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नई दिल्ली35 मिनट पहले

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दत्तात्रेय ने कहा- बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार-अन्याय का नया दौर शुरू हो गया है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर जारी अत्याचार को तत्काल रोकने की मांग की। उन्होंने बांग्लादेश सरकार से मांग की है कि इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास को रिहा किया जाए।

दत्तात्रेय ने बयान में कहा- बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों ​​पर इस्लामिक कट्टरपंथियों के हमले, हत्या, महिलाओं पर अत्याचार बहुत चिंताजनक है। संघ इसकी निंदा करता है। बांग्लादेश की वर्तमान सरकार और एजेंसियां मूकदर्शक बनी हुई हैं।

उन्होंने कहा- बांग्लादेश के हिंदुओं के खुद की रक्षा के लिए लोकतांत्रिक तरीके से आवाज उठाई। अब उसे भी दबाया जा रहा है। उनके खिलाफ अत्याचार-अन्याय का नया दौर शुरू हो गया है।

चिन्मय कृष्ण दास को जेल से निकाला जाए दत्तात्रेय ने कहा कि ऐसे ही शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में हिंदुओं का नेतृत्व कर रहे इस्कॉन के संन्यासी चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश सरकार ने जेल भेज दिया। ये अन्याय है। संघ बांग्लादेश सरकार से यह मांग करता है कि चिन्मय कृष्ण दास को जेल से निकाला जाए।

बांग्लादेश में बीते 5 दिनों में क्या-क्या हुआ…

29 नवंबर: एक दिन पहले भारत सरकार की बांग्लादेश को नसीहत 29 नवंबर को भारत के विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से कहा था कि उसे हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। वहां की सरकार ये कहकर जिम्मेदारी से नहीं भाग सकती है कि इस मामले को मीडिया बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर कर ही है। साथ ही विदेश मंत्रालय ने चिन्मय प्रभु का निष्पक्ष न्यायिक प्रक्रिया के तहत ट्रायल करने की भी मांग की थी।

वहीं, 29 नवंबर को ही इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) की भारतीय शाखा ने कहा था कि चिन्मय प्रभु संगठन के आधिकारिक सदस्य नहीं थे, लेकिन वे उनके अधिकार और बोलने की आजादी का समर्थन करते हैं। संगठन ने कहा कि हमने खुद को चिन्मय प्रभु से दूरी नहीं बनाई है और न ही ऐसा करेंगे।

28 नवंबर: इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग खारिज ढाका हाईकोर्ट ने 28 सितंबर को इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को खारिज कर दिया था। अदालत में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा कि इस्कॉन की गतिविधियों के खिलाफ हमने जरूरी कदम उठाए हैं। यह मुद्दा सरकार की प्राथमिकता है।

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी को इस्कॉन के चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए अंतरिम सरकार से उन्हें तुरंत रिहा करने के लिए कहा था। हसीना ने कहा था कि सनातन धर्म के एक प्रमुख नेता को अन्यायपूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है।

वहीं इस्कॉन बांग्लादेश ने चिन्मय प्रभु से खुद को अलग किया था। महासचिव चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने कहा था कि अनुशासन भंग करने की वजह से चिन्मय को पहले ही संगठन के सभी पदों से हटा दिया गया था। वह उनके किसी भी बयान या प्रतिक्रिया की जिम्मेदारी नहीं लेते।

26 नवंबर को चिन्मय प्रभु को चटगांव मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ले जाया गया था।

27 नवंबर: इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग बांग्लादेश हाईकोर्ट में इस्कॉन पर बैन लगाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई। याचिका दायर करने वाले वकील ने कोर्ट में कहा था कि सैफुल की मौत के पीछे इस्कॉन के लोग शामिल हैं। ऐसे में इस संस्था को बैन किया जाए। इस अर्जी में चटगांव में इमरजेंसी घोषित करने की भी मांग की गई थी।

26 नवंबर: चिन्मय प्रभु की जमानत याचिका खारिज चटगांव में 26 नवंबर को इस्कॉन प्रमुख चिन्यम कृष्ण दास प्रभु की जमानत खारिज हो गई थी, जिसके बाद हुई हिंसा में एक वकील सैफुल इस्लाम की जान चली गई थी।

25 नवंबर: चिन्मय प्रभु ढाका टरनेशनल एयरपोर्ट से गिरफ्तार बांग्लादेश पुलिस ने सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार किया गया था। वे चटगांव जा रहे थे। मौके पर मौजूद इस्कॉन के सदस्यों ने कहा था कि डीबी पुलिस ने कोई गिरफ्तारी वारंट नहीं दिखाया। उन्होंने बस इतना कहा कि वे बात करना चाहते हैं। इसके बाद वो उन्हें बस में बैठाकर ले गए।

ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा (डीबी) के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रेजाउल करीम मल्लिक ने कहा था कि पुलिस के अनुरोध के बाद चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किया गया था। चिन्मय दास को कानूनी प्रक्रिया के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन को सौंपा जाएगा।

चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी पर भारत ने नाराजगी जाहिर की थी। भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी से हम चिंतित हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन शांतिपूर्ण सभाओं के जरिए सही मांगें करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ मुकदमे चल रहे हैं।

बांग्लादेश इस्कॉन से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु लगातार हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के मामलों को उठा रहे हैं।

जानिए कौन हैं चिन्मय प्रभु, क्यों गिरफ्तार किए गए? चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी का असली नाम चंदन कुमार धर है। वे चटगांव इस्कॉन के प्रमुख हैं। बांग्लादेश में जारी हिंसा के बीच 5 अगस्त 2024 को PM शेख हसीना ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंदुओं के साथ हिंसक घटनाएं हुईं।

इसके बाद बांग्लादेशी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ था। चिन्मय प्रभु इसके प्रवक्ता बनाए गए थे। सनातन जागरण मंच के जरिए चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में कई रैलियों को संबोधित किया। इसमें हजारों लोग शामिल हुए थे।

25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में सनातन जागरण मंच ने 8 सूत्री मांगों को लेकर एक रैली की थी। इसमें चिन्मय कृष्ण दास ने भाषण दिया था। इस दौरान न्यू मार्केट चौक पर कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर ‘आमी सनातनी’ लिखा हुआ था।

रैली के बाद 31 अक्टूबर को बेगम खालिदा जिया की ‌BNP पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। उन पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है।

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बांग्लादेश इस्कॉन ने चिन्मय प्रभु को सभी पदों से हटाया:अनुशासनहीनता के आरोप लगाए; जयशंकर ने मोदी को हालात की जानकारी दी

बांग्लादेश इस्कॉन ने 28 नवंबर को चिन्मय प्रभु को सभी पदों से हटा दिया था। संगठन के जनरल सेक्रेटरी चारू चंद्र दास ब्रह्मचारी ने अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए कहा था कि उनकी गतिविधियों को इस्कॉन से कोई ताल्लुक नहीं है। पूरी खबर पढ़ें…

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