इन्होंने पंजाब पवेलियन में पाया पराली की समस्या को खत्म करने का प्रमाण पत्र।
– फोटो : अमर उजाला
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सर्दियां शुरू होते ही प्रदूषण दिल्ली-एनसीआर के लोगों को अधिक सताने लगा है। इसके लिए पराली जलाने को बड़ा कारण माना जाता है। पराली से कम प्रदूषण हो, इसके लिए हरियाणा और पंजाब दोनों ही राज्य प्रयास कर रहे हैं। प्रगति मैदान में चल रहे अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में दोनों ही राज्यों ने इस कोशिश को प्रदर्शित किया है। इसी के तहत पराली से पैलेट्स बनाने की योजना है। इसमें दावा किया जा रहा है कि पराली जलने की घटनाएं लगातार कम हो रही हैं। उम्मीद है कि एक समय के बाद या पूरी तरह से बंद हो जाएंगे।
पंजाब पवेलियन में आए पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी अक्षत का कहना है कि पराली को जलने से रोकने के लिए परियोजनाएं चल रही हैं। इनमें से एक है पराली से पैलेट्स बनाना। इनका इस्तेमाल कोयले की तरह उद्योग में किया जा सकता है। इसे बनाने के दौरान पराली के साथ सरसों के अवशेष सहित दूसरे वस्तुओं का मिश्रण किया जाता है जिससे इसकी ऊर्जा क्षमता बढ़ जाती है। ऐसा करने से खेतों में पराली जलाने की घटनाएं कम होती हैं, साथ ही किसानों की आय भी बढ़ती है। पंजाब सरकार के इस प्रयास से पराली जलाने की घटनाएं लगातार काम हो रही हैं। उम्मीद है कि जल्द ही पंजाब में पराली जलाने की घटना पूरी तरह से बंद हो जाएगी।
वहीं, किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है। पराली से पैलेट्स बनाने का यंत्र लगाने पर किसानों को 40 फीसदी तक सब्सिडी दी जाती है। इसके अलावा दूसरी तरह से भी आर्थिक मदद दी जा रही है। इसके लिए किसानों को जागरूक भी किया जा रहा है। पराली जलने की घटनाओं को कम करने के लिए सेटेलाइट से निगरानी तक की जा रही है। वहीं, हरियाणा पवेलियन में पराली की समस्या के निदान के लिए मिल रही सुविधाओं के बारे में बताया गया है। साथ ही उनसे पराली लेकर बायोफ्यूल तक बनाया जा रहा है।
अधिकारी का कहना है कि फसल अवशेष, पराली जलाने को रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने 2018-19 से 2024-25 तक किसानों को कुल 100,882 फसल अवशेष प्रबंधन मशीनें 50 से 80 फीसदी सब्सिडी दी। पिछले वर्ष के धान के ठूंठ जलने की घटनाओं के आधार पर गांवों का रेड जोन में वर्गीकृत किया गया है। जीरो बर्निंग लक्ष्य हासिल करने पर रेड जोन पंचायतों को एक लाख रुपये और येलो जोन पंचायतों को 50 हजार रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा। धान फसल के अवशेषों के प्रबंधन के लिए प्रति एकड़ एक हजार का प्रोत्साहन दिया जा रहा है। मेरा पानी मेरी विरासत योजना के अंतर्गत धान क्षेत्र में अन्य फसलों को अपनाने के लिए प्रति एकड़ 7,000 रुपये का प्रोत्साहन दिया जा रहा है। धान के भूसे के लिए सामान्य निर्धारित दरें रु 2500 प्रति एमटी तथा 20 फीसदी से कम नमी वाले भूसे पर 500 रुपये प्रति एमटी की अतिरिक्त प्रोत्साहन निर्धारित किया गया है।
अंगूर से बड़ा राजमा, धूप देख कर उगता है मशरूम
हिमाचल पवेलियन में अंगूर से बड़ा राजमा और धूप की गर्मी में उगने वाले मशरूम को प्रदर्शित किया गया है। यह दोनों ही अपने आप में विशेष हैं। कुल्लू से हिमाचल पवेलियन में अपने उत्पाद को प्रस्तुत करने आए आयुष बताते है कि गुची नामक का यह मशरूम पहाड़ों पर उगता है। अप्रैल में जब धूप पहाड़ों पर पड़ती है तो उससे होने वाली गर्मी में यह उगता है। यह साल में केवल 10 दिन में ही उग पाता है। इसमें कई तरह के प्रोटीन हैं। यही कारण है कि इसकी कीमत भी 50 हजार रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाती है। इसके अलावा किडनी बीन को लेकर आए हैं। यह बर्फ में उगता है। इसका आकार सामान्य राजमा से बड़ा होता है और पकाने के बाद यह अपने आकार से चार गुना हो जाता है।
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