yadav, India china border dispute, India news, Lok sabha

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