दूसरी ओर, पॉल्ट्री उद्योग निकाय ने कहा है कि इस तेजी का प्राथमिक कारण बांग्लादेश को निर्यात बढ़ना नहीं है, क्योंकि यह देश भारत के पारंपरिक निर्यात बाजारों में से नहीं है. पश्चिम बंगाल पॉल्ट्री फेडरेशन ने कीमतों में बढ़ोतरी के लिए सर्दियों की मांग, मुर्गीदाने की बढ़ती लागत और बांग्लादेश और मलेशिया जैसे देशों को निर्यात बढ़ने को जिम्मेदार ठहराया, जो भारत के लिए नए बाजार हैं. नवंबर और दिसंबर के लिए बांग्लादेश और मलेशिया से करीब पांच करोड़ अंडे का ऑर्डर मिला है.
7.5 रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए कीमत
फेडरेशन के महासचिव मदन मोहन मैती ने बताया कि अंडे की कीमतें पश्चिम बंगाल ही नहीं, बल्कि पूरे देश में बढ़ी हैं. हालांकि, खुदरा कीमतें 7.5 रुपये प्रति अंडे से अधिक नहीं होनी चाहिए, क्योंकि थोक दर 6.7 रुपये प्रति अंडा है. देश में अंडों की कोई कमी या संकट नहीं है. स्थानीय व्यापारियों ने कहा कि सर्दियों में अंडे की कीमतें बढ़ जाती हैं, लेकिन इस मौसम में उछाल तेज है.
क्यों महंगे हो रहे अंडे
मैती ने बताया कि इस मुद्दे का मूल कारण मक्के की कमी है. हमें मक्के का उत्पादन कम से कम 40 प्रतिशत बढ़ाने या मुफ्त आयात की अनुमति देने की आवश्यकता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि एथनॉल संयंत्रों में मक्के की मांग बढ़ी है और मुर्गियों के लिए दाने की कमी हो रही है. यह पूछे जाने पर कि क्या निर्यात बढ़ना भी बाकी कारणों में से एक है. मैती ने कहा कि मलेशिया और बांग्लादेश ने नवंबर और दिसंबर के लिए मिलाकर पांच करोड़ अंडे का ऑर्डर दिया था, लेकिन अब तक दो करोड़ से ज़्यादा अंडे निर्यात नहीं किए गए हैं.
बांग्लादेश मांग रहा भारत से अंडे
बांग्लादेश सरकार ने सितंबर से ही अपने बढ़ते घरेलू मूल्य को स्थिर करने के लिए अंडे के आयात के लिए भारत का रुख किया है. बंगाल से अंडे मुख्य रूप से पेट्रापोल-बेनापोल सीमा के ज़रिये निर्यात किए जाते हैं. हालांकि, मैती ने स्पष्ट किया कि निर्यात किए जाने वाले ज़्यादातर अंडे बंगाल से नहीं, बल्कि दूसरे राज्यों से आते हैं. ओमान, मालदीव, संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत और कतर भारतीय अंडों के लिए शीर्ष पांच बाजार बने हुए हैं, साथ ही कई अन्य देश भारत से आयात करते हैं.
Tags: Bangladesh news, Business news, Trade Margin
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