25 मिनट पहले
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अब डिग्री स्टूडेंट्स कम या ज्यादा समय में डिग्री की पढ़ाई पूरी कर सकेंगे। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) के मुताबिक, हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स, डिग्री स्टूडेंट्स को सामान्य 3 या 4 साल का डिग्री कोर्स, 2 साल या 5 साल में पूरा करने का विकल्प दे सकते हैं।
UGC चेयरमैन एम जगदीश कुमार के मुताबिक, UGC ने इस हफ्ते एक मीटिंग में एक्सीलेरेटेड डिग्री प्रोग्राम (ADP) और एक्सटेंडेड डिग्री प्रोग्राम (EDP) के लिए SOP को मंजूरी दे दी है। SOP में बताए गए नियमों का ड्राफ्ट पब्लिक डोमेन में लाया जाएगा और उस पर फीडबैक मांगे जाएंगे।
संस्थान तय करेंगे ADP और EDP में एडमिशन
SOP के मुताबिक, शिक्षण संस्थान एक कमेटी बनाएंगे जो पहले और दूसरे सेमेस्टर के आखिर में स्टूडेंट्स की एप्लीकेशन के आधार पर उनकी क्षमता का आकलन करेगी। इसके बाद ही कमेटी यह तय करेगी कि स्टूडेंट्स को प्रति सेमेस्टर कितने क्रेडिट लाने जरूरी हैं। साथ ही यह भी सिफारिश करेगी कि स्टूडेंट्स को EDP या ADP में से किस प्रोग्राम में शामिल होना चाहिए।
SOP के मुताबिक, दूसरे सेमेस्टर के अंत तक ही ADP के लिए अप्लाई किया जा सकेगा। ADP में शामिल होने पर अगले सेमेस्टर में सब्जेक्ट्स बढ़ेंगे और उनके लिए एक्स्ट्रा क्रेडिट मिलने लगेंगे। कमेटी यह तय करेगी कि EDP में डिग्री प्रोग्राम में हर सेमेस्टर कम से कम कितने क्रेडिट लाने जरूरी हैं।
हालांकि एग्जाम और इवैल्यूएशन सिस्टम स्टैंडर्ड डिग्री प्रोग्राम की तरह ही रहेगा, लेकिन डिग्री कम या ज्यादा, जितने भी समय में ली गई है, उसका एक नोट डिग्री पर लिखा रहेगा। हालांकि इस डिग्री को भी अकादमिक या नौकरियों में भर्ती के समय इस्तेमाल के दौरान स्टैंडर्ड डिग्री यानी सामान्य डिग्री की तरह ही मान्यता दी जाएगी।
डिग्री के बीच ब्रेक भी ले सकते हैं स्टूडेंट्स
IIT मद्रास के डायरेक्टर वी कामाकोटी ने डिग्री का समय घटाने या बढ़ाने की इस पॉलिसी का सुझाव दिया था। उनका कहना था कि हायर एजुकेशन का प्रोसेस ज्यादा से ज्यादा फ्लेक्सिबल होना चाहिए ताकि ज्यादा युवा शिक्षित हो सकें।
इसी फ्लेक्सिबिलिटी की जरूरत को मद्देनजर रखते हुए, UGC, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत स्टूडेंट्स के लिए डिग्री के बीच में ब्रेक लेने का ऑप्शन भी ला चुका है। अगर कोई स्टूडेंट चाहे तो वह कोर्स से ब्रेक ले सकता है और बाद में वापस आकर इसे पूरा कर सकता है।
इसे लेकर UGC चेयरमैन ने कहा था कि हमारा काम स्टूडेंट्स को क्रिटिकल थिंकर बनाना है। हम उन्हें ऐसा बनाना चाहते है जिससे वो देश के विकास में मदद कर सकें।
उन्होंने कहा कि UGC ने पहले ही कई एंट्रेंस और एग्जिट ऑप्शन दिए हैं, ताकि कमजोर स्टूडेंट्स ब्रेक ले सकें और अपनी पसंद के अनुसार सिलेबस पूरा कर सकें। हमारा उद्देश्य स्टूडेंट्स को ज्यादा फ्लेक्सिबल बनाना और ज्यादा मौके देना है।
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