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27 मिनट पहलेलेखक: उत्कर्षा त्यागी
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बिहार के गोपालगंज के रहने वाली इमरान हसीब ने BPSC 69वीं में 32वीं रैंक हासिल की है। इमरान अब बिहार सरकार में डिस्ट्रिक्ट एम्प्लॉयमेंट ऑफिसर के तौर पर काम करेंगे।
10वीं पास पिता, अनपढ़ मां लेकिन बच्चों को पढ़ाया
इमरान के पिता गोपालगंज में ही स्पेयर पार्ट्स का काम करते हैं। पिता सिर्फ 10वीं पास हैं और उनकी मां कभी स्कूल गई ही नहीं। हालांकि माता-पिता ने बच्चों की पढ़ाई में न तो कभी भेदभाव किया और न ही कोई कमी छोड़ी।
इमरान की तीन बड़ी बहनें हैं और तीनों ही मास्टर्स तक पढ़ी हैं। इमरान के घर में उनके अलावा दो और भाई हैं। सभी भाई-बहनों में वो 5वें नंबर पर हैं। उनके बड़े भाई ने दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है।
जर्नलिज्म कर सिविल सर्वेंट बनने की ठानी
इमरान ने 10वीं तक की पढ़ाई गोपालगंज से ही की है। इसके बाद 11वीं के लिए उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए एग्जाम दिया जिसमें उनका सिलेक्शन हो गया।
स्कूल पूरा करने के बाद इमरान ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म में ग्रेजुएशन किया। 2020 में उनका ग्रेजुएशन पूरा हुआ और साल 2021 में महात्मा गांधी नेशनल फेलोशिप के लिए उनका चयन हो गया। इस फेलोशिप के दौरान ही उन्हें समझ आया कि उन्हें सिविल सर्विसेज में जाना है। फिर इमरान ने सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी।
BPSC के लिए उनका ऑप्शनल सब्जेक्ट एंथ्रोपोलॉजी था। इसमें इंसान के इवोल्यूशन के बारे में पढ़ाया जाता है। 100-200 साल पहले इंसान कैसे थे और अब कैसे हो गए हैं, जेनेटिक डाइवर्सिटी कैसे होती है, रेसिज्म के बारे में पढ़ते हैं। इसके अलावा सोशल एंथ्रोपोलॉजी में मैरिज, कास्ट सिस्टम के बारे में पढ़ते हैं। इन सबका धार्मिक और सोशल आधार क्या है, ये भी पढ़ते हैं। इस सब्जेक्ट में अलग-अलग कल्चर्स और ट्राइब्स के बारे में पढ़ते हैं। इसी के साथ ट्राइबल्स के खिलाफ पूर्वाग्रहों को भी जानने का मौका मिलता है।
इमरान ने एंथ्रोपोलॉजी चुनने के पीछे 8 कारण बताए…
- BPSC में जर्नलिज्म जैसा कोई ऑप्शनल सब्जेक्ट नहीं था।
- सोशल साइंस के मेनस्ट्रीम सब्जेक्ट्स से अलग चुनना था ताकि मेन्स में अलग से यूनीक पॉइंट्स जनरेट करने में मदद मिले।
- मेनस्ट्रीम से हटकर सब्जेक्ट चुनने वाले का पॉइंट ऑफ व्यू यूनीक होगा।
- अगर कोई कंसिस्टेंट है, हर दिन 4-5 घंटे सब्जेक्ट को देता है तो ये सब्जेक्ट दो से तीन महीने में आसानी से कवर हो सकता है।
- सिविल सर्वेंट के लिए अलग-अलग पॉइंट ऑफ व्यूज को समझना जरूरी होता है। एंथ्रोपोलॉजी के जरिए ये स्किल डेवलप की जा सकती है।
- पॉलीगैमी जैसे टैबू कॉन्सेप्ट को आसानी से समझ सकते हैं।
- सिविल सर्विसेज के एग्जाम में एंथ्रोपोलॉजी को स्कोरिंग सब्जेक्ट माना जाता है।
- ये एक स्टैटिक सब्जेक्ट है यानी इसमें ज्यादा करेंट हैपनिंग्स नहीं होती। जैसे कोई पॉलीटिकल साइंस ले रहा है तो उसमें आए दिन कुछ न कुछ होता रहता है जिससे एस्पिरेंट्स को अपडेट रहना पड़ता है। लेकिन एंथ्रोपोलॉजी में बहुत कम हैपनिंग्ंस होती हैं, जिससे अपडेट रहना आसान है।
