शिमला. हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के भोटा में राधास्वामी सत्संग ब्यास डेरे का अस्पताल एक दिसंबर से बंद होने जा रहा है. ऐसे में यहां पर लोग बीते तीन दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं. इलाके के आसपास की महिलाओं सहित डेरा समर्थक सड़कों पर जाम लगा रहे हैं. अब मामला बढ़ने के बाद सरकार ने भी 1 दिसंबर को अहम मीटिंग बुलाई है.
दरअसल, इस पूरे मामले के चलते हिमाचल सरकार अब लैंड सीलिंग एक्ट 1972 में संशोधन करने जा रही है. यह संशोधन राधास्वामी सत्संग ब्यास के लिए हो रहा है. क्योंकि यह एक्ट अस्पताल की जमीन ट्रांसफर करने में आड़े आ रहा है.
जानकारी के अनुसार, हमीरपुर जिले के भोटा में राधा स्वामी सत्संग ब्यास अस्पताल की जमीन को महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसाइटी को ट्रांसफर करना चाहती है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उन्हें हर साल 2 करोड़ रुपये जीएसटी देना पड़ रहा है, जबकि वह मुफ्त में लोगों को इलाज देते हैं. ऐसे में प्रबंधन चाहता है कि जमीन को उनकी सिस्टर कन्सर्न संस्था को ट्रांसफर कर दिया जाए.
सरकार के लिए आसान नहीं राह
हालांकि, ऐसा संभव नहीं है. क्योंकि हिमाचल प्रदेश में धारा-118 के तहत जमीन का मालिकाना हक नहीं बदला जा सकता है. उधर, सुक्खू सरकार अब अब ऑर्डिनेंस के जरिए लैंड सिलिंग एक्टे में बदलाव की तैयारी में हैं. राजस्व विभाग ने अध्यादेश का ड्राफ्ट विधि विभाग में स्क्रीनिंग के लिए भेज दिया है. इसके बाद इसे कैबिनेट में लाया जाएगा. यहां अनुमति मिलने के बाद भारत सरकार को प्रेसिडेंट एसेंट के लिए भेजा जाएगा. वहां से अनुमति आने के बाद यह नोटिफाई होगा. ऐसा इसलिए करना पड़ेगा, क्योंकि इस एक्ट को संविधान की प्रोटेक्शन प्राप्त है.
कितनी जमीन है संस्था के पास
राधास्वामी सत्संग ब्यास के पास हिमाचल में 6000 बीघा से ज्यादा की लैंड होल्डिंग है. पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार के समय 2014 में इन्हें लैंड सीलिंग एक्ट से छूट दी गई थी. तब भारत सरकार ने एक राइडर लगा दिया था कि लैंड सीलिंग की सीमा से बाहर की जमीन को ये सेल, लीज, गिफ्ट, विल, मॉर्टगेज या किसी अन्य तरीके से ट्रांसफर नहीं कर पाएंगे. इसी राइडर की बाधा को अब हटाया जा रहा है.
पूर्व सीएम परमार की बड़ी देन
हिमाचल प्रदेश के पहले सीएम डॉ. वाईएस परमार के समय हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट इसलिए बनाया गया था, ताकि भूमि के व्यक्तिगत उपयोग की सीमा तय की जा सके. यह भू-सुधारों में सबसे बड़ा कदम था. इसमें लैंड होल्डिंग की सीमा निर्धारित है. कोई भी व्यक्ति या परिवार राज्य में पानी लगने वाली जमीन सिर्फ 50 बीघा, एक फसल देने वाली जमीन 75 बीघा और बगीचा 150 बीघा और ट्राइबल एरिया में 350 बीघा जमीन ही रख सकता है. इस एक्ट की धारा-5 के अनुसार राज्य और केंद्र सरकार, सहकारी समितियों, सहकारी बैंकों, स्थानीय निकायों, चाय बागानों, उद्योगों तथा जल विद्युत परियोजनाओं की जमीन को सीलिंग से छूट दी गई है, लेकिन अब संशोधन से जो छूट राधास्वामी सत्संग ब्यास को दी जा रही है, वह किसी अन्य को उपलब्ध नहीं है.
