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किसान नेता जगजीत डल्लेवाल की जांच करती डॉक्टरों की टीम।

फसलों की MSP की लीगल गारंटी समेत 13 मांगों को लेकर किसान पिछले 10 महीनों से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। खनौरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल मरणव्रत पर बैठे हुए हैं। उनके मरणव्रत का 17वां दिन है। आज वह संदेश जारी करेंगे।

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सूत्रों के मुताबिक 13 दिसंबर को किसान आंदोलन को 10 महीने पूरे होने वाले हैं, डल्लेवाल का संदेश इसी को लेकर हो सकता है। वह किसानों से इस मौके पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में एकत्रित होने का संदेश दे सकते हैं।

वहीं किसान आंदोलन को लेकर पंजाबी सिंगर हैरी धनोआ का गाना भी सामने आया है। सिंगर ने गाने को टाइटल दिया है- उस देश के हालात दस्सों की होणगे, अन्नदाता जिदा भूख हड़ताल पर है। (उस देश के हालात क्या होंगे, जिसका किसान भूख हड़ताल पर हैं)

डॉक्टरों की टीम किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की जांच करती हुई।

किडनी फेल होने का खतरा डल्लेवाल की सेहत पर नजर रखने वाले निजी डॉक्टरों ने मेडिकल बुलेटिन जारी करते हुए बताया है कि उनका वजन 12 किलो से अधिक कम हो चुका है। उनकी कि़डनी कभी भी फेल हो सकती है और दिल का दौरा भी पड़ सकता है। इतना ही नहीं डॉक्टरों के मुताबिक ज्यादा दिनों तक भूखा रहने के कारण उनके लीवर में भी दिक्कतें हो सकती हैं।

बीते कल किसानों ने सरकारी डॉक्टरों की उस टीम को भी रोक दिया था जो डल्लेवाल का चेकअप करने आई थी। किसानों का कहना है कि डॉक्टरों को पहले डल्लेवाल की अभी तक की गई जांच की रिपोर्ट देनी होगी, उसके बाद ही सरकारी डॉक्टरों को डल्लेवाल की जांच करने देंगे।

आज शाम को खाना न खाने की अपील जगजीत सिंह डल्लेवाल के मरणव्रत के समर्थन में किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने लोगों से अपील की है कि अपने घरों में शाम का खाना न बनाएं और अपने परिवार के साथ फोटो सोशल मीडिया पर #WeSupportJagjeetSinghDallewal के साथ साझा करें। उन्होंने कहा कि 13 दिसंबर को लोग अपने गांवों में केंद्र और राज्य सरकारों के पुतले जरूर जलाएं, क्योंकि किसानों के मुद्दों पर कोई भी राजनीतिक पार्टी गंभीर नहीं है।

बुधवार (11 दिसंबर) को केंद्रीय राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्‌टू ने कहा कि वह किसानों के मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार हैं। दूसरी तरफ किसानों ने कहा कि उनकी तरफ से भी बातचीत के लिए हमेशा रास्ते खुले हैं। किसान नेताओं का कहना है कि बिट्टू मीटिंग की तारीख व समय तय कर बताएं।

वहीं, जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि डल्लेवाल सूझवान किसान नेता हैं। इस मामले में केंद्र और पंजाब सरकार को हल करने की दिशा में काम करना चाहिए।

कमेटी ने अंतरिम रिपोर्ट में कहा- बैठकों में किसान नेता नहीं आए शंभू बॉर्डर के हालात और किसानों की मांगों का समाधान निकालने के लिए बनाई गई कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में अंतरिम रिपोर्ट सौंप दी है। अभी फाइनल रिपोर्ट आना बाकी है। रिपोर्ट में किसानों को लेकर जानकारी दी गई है।

