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बाराबंकी: जिले में हरी सब्जियों की खेती को लेकर किसान बेहद रुचि दिखा रहे हैं. इसके चलते किसान अब जगह-जगह हरी सब्जियों की खेती करने में आगे आ रहे हैं, क्योंकि हरी सब्जियों में तरह-तरह की वैरायटी होती हैं. ऐसी ही एक सब्जी है बीन्स, जिसकी मांग सुपर मार्केट में बहुत ज्यादा होती है. इसकी खेती किसानों ने शुरू की है. कम लागत में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए किसानों ने यह बेहद अहम फैसला लिया है.

मिलता है ज्यादा फायदा
किसानों का कहना है कि पारंपरिक खेती के अलावा अब वे हरी सब्जियों की खेती पर ज्यादा विश्वास करते हैं, क्योंकि इसमें बिक्री के साथ तुरंत नगद पैसा मिल जाता है. लागत भी कम लगती है और मुनाफा भी काफी अच्छा होता है. इसीलिए किसान अब हरी सब्जियों पर ज्यादा जोर दे रहे हैं और उनकी खेती से किसानों की आमदनी में काफी हद तक इजाफा हो रहा है.

बीन्स की खेती ठंड के मौसम में की जाती है
बीन्स की खेती के लिए अधिक तापमान की आवश्यकता नहीं होती. इसकी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए 20 डिग्री से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त माना जाता है. इसके अलावा, बीन्स के खेतों में नमी बनाए रखना भी काफी जरूरी होता है. इसी क्रम में बाराबंकी जिले के सरसौंदी गांव के रहने वाले किसान श्रीकांत वर्मा बीन्स की खेती कर एक फसल पर लाखों रुपये तक मुनाफा कमा रहे हैं.

इतना होता है मुनाफा
बीन्स की खेती कर रहे किसान श्रीकांत वर्मा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया, “बीन्स की खेती हम 4 साल से लगातार कर रहे हैं. इसमें हमें अधिक फायदा भी हुआ है. इस समय हमारे पास करीब 1 एकड़ में बीन्स लगी हुई है, जिसमें लागत करीब 80 हजार रुपये आती है और मुनाफा एक फसल पर करीब 2 से ढाई लाख रुपये तक हो जाता है. क्योंकि बीन्स एक ऐसी सब्जी है जो स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है और इसकी डिमांड बाजारों के अलावा बड़े-बड़े होटलों में भी होती है, इससे यह काफी अच्छे रेट में बिकती है. हमारे यहां बीन्स की खेती बहुत ही कम किसान करते हैं. ज्यादातर इसकी खेती ठंडे प्रदेशों में होती है, इसलिए इसकी डिमांड बाजारों में ज्यादा रहती है. इसकी खेती हम मल्चिंग विधि से करते हैं.”

कैसे होती है इसकी खेती
बीन्स की खेती करना बहुत ही आसान है. पहले खेत की दो से तीन बार जुताई की जाती है, फिर खेत में मेड़ बनाकर उस पर मल्च बिछा देते हैं. इसके बाद मल्च में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर छेद करके बीन्स के बीजों की बुवाई की जाती है. जब इसका पौधा निकल आता है, तो पूरे खेत में बांस और डोरी का स्ट्रक्चर तैयार कर इसके पौधों को चढ़ा दिया जाता है. बीन्स की बेल इस पर फैल जाती है, जिससे बीन्स जब तैयार होती हैं, तो तोड़ने में आसानी होती है और रोग लगने का खतरा भी कम रहता है. वहीं बीन्स की बुवाई करने के लगभग 65 दिनों बाद इसकी फ्रूटिंग शुरू हो जाती है, जिसे तोड़कर बाजार में बेचा जा सकता है.

Tags: Agriculture, Barabanki News, Local18, News18 uttar pradesh

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