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– फोटो : Freepik.com

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मेट्रो शहरों की भागमभाग भरी जीवनशैली का तनाव सिर पर बोझ बनकर दिल को रोगी बना रहा है। लंबे समय तक ऐसी स्थिति में शरीर संकेत भी देता है, लेकिन लापरवाही लोगों की सांस तक तोड़ रही है।

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विशेषज्ञों की मानें तो लंबे समय तक तनाव से रक्तचाप अनियंत्रित हो जाता है। इसके अलावा तनाव की स्थिति में धूम्रपान व शराब का सेवन भी अधिक पाया गया है। मेट्रो शहरों में यह समस्या युवाओं में तेजी से बढ़ रही है। इसके कारण पिछले दस साल में दिल के रोगियों की औसत उम्र तेजी से घटी है। जीबी पंत अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में आने वाले 10 में से एक रोगी की औसत उम्र 30 साल है। वहीं एम्स में यह आंकड़ा 1.5 मरीज तक का है।

विशेषज्ञ बताते हैं कि तनाव भरी जिंदगी युवाओं में रिस्क फैक्टर को तेजी से बढ़ा रही है। कम उम्र में ही लोगों में मेटाबोलिक सिंड्रोम अनियंत्रित रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, खराब जीवन शैली, अत्यधिक धूम्रपान व शराब की आदत दिल के रोगों को गंभीर कर रही है।

जीबी पंत अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. जमाल युसूफ ने कहा कि अस्पताल में रोजाना करीब एक हजार मरीज आते हैं। इन मरीजों में करीब 30 फीसदी संख्या 25 से 40 साल तक की है। वहीं औसत 30 साल की उम्र वालों की संख्या करीब 10 फीसदी है। युवाओं में दिल के रोग बढ़ने के पीछे खराब जीवन शैली के अलावा रिस्क फैक्टर है।

दे सकते हैं दिल के रोगों को मात

एम्स के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. राजीव नारंग का कहना है कि रिस्क फैक्टर को कम कर दिल के रोगों को मात दे सकते हैं। मरीज यदि बीएमआई, बीपी, लिपिड प्रोफाइल सहित अन्य रिस्क फैक्टर को नियंत्रित रखें तो समस्या काफी कम हो जाती है।

दिल के रोगों के प्रति करेंगे जागरूक

डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. तरुण कुमार ने कहा कि वर्ल्ड हार्ट डे की थीम यूज हार्ट फाॅर एक्शन है। इसमें लोगों को हृदय के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। यह अभियान 2026 तक चलेगा। साथ ही नीति बनाने वालों को हृदय के स्वास्थ्य को गंभीरता से लेने का आह्वान करेंगे।

युवाओं में दिल के रोगों के पीछे दूसरे कारण भी

एम्स में दिल के रोग विशेषज्ञ डॉ निर्मल घाटी ने कहा कि युवाओं में दिल के रोगों के पीछे दूसरे कारण भी हो सकते हैं। इसमें दिल का वाॅल्व खराब होना, जन्म से दिल की बीमारी सहित दूसरी समस्याएं हैं। यदि किसी के दिल की धड़कन तेज चले, चलने में सांस फूले व अन्य लक्षण दिखें तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

बढ़ रहे हैं मेटाबोलिक गैर-संचारी रोग

देश में मेटाबोलिक गैर-संचारी रोग बढ़ रहे हैं। एम्स सहित अन्य के विशेषज्ञों ने भारत की मेटाबोलिक गैर-संचारी रोग स्वास्थ्य रिपोर्ट: आईसीएमआर-इंडियाबी राष्ट्रीय क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन (आईसीएमआर-इंडियाबी-17) ने एक अध्ययन किया। इसमें 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 119,022 लोगों को चुना गया। इनमें 113,043 व्यक्तियों (शहरी क्षेत्रों से 33,537 और ग्रामीण क्षेत्रों से 79,506) ने 18 अक्तूबर 2008 और 17 दिसंबर 2020 के बीच अध्ययन में भाग लिया। 5979 लोग बाद में अध्ययन से हट गए। अध्ययन के दौरान विभिन्न कार्डियोमेटाबोलिक जोखिम कारकों का विश्लेषण किया गया। जांच में मधुमेह या प्री-डायबिटीज 107,119 में, उच्च रक्तचाप 111,439 में, मोटापा 110,368 में, पेट का मोटापा 108665 में, डिस्लिपिडेमिया 18492 में पाया गया। अध्ययन किए गए 113043 व्यक्तियों की औसत आयु 43 साल थी। इसमें 52602 (46.5 फीसदी) पुरुष थे। इनमें अन्य मेटाबॉलिक विकार भी मिले।

कैसे करें खुद की जांच

  • बिना दिक्कत आधे घंटे में 3 किमी चल सकें
  • बॉडी मास्क इंडेक्स रहे 18 से 24 के बीच
  • सामान्य व्यक्ति लिपिड प्रोफाइल 100 के नीचे
  •  कभी आया हार्ट अटैक लिपिड प्रोफाइल 70 के नीचे

ऐसे रखें दिल को स्वस्थ

  • तला भुना खाना कम खाएं
  • खाने में बढ़ाएं मौसमी फल
  • नियमित टहलें
  • धूम्रपान व तंबाकू का सेवन न करें

ऐसे लोग हाई रिस्क में

  • बीपी व मधुमेह के रोगी
  • मोटापा
  • धूम्रपान व शराब का सेवन करने वाले
  • परिवार में किसी को हुआ हो
  • खराब जीवन शैली
  • तनाव में रहने वाले

यह दिखें लक्षण, तो करें डॉक्टर से संपर्क

  • दिल की धड़कन में असामान्य ध्वनि
  • सांस लेने में तकलीफ
  • छाती में दर्द
  • चक्कर आना
  • थकान
  • पैरों या पेट में सूजन

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