भारत सरकार की अनुमति पर ही लागू होगा ऑर्डिनेंस
स्वामी सत्संग ब्यास ने एक अन्य सोसाइटी को हमीरपुर के भोटा स्थित अस्पताल परिसर की लैंड ट्रांसफर करने का आवेदन किया है. यदि ऐसा न हुआ तो अस्पताल को बंद करने का नोटिस भी सरकार को दिया है. राज्य सरकार प्रस्तावित अध्यादेश में वन टाइम छूट के तहत 30 एकड़ जमीन ट्रांसफर करने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ देने का प्रस्ताव कर रही है. इसके बदले हस्तांतरण शुल्क भी मार्केट वैल्यू के फार्मूले से प्रस्तावित किया जा रहा है. हालांकि यह अध्यादेश तभी प्रख्यापित या घोषित होगा, जब इसमें राष्ट्रपति की मंजूरी भारत सरकार से आ जाएगी. इस प्रक्रिया में राज्य के हित का ध्यान रखा जाएगा.
सीएम ने अस्पताल मामले में बुलाई बैठक
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राधा स्वामी सत्संग ब्यास ट्रस्ट के भोटा धर्मार्थ अस्पताल के संबंध में चर्चा करने के लिए पहली दिसंबर को दोपहर दो बजे अपने आधिकारिक निवास ओक ओवर शिमला में उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है. अहम बात है कि इस मामले पर भाजपा भी अस्पताल प्रबंधन के साथ खड़ी नजर आ रही है.
सीएम सुक्खू ने मामले पर बैठक बुलाई.
लोग कर रहे हैं प्रदर्शन, हाईवे पर आवाजाही पर असर
राधास्वामी चैरिटेबल अस्पताल को बंद किए जाने के विरोध में दूसरे दिन भी ग्रामीण अस्पताल को बंद करने के विरोध में सड़कों पर उतरे। एक तरफ जहां लोगों ने एनएच-103 पर चक्का जाम किया, तो वहीं सलौणी क्षेत्र में भी सड़क मार्ग पर सैकड़ों लोग उतरे तथा जोरदार प्रदर्शन हुआ. गुरुवार सुबह ग्रामीण चेरिटेबल अस्पताल भोटा के बाहर पहुंचे तथा नेशनल हाई-वे पर चक्का जाम कर दिया.
हमीरपुर के सलूणी में गुरुवार को लोगों ने लगाया जाम.
भाजपा ने मामले पर किया समर्थन
हमीरपुर के बड़सर विधानसभा से भाजपा विधायक इद्रदत लखनपाल ने कहा कि भोटा चैरिटेबल अस्पताल को बंद करने के चलते लोग अब सडकों पर उतरे है और सीएम सुक्खू को चाहिए कि विवाद को सुलझाने के लिए जल्द से जल्द काम किया जाना चाहिए, ताकि समस्या हल हो सके. हमीरपुर सदर से भाजपा विधायक आशीष शर्मा ने कहा कि पिछले 24 साल से अस्पताल चल रहा है और सीआईडी ने यह जानकारी सरकार तक क्यों नहीं पहुंचाई है.
हमीरपुर के भोटा में बड़ा अस्पताल है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस में जब तक लोग सडकों में ना आए, तब तक सीएम कुछ नहीं करेंगे. सीएम सुक्खू अगर लिख कर दो लाइनें संस्थान को दे देते हैं कि आगामी सत्र में संशोधन किया जाएगा तो अस्पताल बंद होने से बच जाएगा. विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि जनता के विरोध का बीजेपी पूर्ण रूप से समर्थन करती है और अस्पताल प्रबंधन की मांग जायज है. उधर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कहना है कि सरकार अगले विधानसभा सत्र में इस मामले में संशोधन विधेयक लाएगी.
बड़ा वोट बैंक…कांग्रेस और भाजपा की नजर
हिमाचल प्रदेश में लोग बड़ी संख्या में राधा स्वामी सत्संग ब्यास को फोलो करते हैं. हमीरपुर और कांगड़ा में तो डेरे का बहुत बड़ा परिसर है. इसके अलावा, गांव-गावं में डेरे के पास जमीनें हैं, जहां पर लोग डेरे से जुड़े हुए हैं. ऐसे में कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इस मुद्दे को कैश करना चाहती है, ताकि डेरे समर्थकों के वोटरों को रिझाया जा सके. हालांकि, इस मामले में सबसे बड़ी आशंका है कि यदि सरकार ने डेरे को छूट दी तो फिर अन्य संस्थाएं भी इसका फायदा उठा सकती हैं और लैंड ट्रांसफर के लिए आवेदन कर सकती है. गौर करने वाली बात है कि यह काफी संवेदनशील मसला है.
Tags: CM Sukhwinder Singh Sukhu
FIRST PUBLISHED : November 29, 2024, 09:33 IST
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