सफदरजंग अस्पताल
– फोटो : अमर उजाला
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सफदरजंग अस्पताल में 15 माह के बच्चे के पेट से सोने का झुमका निकाला गया। बच्चे ने गलती से झुमका निगल लिया था। वहीं, उत्तर प्रदेश के बरेली से आई 14 साल की लड़की के पेट से एक पिन निकाला गया। स्कार्फ पहनने के दौरान मुंह में रखा पिन गलती से निगल गई,जबकि मुरादाबाद से आए 18 साल के लड़के के पेट से 8 सेंटीमीटर का सिलाई मशीन की सुई निकाली गई।
इसके अलावा पाकिस्तान से पर्यटन वीजा पर आए बच्चे के पेट से भारतीय सिक्का निकाला गया। जबकि अन्य बच्चे के पेट से तीन सिक्के निकाले गए। ऐसी सुविधा के लिए अस्पताल में बाल रोग विभाग के गैस्ट्रोइंटेरोलाजी व एंडोस्कोपी की समर्पित यूनिट शुरू हुई। इसमें सुइट के अलावा 10 बेड का डे-केयर सुविधा भी है।
बृहस्पतिवार को अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. संदीप बंसल ने इस यूनिट के शुरू होने पर जानकारी दी। इस दौरान अस्पताल में हुए इलाज के कुछ मामले की चर्चा हुई। जिसमें उक्त मामले शामिल हैं। डा. बंसल ने बताया कि कि प्री-मैच्योर व दस किलोग्राम से कम वजन वाले बच्चों की एंडोस्कापी अस्पताल में नहीं हो पाती थी। इन बच्चों का आंत छोटा होता है।
ऐसे बच्चों के लिए अलग एंडोस्कोपी यूनिट शुरू हुई। इसकी मदद से एक किलोग्राम वजन के बच्चों की भी एंडोस्कोपी होने लगी है। वहीं बाल रोग विभाग के प्रमुख डा. रत्न गुप्ता ने कहा कि यह यूनिट 24 घंटे चलेगी।
जरूरत के आधार पर कभी भी जांच की जा सकती है। वहीं बाल रोग विभाग के प्रोफेसर डा. श्याम एस मीना कहा कहना है कि एक महीने में करीब 80 बच्चों की एंडोस्कोपी की गई है। इनमें 80 फीसदी मरीज रेफर होकर आए। इसमें ऐसे मरीज भी थे जिनकी सर्जरी प्लान थी, लेकिन इसकी मदद से एक दिन में ही इलाज देकर घर भेज दिया गया।
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