अपस्किल करने का काम करता है डिस्ट्रिक्ट एम्प्लॉयमेंट ऑफिसर
डिस्ट्रिक्ट एम्प्लॉयमेंट ऑफिसर दो वर्टिकल्स में काम करते हैं। उनका पहला काम होता है जॉब फेयर और जॉब कैंप लगाना। दूसरा, DEO हर जिले में स्किलिंग की कमेटी के नोडल ऑफिसर होते हैं। ये कमेटी अपस्किलिंग और रीस्किलिंग का काम करती है।
इमरान ने महात्मा गांधी नेशनल फेलोशिप के दौरान दो साल यही काम किया था, इसलिए उन्होंने सोचा की आगे भी यही काम करना चाहिए ताकि उनका एक्सपीरियंस काम आ सके।
IIM बैंगलोर से मिल चुकी है फेलोशिप
2021 में पब्लिक पॉलिसी के क्षेत्र में काम करने के लिए इमरान का सिलेक्शन महात्मा गांधी नेशनल फेलोशिप के लिए हुआ। ये फेलोशिप IIM बैंगलोर की तरफ से ऑफर की जाती है जो स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में बेहतर काम करने के लिए है।
इस दौरान इमरान की पोस्टिंग बिहार के बक्सर में हुई। दो साल तक उन्होंने इसमें स्किल इंडिया के इको-सिस्टम को बेहतर करने के लिए काम किया। यहां वो एक एम्प्लॉयमेंट ऑफिसर के अंडर ही काम कर रहे थे।
इस दौरान इमरान का काम सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्किल डेवलपमेंट के प्रोग्राम्स को बेहतर बनाने के सजेशन देना था। इमरान ने बताया कि देश में युवा आबादी लगातार बढ़ रही है। इसी के साथ बेरोजगारी भी ज्यादा हो गई है। ऐसे में जॉब के लिए जिन स्किल्स की जरूरत है, उनके लिए सरकार अलग-अलग प्रोग्राम्स चलाती है, जैसे प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना या बिहार सरकार की कुशल युवा प्रोग्राम।
इस तरह के प्रोग्राम्स के जरिए कंप्यूटर ऑपरेटर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, हेयर स्टाइलिस्ट, ब्यूटीशियन वगैराह का कोर्स कराया जाता है। इनमें ज्यादातर कोर्सेज 3 से 6 महीने के होते हैं। ऐसे शॉर्ट टर्म कोर्सेज के जरिए लोग जॉब रेडी होते हैं। इससे युवा 15-25 हजार की नौकरी पा सकते हैं।
इसमें इमरान का काम माइग्रेशन को रोकने के लिए ऐसे कोर्सेज को सजेस्ट करना था जिसकी उनके जिले में डिमांड हो। जैसे वो बक्सर में पोस्टेड थे तो उन्हें बताना था कि बक्सर में कौन-कौन से कोर्सेज की डिमांड है ताकि माइग्रेशन न हो और लोगों को बाहर जाकर काम न करने पड़े। उन्हें घर के जितना पास हो वहां काम मिल जाए।
‘बिहार में कितने थाने, बिहार का एरिया कितना है’
इमरान कहते हैं कि BPSC का इंटरव्यू सिर्फ एक पर्सनैलिटी टेस्ट नहीं होता है। इसमें इंटरव्यूअर प्रेशर डालने के लिए फैक्ट्स भी पूछ लेते हैं। इमरान कहते हैं, ‘मुझसे गिग वर्कर एक्ट के बारे में पूछा कि कर्नाटक के अलावा ये कहां आया है। मुझे कर्नाटक याद था लेकिन राजस्थान मेरे दिमाग से निकल गया। तो मैंने उन्हें आराम से कहा कि नहीं आता है और आगे बढ़ गया। इसके अलावा TISS में फ्री स्पीच के बारे में भी पूछा गया था।’
पुलिस सर्विस के लिए जाने वालों से कई बार पूछा जाता है कि बिहार में थाने कितने हैं, किसी से बिहार का एरिया पूछ लेता है। इमरान कहते हैं कि ऐसे में कम्पोस्ड रहकर बता सकते हैं कि नहीं पता और आगे बढ़ जाएं। बेसिक जवाब याद करके जा सकते हैं, वर्ना सॉरी बोलकर आगे बढ़ जाइए।
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