हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार को लेकर कांग्रेस का दिल्ली में तीसरी बार मंथन होगा। इसको लेकर केंद्रीय स्तर पर बनाई गई कमेटी की मीटिंग बुलाई गई है। इस मीटिंग में चुनाव के बाद पहली बार कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया भी शामिल होने के लिए कांग्रेस मु
दीपक बाबरिया ने बताया कि अब उनका स्वास्थ्य ठीक है। बीमार होने के कारण वह अभी तक की हुई मीटिंगों में शामिल नहीं हो पाए थे। चुनावी नतीजे के बाद कांग्रेस के नेताओं के साथ पहली बार दीपक बाबरिया का आमना सामना होगा।
इस मीटिंग में बीजेपी के द्वारा हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बटोगे तो कटोगे सहित चार प्रमुख एजेंडों पर चर्चा की जाएगी।
भाटिया बोले- कई मुद्दों पर होगी चर्चा
हार के कारणों को रिव्यू करने के लिए बनी कमेटी के कन्वीनर केसी भाटिया भी मीटिंग में शामिल होने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। मीटिंग से पहले उन्होंने बताया, आज की मीटिंग में लीगल तरीके से जो हमने कोर्ट 16 याचिकाएं डाली हैं, उनको लेकर चर्चा होगी। इसके अलावा मीटिंग में बातचीत में मुख्य मुद्दे, धर्म के नाम पर वोट, बाटोगे तो कटोगे, जरूरत से ज्यादा इलेक्शन में पैसा खर्च करना, EVM में 99% बैटरी रहेंगे।
हरियाणा कांग्रेस सह प्रभारी जितेंद्र बघेल ने मीटिंग से पहले कहा, कांग्रेस के संगठन और नेताओं में अनबन की गलत खबर फैलाई जाती है।
CWC मीटिंग में भी हो चुकी हरियाणा हार पर चर्चा
दिल्ली में शुक्रवार (29 नवंबर) को कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई थी। इसमें हरियाणा में पार्टी की हार को लेकर भी मंथन किया गया था। इसमें पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बताया आपसी एकता की कमी और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हमें काफी नुकसान पहुंचाती है।
उन्होंने संगठन मजबूती, अनुशासन और एकता के फॉर्मूले पर काम करने के लिए कहा। इस मीटिंग में राहुल गांधी के साथ सिरसा से सांसद कुमारी सैलजा, रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला समेत अन्य नेता शामिल हुए थे।
दिल्ली में शुक्रवार (29 नवंबर) को कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की मीटिंग में रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा भी शामिल हुए थे।
हरियाणा हार पर अब तक कांग्रेस ये कर चुकी काम
1. तीन सदस्यीय कमेटी का हुआ गठन
कांग्रेस हाईकमान ने चुनावों में हार का पता लगाने के लिए भूपेश बघेल की अध्यक्षता में 3 मेंबरी कमेटी का गठन किया हुआ है। इस कमेटी में कांग्रेस कोषाध्यक्ष अजय माकन और हरीश चौधरी बतौर सदस्य शामिल हैं। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी हरियाणा के कांग्रेस विधायकों और विधानसभा चुनाव में पराजित उम्मीदवारों के साथ मीटिंग कर चुकी है।इसके बाद 9 दिसंबर को होने वाली बैठक में कमेटी सदस्यों के अलावा कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया, सह प्रभारी जितेंद्र बघेल, प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी मौजूद रहेंगे।
2. हाईकोर्ट में डाली गई हैं 23 याचिकाएं
हरियाणा के चुनावों में EVM में गड़बड़ी, ईवीएम की बैटरी 99 प्रतिशत तक चार्ज रहने, सरकार पर सत्ता का दुरुपयोग करने, पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह व मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी द्वारा चुनावों में नफरती बयानबाजी करने जैसे आरोपों के साथ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में 23 याचिकाएं दायर की गई हैं। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान सहित पार्टी के 16 उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। बाकी याचिकाएं निर्दलीय प्रत्याशियों की ओर से दाखिल की गई हैं।
हरियाणा में कांग्रेस की हार के ये 3 कारण सामने आए…
1. बाबरिया न संगठन बना पाए, न गुटबाजी रोकी
जून 2023 में शक्ति सिंह गोहिल के गुजरात जाने के बाद दीपक बाबरिया को हरियाणा कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया। बाबरिया को राहुल गांधी के किचन कैबिनेट का सदस्य माना जाता है। प्रभारी बनाए जाने के बाद न तो बाबरिया संगठन तैयार कर पाए और न ही गुटबाजी को रोक पाए।साथ ही उन्होंने इसकी जानकारी केंद्रीय नेतृत्व को भी नहीं दी। इसके अलावा चुनाव में टिकट वितरण के दौरान ही वह बीमार होकर अस्पताल में भर्ती हो गए। जिसके बाद न तो दूसरे नेता को जिम्मेदारी दी गई और न ही वह हाईकमान और प्रदेश के नेताओं के बीच तालमेल बना पाए।
2. टिकट वितरण में हुड्डा गुट को तरजीह, AAP से गठबंधन नहीं किया
विधानसभा चुनाव में अजय माकन हरियाणा चुनाव में स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख थे। टिकट वितरण का काम स्क्रीनिंग कमेटी के पास ही रहता है। टिकट वितरण में केवल हुड्डा गुट को ही अहमियत दी गई। 89 में से 72 टिकट तो हुड्डा समर्थकों को दिए गए। इसके बाद सैलजा नाराज होकर चुनाव प्रचार से ही बाहर हो गईं। आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन की कवायद शुरू की गई तो अजय माकन और भूपेंद्र हुड्डा इसके खिलाफ थे।3. राहुल के करीबी भी BJP को काउंटर नहीं कर पाए
सुनील कानुगोलू हरियाणा में कांग्रेस की राजनीति देख रहे थे। कहा जाता है हरियाणा मांगे हिसाब का रोड मैप भी सुनील की टीम ने ही तैयार किया था। कानुगोलू के सर्वे को आधार बनाकर ही हुड्डा कैंप ने कई बड़े फैसले हाईकमान से करवाए, लेकिन कानुगोलू BJP की रणनीति को समझने में फेल रहे। जमीन पर जिस तरह से BJP ने जाट वर्सेज गैर जाट का फॉर्मूला तैयार किया, उसे भी सुनील की टीम काउंटर नहीं कर पाई।
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