इसके अनुसार कमेटी ने किसान नेताओं को कई बार बुलाया, पर वे नहीं आए। 11-12 सितंबर को चंडीगढ़ में पंजाब व हरियाणा के मुख्य सचिव और डीजीपी की बैठक बुलाई। इसमें सुझाव दिया गया कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के कोऑर्डिनेटर जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर मोर्चा के महासचिव सरवन सिंह पंधेर को बैठक के लिए बुलाया जाए।

दोनों से अनुरोध किया गया कि बैठक के लिए सुविधाजनक तारीख और समय बताएं, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। 18 अक्टूबर को हरियाणा निवास में बैठक बुलाने का निमंत्रण भेजा गया। किसान नेताओं ने समिति के साथ चर्चा के लिए आने में असमर्थता व्यक्त की।

शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों का ड्रोन व्यू और मीटिंग करते हुए किसान नेता।

किसानों ने 2 बार दिल्ली कूच ती कोशिश की, दोनों बार पीछे हटे…

6 दिसंबर को ढाई घंटे में पीछे हटे किसान किसानों ने 6 दिसंबर को शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच का ऐलान किया था। इस दिन सुबह किसानों ने शंभू बॉर्डर पर पाठ किया। इसके बाद 101 किसानों के जत्थे को लंगर खिलाया गया। दोपहर 1 बजे किसानों का जत्था आगे बढ़ा। किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने 3 लेयर का सुरक्षा घेरा बनाया हुआ था।

पहले किसानों ने बैरिकेडिंग उखाड़ी। इसके बाद कंटीले तारों को उखाड़ा और आखिर में सीमेंट में गाड़ी गईं कीलें निकाल दीं। किसानों ने बैरिकेडिंग उठाकर घग्गर नदी में फेंक दी। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। इसमें 2-3 किसान घायल हो गए।

कुछ किसान फिर भी आगे पुलिस अधिकारियों तक पहुंच गए। यहां पुलिस कर्मचारियों ने उन्हें रोकने के लिए पेपर स्प्रे किया। एक बार किसान पीछे की तरफ हो गए। दोबारा किसानों ने आगे बढ़ने की कोशिश की तो पुलिस की तरफ से दोबारा आंसू गैस के गोले दागे गए।

इस पूरे घटनाक्रम में कुल 8 किसान घायल हो गए। बाद में सरवन सिंह पंधेर ने किसानों के जत्थे को वापस बुला लिया। ढाई घंटे तक चले इस घटनाक्रम के बाद किसान वापस धरनास्थल की तरफ चल पड़े। वह अपने साथ कंटीले तार और बैरिकेडिंग भी ले गए। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने तब कहा कि 8 दिसंबर को किसान दोबारा दिल्ली कूच करेंगे।

8 दिसंबर को हरियाणा पुलिस की तरफ से छोड़े गए आंसू गैस के गोलों के कारण 8 किसान घायल हुए थे।

8 दिसंबर को पौने 4 घंटे चला संघर्ष 101 किसानों ने 8 दिसंबर को दूसरी बार शंभू बॉर्डर से दिल्ली कूच करने की कोशिश की। किसानों का जत्था दोपहर 12 बजे धरनास्थल से दिल्ली कूच के लिए निकला। पुल पर पुलिस और किसानों के बीच बहस हुई। हरियाणा पुलिस ने किसानों से दिल्ली जाने का परमिशन लेटर मांगा। उन्होंने कहा कि बिना परमिशन के वह दिल्ली नहीं जा सकते।

इसके बाद किसानों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की। इस पर हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके बाद पुलिस ने किसानों को चाय-बिस्किट ऑफर किए और फूल भी बरसाए। फिर भी किसान दिल्ली कूच करने पर अड़े रहे।

पुलिस ने दोबारा आंसू गैस के गोले दागे और वाटर कैनन का भी इस्तेमाल किया, जिसमें 8 किसान घायल हो गए। करीब पौने 4 घंटे चले घटनाक्रम के बाद किसान नेताओं ने जत्थे को वापस बुला लिया। इसके बाद किसान नेता पंधेर ने कहा कि किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) की मीटिंग करने के बाद आगे का फैसला लेंगे।

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