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शांतिवन के पास तैनात पीसीआर
– फोटो : विवेक निगम

विस्तार


दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट आपात स्थिति में घटनास्थल पर सबसे पहले पहुंचकर लोगों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है। इसका सबसे महत्वपूर्ण काम यह होता है कि स्थिति पर नियंत्रण किया जाए और घायल को तुरंत अस्पताल पहुंचाया जाए। पीसीआर यूनिट दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में रोजाना औसतन 95 लोगों को अस्पताल पहुंचाती है। इनमें सड़क हादसों में घायल, फायरिंग, चाकूबाजी या फिर किसी अन्य आपात स्थिति में घायल हुए लोग शामिल होते हैं।

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इस साल एक जनवरी से 15 नवंबर तक पीसीआर यूनिट ने 31,094 घायलों को अस्पताल में पहुंचाया है। इसके साथ ही 63 अपराधियों को भी पकड़ा है। 973 चोरी के वाहन बरामद किए हैं। दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) को किसी भी प्रकार की घटना की सूचना सबसे पहले दी जाती है। टीम स्थिति को देखते हुए आगे की कार्रवाई करती है। घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाती है तथा पुलिस को घटना के संबंध में सूचित करती है। 

2021 में पुलिस आयुक्त ने भंग कर दी यूनिट…

दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट को 2021 में तत्कालीन पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने भंग कर उसका जिला पुलिस के साथ विलय कर दिया था। इसके बाद कमांड रूम को किसी भी घटना के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पा रही थी। कई तरह की विसंगतियां सामने आने पर 2023 में पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा ने इसे फिर से अगल यूनिट बना दिया था। वर्तमान में पीसीआर यूनिट में छह हजार के करीब पुलिसकर्मी हैं। आपात स्थिति से निपटने के लिए 800 पीसीआर वैन हैं। पीसीआर यूनिट का एक डीसीपी होता है।

गर्भवती महिलाओं को भी पहुंचाया अस्पताल…

सिर्फ आपराधिक वारदातों में ही नहीं पीसीआर यूनिट प्रतिक्रिया देती बल्कि आपात स्थिति में भी इसकी मदद ली जाती है। इस साल 18 गर्भवती महिलाओं को पीसीआर ने अस्पताल पहुंचाया। वहीं, 92 ऐसी घटनाएं हुईं जिसमें आपात स्थिति में फंसे पशु पक्षियों की भी मदद की है। 597 बच्चों को उनके परिजनों को सौंपा जो किसी कारणवश लापता हो गए थे।

तीन जिलों में सबसे ज्यादा मामले…

दिल्ली पुलिस के 15 जिलों में से तीन ऐसे जिले हैं जहां पर सबसे ज्यादा 3 हजार से अधिक लोगों को मदद पहुंचाई गई है। इसमें द्वारका, उत्तर पूर्वी और उत्तरी बाहरी जिला शामिल हैं।

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