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सोनभद्र: रवि के फसल में सबसे महत्वपूर्ण तिलहन फसल में सरसों माना जाता है और सरसों के फूल लगते समय उसके पौधे में कई रोग लगने का खतरा भी बढ़ जाता है. इस दौरान किसानों को  फसल में  लगने वाले रोगों से बचाव का बेहतर तरीका नहीं पता होता है, जिससे किसानों को फसल की अच्छी पैदावार नहीं मिल पाती है. किसानों को इसको लेकर बेहतर जानकारी उपलब्ध हो सके, जिससे किसान सरसों की अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें इसको लेकर लोकल 18 ने कृषि एक्सपर्ट से जानने की कोशिश की. जिससे किसानों के समस्याओं का समाधान निकाला जा सके.

सरसों की खेती को रोगों से बचाने का तरीका 

जनपद सोनभद्र के अपर जिला कृषि अधिकारी संदीप मौर्य से जब सरसों की खेती को रोगों से बचाने के उपाय के संबंध में बात की गई. इस दौरान उन्होंने बताया कि सरसों की खेती में किसान फास्फोरस और सल्फर जरूर डालें. इनका उपयोग करने  से जहां रोगों से निवारण होता है, वहीं सरसों के लिए एक अच्छा पोषक तत्व भी इनको माना जाता है. जिससे किसान सरसों की बंपर पैदावार प्राप्त कर सकते हैं. सोनांचल के विभिन्न क्षेत्रों में तिलहनी फसलों को अच्छी उपज होती है, किंतु किसान सही तरीके का अगर इन तत्वों का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो उन्हें अनुपात के मुताबिक फायदा नहीं मिल पाता है. इसलिए बुवाई से लेकर फसल तैयार होने तक किसानों को कृषि का सही तौर तरीका अपनाना चाहिए. आज के समय में सरसो एक बेहतर फसल है यहां की मिट्टी के लिए साथ ही बाजार में इसके अच्छे दाम भी मिल जाते हैं. लगातार बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों ने सरसों या अन्य तिलहनी फसलों की कीमतों में इजाफा किया है. बात की जाए अगर सोनभद्र जनपद की तो इसकी अच्छी पैदावार चोपन, दुद्धी, बभनी और म्योरपुर ब्लॉक क्षेत्र में अच्छी होती है. किंतु राबर्ट्सगंज, नगवां, चतरा और घोरावल व करमा ब्लॉक क्षेत्र में भी बुवाई की जाती है.

FIRST PUBLISHED : December 9, 2024, 08:22 IST

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